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भारतीय महिलाओ, पाश्चात्त्य स्त्रियोंका अनुकरण करनेसे उत्पन्न होनेवाले धोखे जान लें !

पौष शुक्ल पक्ष ११, कलियुग वर्ष ५११५ 

१. स्त्रियोंमें होनेवाला मुखकर्करोगका प्रादुर्भाव तथा उसके कारण

स्त्रियोंमें बढती मात्रामें मुखकर्करोग (oral cancer) का फैलाव होनेकी पुष्टि डॉ. रुडोल्फ फ्राइज (लिन्ज, आस्टि्रया) ने की है, ऐसा वृत्त ११.९.१९८० के हिंदुस्थान टाइम्समें प्रसिद्ध हुआ है । स्त्री स्वतंत्रताकी बढती मांग, सौंदर्य वृदि्ध करनेका भूत सवार होना, ये उसके मुख्य कारण हैं, साथ ही वर्तमानमें स्त्रियोंको मदिरा एवं धूम्रपान का बडी मात्रामें लगा नशा भी एक कारण है । 

२. मुखकर्करोगके संदर्भमें पुरुषोंकी अपेक्षा स्त्रियोंमें प्रमाणसे अधिक होनेवाली बढोतरी 

‘आस्टि्रयन सोसाइटी ऑफ ओरल एंड मैक्सीलोफेसियल सर्जरी’ के अध्यक्ष डा. फ्रीज कहते हैं, ३० वर्षपूर्व कर्करोगका प्रमाण पुरुष तथा स्त्रियोंमें ४ : १ ऐसा था । अब यह प्रमाण ३ : १ तथा कभीकभी ४ : २ ऐसा भी होता है । 
संकलक : त्र्य. गो. पंडे (संदर्भ : प्रज्ञालोक, जनवरी १९८१)

(पाश्चात्त्योंके अनिर्बंध स्वतंत्रताकी परिणति दुराचारमें होनेसे आज पाश्चात्त्य स्त्रियोंकी अवस्था अधिक ही हीन-दीन हो गई है ! कुमारी माता, विवाहबाह्य संबंध तथा उससे उत्पन्न होनेवाली अनौरस पीढी, संबंधविच्छेदका (तलाकका) बढता प्रमाण तथा उस कारण गिर रही परिवार व्यवस्था इन कारणोंसे पाश्चात्त्योंका सामाजिक स्वास्थ्य असंतुलित हो गया है । मदिरा तथा धूम्रपानके साथ बडी मात्रामें आरोग्यविघातक सौंदर्यप्रसाधनोंका उपयोगके कारण वहां स्त्रियां मुखकर्करोगजैसी दुर्धर व्याधिकी बलि चढ रही हैं । इतना ही नहीं, अपितु स्त्रियोंके मदिरा तथा धूम्रपान इन नशाओंका नवजात बालकोंपर भी विपरीत परिणाम हो रहे हैं । पाश्चात्त्य स्त्रियोंके जगमगाते (ग्लेमरस) तथा स्वतंत्रताका अतिरेक वाली जीवनशैलीका अनुकरण करनेमें सुधार (फारवर्डनेस) एवं आनंद माननेवाली भारतीय स्त्रियोंको अपने स्वास्थ्य तथा समाजस्वास्थ्यपर होनेवाले दुष्परिणाम समझ लेनेपर तथा संभाव्य हानि टालकर उन्हें स्त्रियोंका सर्वार्थसे गौरव करनेवाली हिंदु संस्कृतिकी महानता तथा महत्त्व ध्यानमें आएगा । – संकलक, दैनिक सनातन प्रभात )

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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