पौष शुक्ल पक्ष ८, कलियुग वर्ष ५११५
श्री. विक्रम विनय भावे |
३१ दिसंबर २०१३ को गोवाके विशेष न्यायालयने मडगांव विस्फोटकी घटनामें सनातनके सभी छह साधकोंको निर्दोष मुक्त किया । विस्फोटके समय सनातनकी ‘सुपारी’ लेकर छाती पीटनेवाले चैनलवालोंके अभियोगका परिणाम सुनकर सधी चुप्पी तोडने तथा पुलिसके कान साफ करने हेतु …..
न्यायालयने ही कांग्रेस तथा पुलिसको दिगंबर किया !
३१ दिसंबर २०१३ को मडगांव विस्फोट घटनाके सारे छह आरोपियोंको गोवा विशेष न्यायालयने निर्दोष मुक्त किया । राष्ट्रीय अन्वेषण तंत्र इन आरोपियोंके विरुद्ध कोई भी पक्का प्रमाण न्यायालयके सामने न ला सका । प्रथमदर्शी विवरण तो सनातन संस्थाको लटकानेके उद्देश्यसे ही लिखा गया है, यह बात न्यायालयने विशेष रूपसे निर्देशित की है ।
१६ अक्तूबर २००९ को मडगांव विस्फोटके पश्चात पुलिसने आगे-पीछे कुछ भी सोचे बिना सीधे सनातन आश्रमपर धावा बोल दिया । वहां कुछ भी न मिलनेके कारण पुलिसकी नाक कट गई । अब घटी घटनासे सनातनका संबंध जोडने हेतु कुछ तो करना ही चाहिए, इस सनातनद्वेषी विचारने पुलिस एवं कांग्रेसी इन दानोंको व्यथित कर दिया । उस व्यथित अवस्थामें ही पुलिस तथा दिगंबर कामत प्रशासनने अन्वेषणमें बहुत परिश्रम किए; किंतु अंतमें कांग्रेस तथा पुलिस दोनोंको ही न्यायालयमें ‘दिगंबर’ होना पडा !
चैनेलवालोंमें सनातनकी निर्दोषताका वृत्त दिखानेका साहस नहीं !
मडगांवमें विस्फोट हुआ । उसमें सनातनके दो कार्यकर्ता मारे गए । ऐसी स्थितिमें सनातनको ही आरोपीके पिंजरेमें खडा कर दिगंबर प्रशासन, पुलिस तथा उससे भी अधिक उत्साहसे चैनेलवालोंने हमला करना प्रारंभ किया । आइ.बी.एन. लोकमतके संपादक निखिल वागलेकी नींद तो कबकी उड चुकी थी । ८-१० दिनों पश्चात भी उनके चैनलपर चर्वण करने हेतु अन्य विषय ही नहीं था । चर्चा एवं आरोप बडी मात्रामें चल रहे थे । अब पृथ्वीका ही विस्फोट हो जाएगा, इस भावसे वागलेकी बकबक आरंभ थी । किंतु अभियोगके निर्णयसे सबके निर्दोष छूटनेपर एक भी चैनेलने उस संदर्भमें चर्चा आयोजित नहीं की । अजी, चर्चा आयोजित करना तो बडी दूरकी बात हो गई, सनातनकी निर्दोषताका केवल वृत्त दिखानेका साहस भी इन चैनेलवालोंसे हुआ नहीं । निरंतर वृत्तपत्र स्वतंत्रताका समर्थन करनेवाले सारे बातूनी ३१ दिसंबरको कहां छुप गए थे ? कहते हैं, एक हिंदुत्ववादी कार्यकर्ताने, ‘सनातनकी निर्दोषताका वृत्त क्यों नहीं दिखाते ?’, ऐसा पूछने हेतु ‘आइ.बी.एन'. लोकमतके कार्यालयमें दूरध्वनि किया था । उस समय सामनेसे उत्तर आया कि, ‘आज थर्टीफस्र्ट' है, अत: वागलेसाहब नहीं आए हैं तथा दो दिन (होशमें ?) उनके आनेकी संभावना न होनेके कारण कल भी आएंगे अथवा नहीं, कह नहीं सकते । अत: आप ३ जनवरीके पश्चात ही फोन करें । '
क्या चैनेलवालोंको पुलिस बहनोंकी प्रतिष्ठा कौडीके मोल लगती है ?
पूर्वमें ११ अगस्तको आजाद मैदानपर मुसलमानोंने दंगा किया । महिला पुलिस बहनोंके कपडे फाडकर उनकी विडंबना की, ओबी वेन जलाई; वे घटनाएं जब घट रही थीं, तो कुछ वाहिनियोंने ही यह वृत्त दिखाया । किंतु वागले नारायण राणे तथा ‘सिंचन’ के नामसे चैनेलपर चिल्ला रहे थे । इसका अर्थ है, वार्ताकारिताके कथित प्रेमियोंको पुलिस बहनोंकी प्रतिष्ठाका कुछ भी मोल नहीं लगा । अथवा पुलिस बहनोंकी प्रतिष्ठा कौडीrके मोल होती है, क्या इन्हें ऐसा लगता है ?
कुछ घंटोंमें ही तामिलनाडू पहुंचनेवाले वार्ताकारोंको आठ दिनोंमें भिवंडी नहीं मिली !
भिवंडीमें दो पुलिसकर्मीको मुसलमान दंगाखोरोंने पत्थरोंसे मार दिया तथा उसके पश्चात पुलिसकी ही गाडीमें डालकर गाडी जला दी । उन दो पुलिसवालोंके शवविच्छेदनका विवरण देखें । वह विवरण बताता है कि उन दो पुलिसवालोंके नाखून उखाड दिए गए थे, उनकी आंखें फोड दी गर्इं, उनका लिंग काट दिया गया था, हाथ-पांव जोडोंसे तोडे गए थे । धर्मांधोंने पुलिसको इस पद्धतिसे मारा था । इस एक विवरणपर ही अनेक चर्चा आयोजित हो सकती थी; किंतु किसीने भी साहस नहीं किया । उस समय भी वार्ताकारिता प्रेमी कहीं जाकर छुप गए । कांची कामकोटी पीठके शंकराचार्यको बंदी बनाया गया था । उस समय ‘ब्रेकिंग न्यूज – जेलमें जगद्गुरु' इस नामसे चैनलवाले ऊधम मचा रहे थे । मैंने स्वयं स्टार न्यूजके कार्यालयमें दूरध्वनि किया तथा उनसे पूछा कि, `शंकराचार्यका वृत्त आप अनेक दिनोंसे दिखा रहे है; किंतु भिवंडीमें घटी घटनाओंके विषयमें अपने चैनलवर केवल ‘तलटिपणी ’ भी क्यों नहीं दिखाते ?' इसपर उस ओरसे एक बहनने कहा कि `हमारे रिपोर्टर अभी भिवंडी नहीं पहुंचे हैं ।’ इसका अर्थ है, कुछ ही घंटोंमें इनके वार्ताकार कांची पीठ पहुंच गए; किंतु क्या ‘भिवंडी’ नामकी चीज उनके वार्ताकारोंको मिली ही नहीं ? यह बात ध्यानमें रखें !
सारे चैनलवाले तथा पुलिस अब तो कुछ सोचें । राजनीतिज्ञोंकी सुनकर पुलिसने हम हिंदुओंपर झूठे अपराध प्रविष्ट किए, किंतु पुलिसकी मां -बहनें हमारी भी मां-बहनें हैं, हम हिंदू यह कभी भी भूलेंगे नहीं; किंतु जिन धर्मांधोंको प्रसन्न करने हेतु आप हमपर झूठे अपराध प्रविष्ट करते हो, उनकी दृष्टिमें आपकी मां -बहनें युद्धमें प्राप्त हुई लूट अथवा अपने हककी खेती हैं, यह न भूलें ।
धर्मांधोंको प्रसन्न करने हेतु चैनेलवालोंने कितने भी प्रयास किए, तो भी धर्मांधोंकी दृष्टिमें चैनलवालोंका मोल ही क्या है, यह ११ अगस्तको आप-हमने देखा है । इतना होनेपर भी यह चापलूसी रुकनेवाली न हो, तो ११ अगस्त तथा भिवंडीकी घटनाओंकी पुनरावृत्ति होती रहेगी; किंतु कुछ समय पश्चात हिंदू आपकी सहायता करने नहीं आएंगे, यह बात याद रखें।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात