जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर पैदा हुए तनावपूर्ण हालात पाकिस्तानी उर्दू मीडिया की सुर्ख़ियों में हैं।
घाटी में तनाव पर जंग ने अपने संपादकीय का शीर्षक दिया है, ‘कश्मीर बनेगा पाकिस्तान।’
दैनिक लिखता है कि पूरी दुनिया मानती है कि जम्मू-कश्मीर विवादित इलाका है, जिसका निर्णय संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावोंके अनुसार होना है।
भारत भी इस सच्चाई को जानता है, लेकिन उसे पता है कि अगर कश्मीर में स्वतंत्र जनमत संग्रह हुआ तो परिणाम कभी भारत के हाथ में नहीं आएगा।
दैनिक की राय है कि श्रीनगर में ‘पाकिस्तान ज़िंदाबाद’ और ‘कश्मीर बनेगा पाकिस्तान’ के नारे लगना और पाकिस्तानी झंडा लहराया जाना इस बात का सबूत है।
‘नहीं रहेंगे भारत के ग़ुलाम’
वहीं ‘रोजनामा एक्सप्रेस’ लिखता है कि कश्मीर घाटी में हिंदुओंको बसाकर, लाखों सैनिकोंको तैनात कर और तथाकथित चुनावोंके जरिए कठपुतली सरकार बनवाने से कश्मीर भारत का अटूट अंग नहीं बन जाता है।
कश्मीरियोंने अपनी तीन पीढियां स्वतंत्रता के लिए बलिदान की हैं, वो भला कैसे भारत के गुलाम रह सकते हैं, इसलिए दुनिया जल्द वो दिन देखेगी जब कश्मीर में स्वतंत्रता का सूरज निकलेगा।
‘नवा-ए-वक़्त’ लिखता है कि श्रीनगर में पाकिस्तानी परचम लहराया जाना और पाकिस्तान के पक्ष में नारे लगना इस बात का सबूत है कि कश्मीरी लोगोंका दिल पाकिस्तान के साथ धडकता है और वो भारत के क़ब्ज़े को ख़ारिज करते हैं।
इस मुद्दे को न तो मसर्रत आलम पर गद्दारी का मुकदमा बनाकर दबाया जा सकता है और न ही अंधाधुंध गिरफ़्तारियां करके। ऐसे में अगर भारत इस क्षेत्र में वाक़ई शांति चाहता है तो कश्मीरियोंको आत्म निर्णय का हक़ देना होगा।
ऐसी ही राय जाहिर करते हुए ‘रोज़नामा पाकिस्तान’ कहता है कि भारत ज़बरदस्ती कश्मीर को अपनी जागीर बना कर नहीं रख सकता और अंतमे इसका निर्णय करने का अधिकार उसे कश्मीर में रहने वालोंको ही देना होगा।
राहील शरीफ की चेतावनी
वहीं ‘रोजनामा दुनिया’ ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल राहील शरीफ की विदेशी एजेंसियोंको दी गई इस चेतावनी पर संपादकीय लिखा है कि वे बलूचिस्तान में चरमपंथियोंकी मदद कर पाकिस्तान को अस्थिर करने से बाज आएं।
जहां भारत पर बलूचिस्तान में अशांति फैलाने के आरोपोंका जिक्र किया है, वहीं पाकिस्तान सरकार को भी हिदायत दी है कि बलूचिस्तान की समस्या ताकत के बल पर हल नहीं होगी, इसके लिए राजनयिक स्तर पर काम करना होगा।
वहीं ‘जसारत’ ने सिंध प्रांत में दसवीं की परीक्षाओं में धडल्ले से नकल की घटनाओं पर संपादकीय लिखा है।
अखबार लिखता है कि कई परीक्षा केंद्रोंपर नकल करने से रोकने पर शांति व्यवस्था खतरे में पड़ रही है तो कहीं-कहीं परीक्षा केंद्र का प्रबंधन करने वाले ही नकल करा रहे हैं और पांच सौ से पांच हजार में प्रश्न पत्र हल कराए जा रहे हैं।
लौट के राहुल घर को आए
रुख भारत का करें तो ‘हिंदोस्तान एक्सप्रेस’ का संपादकीय है, ‘लौट के राहुल घर को आए।’
देखना ये है कि ५७ दिन की छुट्टियों में आत्मचिंतन और सोच-विचार के बाद राहुल गांधी बेहाल कांग्रेस के जिस्म में कौन सा नया खून डालेंगे।
वहीं कश्मीर के हालात पर ‘हमारा समाज’ की टिप्पणी है कि सबसे पहले केंद्र सरकार को घाटी के बेरोजगार युवाओंकी समस्याओंको दूर करना चाहिए।
वहां सुरक्षा बलोंकी कार्रवाई की भी निगरानी होनी चाहिए और अगर जहां भी सुरक्षा बलोंका कसूर दिखे, सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
स्त्रोत : बीबीसी हिंदी