नई दिल्ली – तब तक बांग्लादेश नहीं बना था। या आप कह सकते हैं कि दुनिया के नक्शे पर नहीं आया था। तब आज के बांग्लादेश को ईस्ट पाकिस्तान के नाम से जाना जाता था। उस दिन जिंदगी सामान्य रफ्तार से चल रही है। ईस्ट पाकिस्तान के हिन्दुओं का क्या मालूम था कि उनके ऊपर उस दिन कहर टूटने वाला है। आप कह सकते हैं कि पाकिस्तान के इतिहास का बेहद काला दिन था, तारीख थी २३ अप्रैल, १९७१।
उस दिन पूर्वी पाकिस्तान में सेना ने करीब तीन हजार हिन्दुओं का कत्ल कर दिया। इस वारदात को ढाका से २०० किलोमीटर दूर जाटीबंगा इलाके में अंजाम दिया गया। वहां बड़ी संख्या में हिन्दू रहते थे। ये मेहनतकश थे। उनके घरों को पाकिस्तानी सेना ने तोड़ा। औरतों की अस्मत लूटी और मर्दों को मौत के घाट उतार दिया। पाकिस्तानी सेना ने इन्हें इस शक पर मारा कि ये अवामी लीग के नेता मुजीब-उर-रहमान का साथ दे रहे थे।
यहीं से बिखरने लगा पाकिस्तान इसके बाद ही पाकिस्तान के टूटने का क्रम शुरू हुआ। ईस्ट पाकिस्तान में पाकिस्तान सेना के खिलाफ विद्रोह शुरू हुआ। जनता सड़कों पर आ गई। सारा ईस्ट पाकिस्तान शासकों के खिलाफ खड़ा हो गया। अब ईस्ट पाकिस्तान को पाकिस्तान का हिस्सा बने रहना नामंजूर हो गया था। पर दु:खद ये है कि गंदी राजनीति और तानाशाही की भेंट वो हिंदू चढ़े, जो इस देश को बनाना चाहते थे।
ये सब इस्लामाबाद में बैठे पाक सेना के इशारे पर हुआ था। उसके बाद भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ क्योंकि सरहद के उस पार से लाखों लोग शरण लेने के लिए भारत आने लगे थे। ऐसे में भारत को युद्ध में कूदना पड़ा। भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना के युद्ध में दांत खट्टे कर दिए और ९३ हजार पाकिस्तानी सैनिकों को बंदी बना लिया।
अफसोस की बात ये है कि बांग्लादेश बनने के बाद भी वहां पर कई वर्षों तक हिन्दुओं का कत्लेआम जारी रहा। बांग्लादेश में हिन्दू लगातार उत्पीडन, हत्या, बलात्कार, किडनेपिंग, धार्मिक असुरक्षा का शिकार होते रहे।
स्त्रोत : वन इंडिया