• हिन्दुओ, अपने गौरवशाली इतिहास का जतन करना भी धर्मरक्षा का ही भाग है। इस संदर्भ में हिन्दुत्वनिष्ठ श्री. रमणमूर्ति का आदर्श आंखोंके समक्ष रख हिन्दुओंको ऐसे प्रकरणोंका दायित्व लेना चाहिए !
• प्रखर हिन्दुत्वनिष्ठ श्री. के.वी. रमणमूर्ति के प्रयासोंको सफलता !
• ऐतिहासिक वास्तु के लिए संघर्ष करनेवाले श्री. रमणमूर्ति का अभिनंदन !
कुर्नूल (आंध्रप्रदेश) : यहां सुप्रसिद्ध ब्रह्मरंभा मल्लिकार्जुन मंदिर है। वर्ष १६७४ में छत्रपति शिवाजी महाराज ने मंदिर की उत्तर दिशा में स्थित गोपुरम् की स्थापना की थी। इसकी उचाई वर्ष १६७४ में लगभग १०० फूट थी। शिवाजी राजा ने इसकी स्थापना की। इसलिए इसे ‘शिवाजी गोपुरम्’ नाम से पहचाना जाता है।
साधारणतया ३ वर्ष पूर्व इस गोपुरम् की इमारत ढह गई थी। इस ऐतिहासिक वास्तु के पुर्निनर्माण हेतु यहां के प्रखर हिन्दुत्वनिष्ठ श्री. के.वी. रमणमूर्ति ने राज्यशासन का पृष्ठपोषण किया। अंत में उन के प्रयासोंको सफलता मिली एवं राज्यशासन ने इस वास्तु का पुर्निनर्माण करने का निर्णय लिया है।
श्री. रमणमूर्ति ने मार्च २०१५ में आंध्रप्रदेश राज्य के मुख्यमंत्री, राज्यपाल एवं धर्मादाय विभाग के मंत्री को एक निवेदन भेजा था। राज्यशासन ने इस निवेदन पर तत्परता से ध्यान देकर उस पर कार्यवाही करना आरंभ किया। राज्यशासन ने श्री. रमणमूर्ति को इस संदर्भ में वैधानिक रूप से पत्र भेजा। इस पत्र में दी गई जानकारी के अनुसार गोपुरम् की पुर्निर्निमति हेतु ३ करोड २० लाख रुपयोंकी निविदा दी गई है। पिछले वर्ष ही हिन्दू जनजागृति समिति एवं अन्य हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों ने गोपुरम् की पुर्निर्निमति हेतु आंदोलन छेडा था।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात