२५ अप्रैल को नेपाल में ७.९ `रिश्टर स्केल’ इतना बडा भूकंप होने पर वहां उत्पन्न भयानक स्थिति देखकर ‘यह प्राकृतिक आपदा अर्थात आपत्कालद्वारा बताई गई एक झलक है’, ऐसा ध्यान में आया। ‘इस घोर आपत्काल में भी धर्मकार्य करनेवालोंकी रक्षा ईश्वर कैसे कर रहा है, इस की हमने साक्षात् अनुभूति ली।’
स्थानीय दूरभाष तंत्र एवं विद्युत आपूर्ति खंडित
नेपाल में भूकंप होने की जानकारी मिलने पर मैंने प्रथम ‘फोरम फॉर हिंदु अवेकिंनग’ के नेपाल प्रतिनिधि कु. सानु थापा से संपर्क किया, तो उन से पता चला कि वहां के स्थानीय दूरभाष तंत्र एवं विद्युत आपूर्ति खंडित हो गई है । उन्होंने स्पष्ट कल्पना दी कि – कुछ घंटों उपरांत वहां से इ-मेल अथवा दूरभाषद्वारा संपर्क करना कठिन होगा। आम तौर पर नेपाल में ८ से १० घंटे भारनियमन होता है। अब तो स्पष्ट हो गया कि अधिकांश क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति कुछ दिन तक तो बंद ही रहेगी। फलस्वरुप विद्युत के आधार पर चलनेवाले सभी तंत्र एवं व्यवस्था भी खंडित होगी इसका भान हुआ।
यातायात खंडित हो गई !
भारत एवं नेपाल का महामार्ग भूकंप से उद्ध्वस्त हो गया है। उन मार्गोंको जोडनेवाले उपमार्ग भी धंस गए हैं। मार्गों में बडी बडी दरारें पड गई हैं। इसलिए यातायात खंडित होने से सहायता करने में अडचनें आ रही हैं।
नेपाल में सेवाकार्य उपलब्ध !
भूकंप से नेपाल के काठमांडू नगर के लोगोंके घर ढह गए हैं। इसलिए अनेक लोगोंने योगऋषि रामदेवबाबा के योग शिविर के तंबू में ही आश्रय लिया है। ‘राष्ट्रीय धर्मसभा नेपाल’ के डॉ. माधव भट्टराय गुरुजी एवं ‘हिन्दू जागृति नेपाल’ के प्रा. डॉ. गोविंद शरण उपाध्याय से संवाद करने पर वहां की भयंकर दारुण परिस्थिति आंखोंके सामने आ गई। भूकंप के पश्चात मृतदेह बाहर निकालने हेतु मिट्टी के ढेर उठाने का कार्य आरंभ हुआ। वहां भवन इतनी बडी संख्या में गिरे हैं कि यह कार्य आगे एक महिना तक निश्चित रूप से चलेगा। जहां भी दृष्टि जाए, वहां सभी ओर इंट एवं मिट्टी के ढेर, कीचड, लकडे, खिडकियोंके कांच, अधूरे गिरे भवन, घायल एवं कीचड से भरे लोग दिखाई दे रहे हैं। अतः मैंने वहां ”क्या स्वयंसेवी संगठनोंके कार्यकर्ता आपत्कालीन सहायता कार्य करने हेतु आ सकते हैं ?” ऐसा पूछने पर डॉ. उपाध्याय ने कहा कि वहां वर्तमान समय में केवल दो प्रकार का सेवाकार्य उपलब्ध है। एक है मिट्टी के ढीग से मृतदेह निकालना एवं दूसरा भूकंपग्रस्तोंको वैद्यकीय सेवा उपलब्ध कराना !
संक्रामक रोग फैलने की संभावना !
‘भूकंपग्रस्तोंको वैद्यकीय सुविधापूर्ति करना क्यों आवश्यक है’, यह कु. थापा से बोलते समय भी ध्यान में आया। सर्वत्र भवन ढह जाने के कारण संग्रहित ढेर एवं भूकंप होने के उपरांत वहां निरंतर होनेवाली रिमझिम वर्षा से हुआ कीचड, ढेर के नीचे कुछ दिन से गडे हुए एवं इदर-उधर बिखरे मृतदेह तथा अशुद्ध जल ऐसी संक्रामक रोगोंको आमंत्रित करनेवाली स्थिति उत्पन्न हो गई है। इन में यदि संक्रामक रोगोंने घर किया, तो ‘अकाल में तेरहवा महिना’ ऐसी अवस्था होगी एवं मरनेवाले नागरिकोंकी संख्या बढेगी। ऐसे समय भूकंप पीडितोंको दोहरी वैद्यकीय सहायता की पूर्ति करने में अधिक अडचनें आएगी।.
जल का अभाव !
नेपाल में जल का अभाव बहुत है। जो भी जल है, वह अत्यंत अशुद्ध है। ऐसे भी वहां के लोग ‘बोतलबंद’ जल (बिसलरी वॉटर) पीते हैं। अब तो वहां संक्रामक रोगोंके फैलने की संभावना होने से ‘बोतलबंद’ जल ही पीने के संदर्भ में प्रचार किया जा रहा है। इसलिए अब वहां शुद्ध जल का प्रचंड अभाव होने की संभावना को नकार नहीं सकते। इस अभाव के कारण जल की किमते बढेगी, तो नागरिकोंको जीना ही दुर्भर होगा !
इंधना का अभाव !
काठमांडू एवं समीप के परिसर में इंधन का अभाव रहने से पेट्रोलियम आस्थापनोंने इंधन के शुल्क में अनेक गुना वृद्धि की है। महंगा इंधन एवं आपात्काल का अपलाभ (अनुचित लाभ) उठाने के उद्देश्य से टैक्सी समान वाहनोंका किराया बिलकुल सहस्रोंके घर में निश्चित किया गया है। इसलिए इस घोर संकट में फंसे पर्यटक, स्थानीय अथवा अन्य देशोंके नागरिक अधिक अडचन में आ गए हैं।
चोरोंका भरमार होने की संभावना !
भारत में उत्तराखंड की आपत्ति के समय ‘मृतकों के तालू पर का मक्खन’ खानेवाले नेपाल से आए चोरोंका भरमार हो गया था। इसलिए अब नेपाल में वैसा होने की संभावना अधिक है।
‘धर्मो रक्षति रक्षितः।’ इस धर्म वाक्य की प्रतीति !
पूर्वनियोजन के अनुसार हम २५ अप्रैल को नेपाल में रहनेवाले थे; परंतु २५ अप्रैल को होनेवाले हरिद्वार के कार्यक्रम में उपस्थित रहने हेतु हम ने २१ अप्रैल को ही नेपाल छोडा। उस समय योगतज्ञ रामदेवबाबा भी नेपाल में ही थे। उन्होंने उन का योगशिविर का स्थान छोडा एवं कुछ मिनटों में ही भूकंप हुआ। कुछ मिनट के अंतर से वे भूकंप से बचे। ‘धर्मो रक्षति रक्षितः।’ अर्थात ‘धर्मका कार्य करनेवालोंका धर्म अर्थात ईश्वर रक्षा करता है’, इस धर्मवाक्य की प्रतीति हमने ली !
धर्मप्रेमियोंका हिन्दू जनजागृति समिति पर विश्वास !
उत्तर भारत एवं नेपाल में भूकंप की आपत्ति आने के उपरांत दूसरे एवं तीसरे दिन अनेक हिन्दू संगठनोंके कार्यकर्ता, धर्मप्रेमी, ‘हिन्दू जागृति डॉट ओआरजी’ संकेतस्थल के पाठक इत्यादियोंने समिति के अनेक स्थान के समन्वयकोंको भ्रमणभाष कर ”क्या भूकंपग्रस्तोंके लिए हिन्दू जनजागृति समिति कुछ कार्य करेगी”, आस्थापूर्वक ऐसा पूछा। इन में कुछ लोगोंने प्रत्यक्ष पुनर्वसन कार्य मे सम्मिलित होने तथा कुछ लोगोंने अर्थसहायता करने की इच्छा व्यक्त की। ‘हिन्दू युवा संयोजन’ के श्री. सागर मांडव ने भारत से आनेवाले ६ ते ७ कार्यकर्ताओंके निवास की सुविधा करने की इच्छा प्रर्दिशत की। यह अनेक वर्षोंसे समितिद्वारा किए गए हिन्दुत्व के निःस्वार्थ कार्य की प्रतीति ही है ! इस प्रतिसाद के कारण हम हिन्दुत्वनिष्ठोंको ‘अपने एकमात्र हिन्दू बहुसंख्यक मित्र देश की सहायता के लिए धर्मबंधुत्व के नाते से जाने हेतु’ आवाहन कर रहे हैं।
आपदग्रस्तोंको सहायता करते समय ‘आपत्कालीन सहायता कैसे करें’ सीख लें !
शीघ्र ही भारत से हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनोंके कार्यकर्ता नेपाल पहुंचेंगे। इस आपत्कालीन स्थिति में आपदग्रस्तोंको कैसे सहायता करनी चाहिए, यह सीखना उन्हें संभव होगा। सहायता करते समय आनेवाली अडचनें, नियोजन, साहित्य प्राप्त करना इत्यादि सूत्र सीखने के कारण भविष्य में आनेवाले अधिक घोर आपत्काल में इसका लाभ होगा।
(पू.) डॉ. चारुदत्त पिंगळे, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिति
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धर्मप्रेमियोंको हिन्दू जनजागृति समिति का आवाहन !
Nepal earthquake relief work : HJS to help in Nepal and North India
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स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात