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प.पू. आसारामबापूको अभीतक प्रतिभूति (जमानत) प्राप्त न होना, यह शासनका ही षडयंत्र ! – अधिवक्ता राजेंद

पौष शुक्ल पक्ष ५ कलियुग वर्ष ५११५

अमरावतीमें संस्कृति रक्षा सभा


अमरावती – बडनेरा मार्गपर स्थित संत श्री आसारामजी आश्रममें २९ दिसंबरको आयोजित संस्कृति रक्षा सभामें अधिवक्ता राजेंद्र पांडेने अपने वक्तव्यमें ये उद्गार व्यक्त किए कि ‘प.पू. बापू अपराधी नहीं हैं; किंतु इतनी लम्बी कालावधिके पश्चात भी उन्हें प्रतिभूति (जमानत) प्राप्त नहीं हुई; क्योंकि यह एक रचा रचाया षडयंत्र है तथा इस षडयंत्रमें शासन भी सहभागी है । प्रतिभूतिपर (जमानत)पर प्रत्येक अपराधीका अधिकार होता है । उसे वह प्राप्त होना ही चाहिए ।’
इस सभामें कर्णावती (अहमदाबाद)की महिला आश्रमकी साध्वी सुश्री भाविनीदीदीका भी सत्संग हुआ । सत्संगके पश्चात मान्यवरोंके हाथों दीपप्रज्वलन कर संस्कृति रक्षा सभा प्रारंभ हुई । इस अवसरपर महाराष्ट्र वारकरी महामंडलके जनपद अध्यक्ष ह.भ.प. शामसुंदर महाराज, जनपद उपाध्यक्ष ह.भ.प. शालिकराम महाराज खेडकर, हिंदू जनजागृति समितिके अकोला जनपदके श्री. धीरज राऊत, अंबादेवी संस्थानके न्यासी अधिवक्ता राजेंद्र पांडे, कुबेटकर विद्यालयके भूतपूर्व सचिव श्री. बालाजी हातेगुरुजी तथा विश्व हिंदू परिषदके श्री. अभिषेक दीक्षित उपस्थित थे । योग वेदांत सेवा समितिद्वारा सभाकी प्रस्तावना एवं सभाका उद्देश्य श्री. मानव बुद्धदेवने स्पष्ट किया ।

सभाके अवसरपर मान्यवरोंद्वारा व्यक्त किए गए उद्गार

ह.भ.प. शामसुंदर महाराजने बताया, किसी भी परिस्थितिमें गुरुके प्रति अपनी श्रद्धाको विचलित न होने दें ।

ह.भ.प. शालिकराम खेडकर महाराजने बताया, साधुसंत हमारे मां-बाप हैं । प.पू. आसारामबापूजीको कष्ट दिए जा रहे हैं । ऐसे समयपर भक्तोंको भजनके साथ-साथ वीरमाताकी प्रदर्शनी करनी भी आवश्यक है ।

हिंदू जनजागृति समितिके श्री. धीरज राऊतने बताया, प.पू. आसारामबापूको ‘संस्कृतिकी रक्षा हेतु संपूर्ण जीवन समर्पित करनेवाले संत’के रूपमें संबोधित किया जाता है । यदि हम संत एवं देवताओंका अनादर सह लेंगे, तो हमारे किसी पुण्य कर्मका कुछ भी अर्थ नहीं है ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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