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‘सनातन’ निर्दोष ! अग्निदिव्य हिंदुओंके भाग्यमें ही लिखा है !

पौष शुक्ल पक्ष ५, कलियुग वर्ष ५११५

३१ दिसंबरको सनातनके ६ साधकोंको मडगाव विस्फोट प्रकरणसे निर्दोष मुक्त किया गया ।

इस विषयमें  दैनिक सामनाद्वारा प्रकाशित संपादकीय यहां दे रहे हैं . . .


हमारे ही हिंदुस्थानमें हिंदुओंको आतंकवादी सिद्ध करनेका भरसक प्रयास किया जा रहा है । इसके लिए सरकारी तंत्रोंका भारी मात्रामें अनुचित उपयोग किया जा रहा है; परंतु हिंदु संगठनके कार्यकर्ता इन सभी षडयंत्रोंका साहसके साथ सामना कर रहे हैं । कहींपर कुछ भी घटना हुई, चाहे मडगाव विस्फोटका प्रकरण हो अथवा मालेगाव विस्फोटका, उसका दोष हिंदु संगठनके ही सिरपर लगाकर तत्पश्चात उसे सिद्ध करने हेतु सरकारी तंत्र कार्य करने लग जाते हैं । गोवाके मडगाव विस्फोटके प्रकरणमें फंसे सनातनके छः कार्यकर्ता अब निर्दोष मुक्त हुए हैं । पणजीके विशेष न्यायालयके न्यायमूर्तिने अन्वेषण तंत्रको ही फटकारा है । सनातनके हिंदुनिष्ठ कार्यकर्ताओंको इन सभी प्रकरणोंमें लिप्त किया गया है । सनातनको अपकीर्त किया गया । सनातनकी इतनी चरमसीमापर अपकीर्ति की गई थी, मानों लोगोंका ऐसा अपसमझ हो जाए कि सनातनके साधक उनके आश्रमसे आतंकवादी कार्यवाहियोंका प्रशिक्षण ले रहे हों तथा वहां हिंदुओंको सिरफिरा एवं आतंकवादी बनानेका कारखानाही खोल रखा हो । अतः महाराष्ट्रके गृहमंत्रालयने केंद्रसरकारसे सनातनपर प्रतिबंध लगानेकी संस्तुति (सिफारिश ) की । यह तो स्पष्ट रूपसे अन्याय है तथा मुस्लिमोंको प्रसन्न करने हेतु स्वयंकी नकली निरपेक्ष सुंथा निश्चित रूपसे धर्मांध मुसलमानोंके आंखोंमें भरने हेतु किया गया षडयंत्र है । मालेगाव बमविस्फोटमें निर्दोष मुस्लिम युवक फंसे हैं इसलिए सरकारी स्तरपर जितना दुख व्यक्त किया गया तथा केंद्रसरकारद्वारा उनको मुक्त करने हेतु जो अथक परिश्रम किए गए उस अनुपातमें रत्तीभर भी प्रयास निर्दोष हिंदु युवकोंको मुक्त करने हेतु नहीं किए गए । झूठे विस्फोट प्रकरणमें हिंदू बच्चोंको फंसाना, हिंदु आतंकवादी कहकर पूरे देशमें उनकी दुर्गत करना तथा मुसलमानोंके मेलेमें नम्रतासे कहना, ‘’देखो हमने हिंदुओंको भी फंसाया है । हिंदु नेता मुसलमानोंको आतंकवादी कहते हैं ना ? तो हमारी निरपेक्ष सरकारने हिंदुओंको आतंकवादी सिद्ध कर उन्हें अंदर किया है ! यदि इसे ही आप निरपेक्षता कहते हैं, तो कल जाकर हिंदु समाजमें निश्चित रूपसे वास्तवमें कोई सिरफिरा उत्पन्न हुआ एवं उसने धर्मके लिए अपने प्राण न्योछावर करनेका निश्चय किया, तो उसका संपूर्ण दायित्व मुसलमानोंकी चापलूसी करनेकी नीतिका ही होगा ।

हिंदुओ, आप दिखा दें कि आप निर्बल नहीं, अपितु व्याघ्र एवं सिंहके वारिस हैं !

हिंदु संगठन धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्य करते हैं । ये संगठन ‘सिमी’, ‘अल कायदा’, ‘इंडियन मुजाहिदीन’ समान आतंकवादी कार्यवाहियां नहीं करते । मूलतः अपने ही हिंदुस्थानमें रहनेवाले ८० करोड हिंदुओंको आतंकवादी कार्यवाहियां करनेकी क्या आवश्यकता है ? यह हिंदुओंका देश है । यह ‘हिंदु राष्ट्र’ है । ‘हिंदु राष्ट्र’में जिन्हें रहना है, वे चाहे किसी भी धर्मके हो, अपनी धर्मांधताको अलग रखकर इस देशके नागरिकके रूपमें रहें । हिंदु संस्कृतिका स्वीकार करें । परंतु दुर्भाग्यवश् इस देशमें अलग ही घटनाएं हो रही हैं । मुस्लिम तथा ईसाईयोंको जानबूझकर देशके मुख्य प्रवाहसे अलग रखा जा रहा है । मतोंके स्वार्थके लिए अन्य नकली / दिखावटी धर्मनिरपेक्ष राजनितिज्ञ निरपेक्षताके नामपर धर्मांधोंका पोषण कर रहे हैं तथा प्रत्येक घटनामें हिंदुओंका दमन कर रहे हैं । यदि निरपेक्षताके नामपर हिंदुओंको उनके ही देशमें पीछे धकेलनेका प्रयास किया जाता है, तो पश्चात हिंदुओंको भी यह दिखाना होगा कि हिंदू दुर्बल नहीं है, अपितु व्याघ्र एवं सिंहके वारिस हैं ।

हिंदुओंको प्रतिभूति (जमानत)भी अस्वीकार करनेवाले कांग्रेसी आतंकवादी 

पिछले कुछ दशकोंमें ऐसी फैशन प्रचलित हो गई है कि कोई भी उठता है तथा हिंदुओंकी मनचाही अपकीर्ति करता है और कोई यदि उसके विरोधमें आवाज उठाए, तो उसे देशका शत्रु अथवा ‘हिंदु आतंकवादी’ सिद्ध किया जाता है । सनातनके संदर्भमें ठीक यही हुआ है । मालेगाव विस्फोट प्रकरणमें मुस्लिमोंको निर्दोष सिद्ध कर साध्वी प्रज्ञा, कर्नल पुरोहित तथा मेजर उपाध्याय इत्यादि व्यक्तियोंको कांग्रसियोंने इसी पद्धतिसे फंसाया तथा हिंदु आतंकवादका हौवा खडा किया। कसाबने पाकिस्तानसे घुसकर मुंबईपर आक्रमण किया, जिसमें २० पुलिस अधिकारी मारे गए । इन पुलिसोंको कसाबके समूहने मारा यह सत्य स्पष्ट रूपसे सामने होते हुए भी कांग्रेसियोंने इस आक्रमणके पीछे निश्चित रूपसे हिंदू संगठन होनेकी बांग दी थी । मूलतः महाराष्ट्रके कांग्रेसी तथा राष्ट्रवादी कांग्रेसियोंके दबावमें ही मालेगाव विस्फोटका अन्वेषण हुआ । ये भटके हुए अन्वेषणमें कर्नल पुरोहित तथा साध्वी प्रज्ञा इत्यादि बलीके बकरे बने । परंतु वे निर्दोष होनेके प्रमाण सामने आनेपर भी महाराष्ट्र सरकार उन्हें प्रतिभूतिपर मुक्त नहीं करना चाहती । यह तो कसाब एवं अफजलके आतंकवादसे भी भयानक है ।

निर्दोष हिंदुओंको प्रताडित करनेवाले लोगोंका सत्यानाश हुए बिना नहीं रहेगा

अंततः मडगाव विस्फोटमें सनातनके साधक निर्दोष मुक्त हुए । परंतु इससे पूर्व सनातनको पुलिसद्वारा छापा मारा जाना, निरंतर पूछताछ, यातनाएं देना आदि बडे संकटोंका सामना करना पडा । एक दिन मालेगाव विस्फोटमें कर्नल पुरोहित तथा साध्वी प्रज्ञा भी निर्दोष मुक्त होंगे । इसका अर्थ यह कि ऐसे संकट हिंदुओंके भाग्यमें ही हैं । परंतु जो राजनीतिक नेता एवं पुलिस अधिकारी निर्दोष हिंदुओंको आतंकवादी सिद्ध कर उन्हें प्रताडित करेंगे, उन सभीका सत्यानाश हुए बिना नहीं रहेगा । इससे पूर्व भी इस बातकी अनुभूति आई है । ८० करोड हिंदुओंकी साधना एवं तपमें सामर्थ्य है । हिंदुओंकी शक्तियोंद्वारा उत्पन्न संताप (लावा ) शत्रुओंका सत्यानाश करे बिना नहीं रहेगा ।

(दैनिक सामना संपादकीय, २.१.२०१४)

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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