तेहरान : इस्लामिक स्टेट (आईएस) चीफ अबु बक्र अल बगदादी के मारे जाने की खबर आ रही है। रेडियो ईरान ने यह दावा किया है। पिछले हफ्ते गार्डियन अखबार ने दावा किया था कि ४४ वर्षीय स्वयंभू खलीफा अमेरिकी नेतृत्व वाले हवाई हमले में बुरी तरह घायल हो गया है। हालांकि, अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने इसकी पुष्टि नहीं की थी।
इराकी अधिकारियोंने की थी घायल होने की पुष्टि
एक पश्चिमी राजनयिक और इराकी सलाहकार ने अलग-अलग दिए बयान में बगदादी के घायल होने की पुष्टि की थी। गौरतलब है कि पिछले साल नवंबर और दिसंबर में बगदादी के हवाई हमले में घायल होने और मारे जाने की खबरें आई थीं, हालांकि इनकी पुष्टि नहीं हो सकी थी।
इराकी अधिकारी हिशम अल-हाशिमी ने गार्डियन को बताया, “हां, १८ मार्च को अल बाज के नजदीक उम्म अल-रोउस गांव में हुए हमले में बगदादी घायल हो गया था। उस दौरान संगठन के कई अन्य लीडर भी उसके साथ थे।”
बताया जा रहा है कि मोसुल से २०० मील दूर पश्चिम में स्थित अल-बाज में बगदादी अपना ज्यादातर समय बिता रहा था। संगठन से जुड़े एक सूत्र ने बताया, “उसने इस जगह को इसलिए चुना, क्योंकि वह जानता है कि अमेरिकी सेना की पहुंच वहां तक नहीं है।”
गौरतलब है कि सुन्नी जनजातीय इलाका अल-बाज सरकार के नियंत्रण से बाहर है। सद्दाम हुसैन के समय में भी इस पर सरकारी नियंत्रण नहीं था। २००४ के बाद से इसे जिहादियोंके लिए सबसे सुरक्षित स्थान माना जाता है।
इस्लामिक यूनिवर्सिटी (बगदाद) से डॉक्टरेट की उपाधि
इस्लामिक स्टेट के खलीफा अल बगदादी का पूरा नाम इब्राहिम अव्वद इब्राहिम अली अल बदरी अल समारी है। १९७१ में इराक के समारा में जन्मे बगदादी को इस्लामिक यूनिवर्सिटी, बगदाद से डॉक्टरेट की मानद उपाधि हासिल है। मीडिया रिपोर्टोंके मुताबिक, सद्दाम हुसैन सरकार के तख्तापलट से पहले तक बगदादी सुन्नी इस्लामी प्रचारक हुआ करता था। आज यह शख्स दुनिया के सबसे शक्तिशाली आतंकवादियों में से है।
अल कायदा के चर्चित चेहरे ओसामा बिन लादेन (मृत) और आयमन अल जवाहिरी के विपरीत इस आतंकी की सिर्फ दो ही तस्वीरें सामने आई हैं। इसके बारे में कहा जाता है कि आईएसआईएस के कई कमांडरोंने भी उसे ठीक से नहीं देखा है। वह हमेशा ध्वनि संदेशोंके माध्यम से ही बात करता है। इराक और सीरिया के अधिकांश इलाकोंपर आईएसआईएस का कब्जा है। बगदादी पर ६० करोड़ रुपए का इनाम है।
कैसे बना दुनिया का सबसे खूंखार आतंकी संगठन आईएसआईएस…
अबु मुसाब अल जरकावी को आईएसआईएस (इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड अल-शाम) का जनक माना जाता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, १९८९ के दौरान वह मुजाहिद्दीन में शामिल होने के लिए पाकिस्तान पहुंचा था। तब सोवियत सेना अफगानिस्तान छोड़ चुकी थी। लगभग ११ साल बाद वह अफगानिस्तान के तीसरे सबसे बड़े शहर हेरात (ईरान की सीमा से लगा हुआ) में ट्रेनिंग कैंप ‘अल तौहीद वल-जिहाद’ का इंचार्ज बना। यह कैंप आगे चलकर एक आतंकी समूह के तौर पर उभरा।
इसके बाद तौहीद वल-जिहाद समूह ने दहशत फैलाना शुरू कर दिया। २००३ में समूह ने बगदाद में जॉर्डन दूतावास पर बम धमाके किए। हमले में अयातुल्ला मोहम्मद बकीर अल-हकीम की जान चली गई। अयातुल्ला इराक में इस्लामिक क्रांति के सुप्रीम काउन्सिल के नेता थे। अब जरकावी के हौसले बुलंदी पर थे। उसने २००६ में मुजाहिद्दीन एडवाइजरी काउन्सिल ऑफ इराक की घोषणा कर दी। हालांकि, इसी साल ७ जून को अमेरिकी सैन्य कार्रवाई में वह मारा गया। अब एडवाइजरी काउन्सिल को नया नेता चाहिए था। जरकावी के बाद मिस्र के अबु अय्यूब अल-मसरी उर्फ अबु हमजा अल-मुजाहिर को नया नेता बनाया गया।
अबु हमजा ने बहुत जल्द इराक में अपना दबदबा कायम कर लिया। अक्टूबर में उसने इराक में एक आंदोलन को इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक (आईएसआई) नाम दिया, जो आगे चलकर इराक के ही रहने वाले अबु उमर अल-बगदादी के नेतृत्व में आगे बढ़ा। फिर २०१० के अप्रैल महीने में दोनों मारे गए। इसके बाद अबु बक्र अल-बगदादी को नया नेता बनाया गया।
बगदादी ने आते ही अपने साम्राज्य को फैलाना शुरू किया। उसने २०११ में रमदान के मौके पर कई कमांडरोंको सीरिया में संगठन का विस्तार करने के लिए भेजा। इसके बाद उसी साल दिसंबर महीने में सीरियाई संगठन जब्हात अल-नुसरा ली अह्ल अल-शाम के साथ मिलकर सीरिया में नई फ्रेंचाइजी तैयार की। बगदादी को जब संगठन के मजबूत होने का अहसास हुआ, तब उसने २०१३ में इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड अल-शाम यानी आईएसआईएस की घोषणा कर दी। फिर एक साल बाद रमदान के पहले दिन उसने इस्लामिक स्टेट बनाने की घोषणा कर दी। बीते एक साल में इस संगठन ने कई नृशंस हत्याओंको अंजाम दिया। इनमें सामुहिक नरसंहार भी शामिल हैं।
स्त्रोत : दैनिक भास्कर