• महाराष्ट्र में सरकारीकृत मंदिरोंके कामकाज से यह बात स्पष्ट हो गई है कि मंदिरोंका सकारीकरण अर्थात घोटालोंके लिए सुनहरा अवसर !
• अब भ्रष्टाचार हेतु कर्नाटक शासन के अधिकारियोंके लिए खेल खुला हो गया !
• क्या आपने कभी सुना है कि कांग्रेस ने मस्जिद अथवा चर्च नियंत्रण में लिया हो ?
बेंगलुरू (कर्नाटक) : कांग्रेस शासन ने उत्तर बेंगलुरू तहसील में काचरकनहल्ली के कोदंडरामस्वामी, कान्निका परमेश्वरी, इस्कॉन एवं साईबाबा, इस प्रकार चार मंदिरोंको नियंत्रण में लिया है। भक्तोंने आरोप लगाया है कि कुछ स्थानीय राजनीतिक व्यक्तियोंके हस्तक्षेप के कारण जिला प्रशासन ने यह कदम उठाया है। (सरकार हिन्दुओंके ही मंदिरोंको हाथ क्यों लगाती है ? हिन्दुओंको संगठित होकर इस विषय में शासन को फटकारना चाहिए ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
२१ अप्रैल को जिलाधिकारी वी. शंकर के नेतृत्व में उपविभागीय अधिकारी महेशबाबू तथा तहसीलदार शिवप्पा लमाणी के साथ महसूल एवं धर्मादाय आयुक्त विभाग के अधिकारियोंके दल ने यह कार्यवाही की।
अनेक वर्ष पूर्व शासन ने इसी गांव का ५७ एकड विस्तीर्ण काचरकनकरहल्ली तालाब नियंत्रण में लिया था। इस तालाब के आगे की २० एकड भूमि में ‘बेंगलुरू अभिवृद्धि प्राधिकरण’ ने एक निवासी बस्ती स्थापित की थी। कुछ वर्ष पूर्व इस तालाब के समीप के स्थान पर एक स्थानीय राजनीतिक नेता ने छोटे से कोदंडरामस्वामी मंदिर का निर्माण कार्य किया। इस मंदिर के बगल में साईमंदिर, इस्कॉन मंदिर एवं कान्निका परमेश्वरी मंदिर तथा एक मंगल कार्यालय का भी निर्माण कार्य किया गया था।
प्रत्येक देवस्थान की हुंडी में ४० लाख रुपयोंसे अधिक राशि संग्रहित होने का अनुमान है। एक अधिकारी ने कहा कि इन चारों हुंडियोंको ताले लगा दिए गए हैं। भक्तों ने आरोप लगाया है कि कोई पूर्व सूचना दिए बिना ये मंदिर नियंत्रण में लिए गए हैं। उपविभागीय अधिकारी महेशबाबू ने कहा कि भविष्य में मंदिरोंकी व्यवस्था धर्मादाय आयुक्त देखेगा।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात