काठमांडू घाटी और उसके आसपास के इलाकों में आए नेपाल के सबसे भयंकर भूकंप में ऐतिहासिक काष्ठमंडप समेत कई मंदिर ध्वस्त हो गए या बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं।
काष्ठमंडप, पंचतले मंदिर, नौ मंजिला बसंतपुर दरबार, दशावतार मंदिर और कृष्णा मंदिर समेत कई मंदिर भूकंप से ध्वस्त हो गए।
काष्ठमंडप, जिससे काठमांडू नाम रखने की प्रेरणा मिली, लकड़ियों से बना १६वीं शताब्दी का स्मारक है।
इतिहासकार पुरूषोत्तम लोचन श्रेष्ठ ने बताया कि हो सकता है कि ये स्मारक हमेशा के लिए लुप्त हो जाएं क्योंकि उनका पुनर्निर्माण तकनीकी दृष्टि से कठिन और बहुत महंगा है।
न्यूज पोर्टल ‘इकांतिपुर’ के अनुसार श्रेष्ठ ने कहा, ‘हम काठमांडो, भक्तपुर और ललितपुर में ज्यादातर ऐसे स्मारकों को खो बैठे जिन्हें विश्व धरोहर का दर्जा दिया गया था।’
उन्होंने कहा, ‘उन्हें मूल स्वरूप में नहीं लौटाया जा सकता।’ शनिवार को आए ७.९ तीव्रता के भूकंप और रविवार को पूरे दिन आए भूकंप बाद के झटकों ने काठमांडू में बसंतपुर दरबार चौक के मंदिरों को करीब 80 फीसदी नष्ट कर दिया है।
काठमांडो के धरहरा मीनार समेत कई ऐतिहासिक स्मारक शनिवार को दोपहर आए भयंकर भूकंप के कारण मलबे में तब्दील हो गए।
धरहरा मीनार करीब ८३ साल पहले १९३४ में आए ऐसे ही भूकंप में खंडित हो गई थी। उस साल भूकंप में १० हजार से अधिक लोगों की जान गई थी।
इसी तरह पाटन और भक्तपुर में दर्जनों मंदिर और ऐतिहासिक भवन ध्वस्त हो गए हैं या उन्हें आंशिक रूप से नुकसान पहुंचा है।
स्त्रोत : आज तक