फ्रान्स में सभी का सार्वजनिक स्थान पर धार्मिक आस्था दर्शाना प्रतिबंधित है । इसका पालन वो कठोरता से करते है । परंतु भारत में सभी राजनीतिक दल हिंदूंआें को तो सार्वजनिक स्थान पर धार्मिक आस्था दर्शाने से रोकते हैं; पर दूसरी ओर अन्य धर्मियों का तुष्टीकरण करने के लिए उन्हे खुली छूट देते है । क्या भाजपा के राज में यह चित्र बदलेगा ?
फ्रांस में एक १५ साल की मुसलमान लड़कीपर दो बार क्लास में प्रतिबंध लगाया गया, क्यों कि वह काले रंग की लंबी स्कर्ट पहनकर आई थी। धर्मनिरपेक्ष फ्रांस के लिए खुले तौर पर बहुत धार्मिक कदम है, जिसे लेकर एक बहस छिड़ गई है।
इस महीने की शुरुआत में हेड टीचर ने इस लड़की को क्लास में आने से मना कर दिया। टीचर को लगा कि लंबी स्कर्ट मुसलमान औरतें पहनती हैं, जो कि सुस्पष्ट तौर से धार्मिक आस्था को दिखाती है। फ्रांस के सख्त धार्मिक कानून के तहत स्कूलों में इस तरह धार्मिक आस्था दर्शाने में प्रतिबंध है।
स्थानीय शिक्षा अधिकारी पैट्रिक डुटॉट ने कहा, ‘लड़की को सामान्य कपड़ों में स्कूल आने के लिए कहा गया है, लेकिन उसके पिता उसे दोबारा स्कूल आने नहीं देना चाहते हैं।’ उन्होंने बताया कि चार्लेविले मेजाइयर्स के नॉर्थइस्ट टाउन में स्थित इस स्कूल परिसर में घुसने से पहले लड़की हमेशा अपना परदा उतार लेती थी, क्यों कि यह नियम कानून द्वारा निर्धारित था।
साल २००४ के कानून के मुताबिक, शिक्षण संस्थानों में बुर्का, जेविश किप्पा और क्रिश्वन का क्रॉस पहने में प्रतिबंध है, लेकिन विचारशील धार्मिक संकेत की मंजूरी है। सारा नाम की लड़की, जिसपर स्कूल ने प्रतिबंध लगाया, उसका कहना है कि उसकी स्कर्ट में कुछ ऐसा विशिष्ट नहीं था। इसमें कोई धार्मिक चिन्ह भी नहीं था।
सीसीआईएफ इस्लामोफोबिया वॉचडॉग के मुताबिक, कुछ १३० छात्रों को उनके कपड़ों, जिनसे धार्मिक आस्था झलती है, के लिए रिजेक्ट किया गया है।
स्त्रोत : आज तक