पौष शुक्ल पक्ष ५, कलियुग वर्ष ५११५
– गुरुदेव डॉ. काटेस्वामीजी |
‘वर्तमानमें हम सबको जिस प्रकारसे भी संभव हो, उस प्रकारके साधनोंका उपयोग करना पडेगा । प्रसार-माध्यमोंका उपयोग करना पडेगा । तन, मन एवं धन अर्पण कर सनातन हिंदु धर्मका यथार्थ पक्ष तथा यथार्थ धर्म लोगोंको बताना पडेगा ।'
– गुरुदेव डॉ. काटेस्वामीजी (मासिक `घनगर्जित', फरवरी २०१३)
‘चरित्र ही समाज एवं राष्ट्रका आधार है । वह टूट गया, तो समाज एवं राष्ट्रका भयंकर अधःपतन होकर विनाश होता है ।' – गुरुदेव डॉ. काटेस्वामीजी
‘जो विश्वके साथ एकरूप हुआ है, वही संपूर्ण विश्वको अपनी इच्छाके अनुसार हिला सकता है एवं परिवर्तित कर सकता है ।'
– गुरुदेव डॉ. काटेस्वामीजी (संदर्भ : मासिक `घनगर्जित', सितंबर २०१३)
संयमी मन ही परिस्थितिका स्वामी होता है ।
‘वर्तमानका मानवतावादी, समाजवादी, साम्यवादी तथा सेक्युलरवादी तत्त्वज्ञान कहता है कि ‘यदि परिस्थितिमें परिवर्तन करें, तो मानवमें परिवर्तन होगा।' परिस्थितिमें किस प्रकार परिवर्तन हो सकता है ? मन शक्तिशाली कर सकते हैं । संयमी मन (होनेवाला) ही परिस्थितिका स्वामी होगा ।'
– गुरुदेव डॉ. काटेस्वामीजी 'मासिक घनगर्जित', मई २०१३
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात