पूज्यपाद संतश्री आसारामजी बापू के विषय में जो डॉ. स्वामी जी को पता चला वो भाजपा के अन्य नेताआें को क्यों पता नही चला ? या उन्होंने इसका पता लगाने का प्रयास ही नहीं किया ? और नहीं किया तो क्यों नहीं किया ? हिंदूंआें, संतोंका सम्मान करनेवाले धर्माचरणी राज्यकर्त्याआें के हिंदू राष्ट्र अर्थात रामराज्य की स्थापना करो । – सम्पादक, हिन्दू जनजागृति समिति
नई दिल्ली – पिछले साल आम चुनावों से ठीक पहले अपनी जनता पार्टी का विलय भाजपा में करने के बाद से भगवा राजनीति का प्रमुख चेहरा बने सुब्रमण्यम स्वामी अपनी खास राजनीतिकि शैली के लिए जाने जाते हैं। वह देश के सबसे शक्तिशाली कहे जाने वाले गांधी परिवार के खिलाफ बेखौफ होकर मुहिम चलाते हैं, अल्पसंख्यकों को लेकर अपने कट्टर विचारों के सार्वजनिक इजहार से हिचकते नहीं हैं और ज्वलंत मुद्दों पर पार्टी लाइन की तरफ से भी बेपरवाह नजर आते हैं। स्वामी ने कथित बलात्कार के आरोपी संत श्री आसाराम बापू से हाल ही में जेल जाकर मिलने और उनका केस लडने का ऎलान की वजह से चर्चा में हैं।
एक न्यूज चैनल ने उनसे इस ऎलान की वजह जाननी चाही, तो कुछ और मुद्दों पर भी बातचीत की। उनसे पूछा गया कि उनके आसाराम बापूजी का केस लडने की वजह क्या है! इस पर स्वामी ने कहा कि मुझे पता लगा कि पूज्य आसाराम बापूजी, जिनके दुनियाभर में भक्त हैं, वह १८ महीने से जमानत के बिना जेल में हैं। फिर मैंने पता किया कि उन पर क्या आरोप हैं तो पता चला कि एक लडकी ने आरोप लगाया था कि मेरे साथ दुव्र्यवहार हुआ। बलात्कार हुआ। मैंने जब छानबीन की तो लडकी के बयान के आधार पर जोधपुर में यह तथाकथित घटना हुई और उसने दिल्ली में मामला दर्ज कराया। क्रिमिनल लॉ में इस तरह का प्रावधान नहीं है कि अपराध एक जगह हो और उसकी एफआईआर दूसरी जगह हो। पर दिल्ली पुलिस ने जीरो एफआईआर के आधार पर मेडिकल कराया।
मेडिकल रिपोर्ट में साफ लिखा है कि इस लडकी के शरीर पर कोई चोट नहीं थी, बलात्कार को कोई संकेत नहीं था, नाखून तक की खरोंच नहीं थी। इस रिपोर्ट को देखने के बाद मुझे आश्चर्य हुआ कि आसाराम बापूजी बिना बेल के १८ महीने से कैसे जेल के अंदर हैं, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के अनेक फैसलों के अनुसार, यह स्पष्ट है कि जेल अपवाद होता है और बेल अनिवार्य होता है। स्वामी ने कहा कि बेल का एक ही उद्देश्य होता है कि जब ट्रायल शुरू होगा, उस समय आसाराम बापूजी को प्रस्तुत होना पडेगा। अब पूज्य बापूजी जैसे व्यक्ति का देश छोडकर भागने का सवाल ही नहीं होता। इस पूरे मामले को देखने के बाद लगा कि कोई इसके पीछे है। मैं अब सहमत हो गया हूं कि उनकी जो गिरफ्तारी हुई थी, उस समय राजस्थान में कांग्रेस की सरकार थी। केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी तो यह सोनिया गांधी के निर्देश पर हुई थी, क्योंकि आसाराम बापू उनके खिलाफ बोलते थे। दूसरा आसाराम बापू घर वापसी कार्यक्रम चलाते थे। जो ईसाई मिशनरीज ने गुजरात के आदिवासी बहुल इलाकों में पैसे देकर धर्म परिवर्तन कराया था, वह उन्हें वापस ला रहे थे। उस नाराजगी के कारण क्रिश्चियन लॉबी ने ऎसा किया। अब पूज्य बापूजीका स्वभाव ऎसा है कि उनके दुश्मन आसानी से बन जाते हैं।
सुब्रमण्यम स्वामी के मुताबिक, आसाराम बापू के राजनीति में दुश्मन हैं, तो उनके समर्थक भी हैं। लेकिन वे समर्थक कायर थे। मैं न तो आसाराम बापूजी का शिष्य हूं न उन्हें जानता हूं, परंतु मैं मानता हूं कि आसाराम बापूजी जैसे संत को १८ महीने तक जेल में बिना बेल के रखना, यह हमारे संविधान के विपरीत है। स्वामी कहा कि जहां तक आसाराम बापूजी के विरूद्ध गवाही देने वालों पर हमले का सवाल है तो यह सब मीडिया की बनाई हवा है। इससे पहले आगरा में चर्च पर हुए हमले में हिंदुत्व का नाम लेकर खूब उछाला गया, लेकिन अब मामला दूसरा सामने आया है। इसी तरह से हो सकता है कि आसाराम बापूजी के गवाहों पर हमलों का भी दूसरा कारण हो। खैर, मैं इस बात की गहराई में नहीं जाना चाहता। जो तथ्य हैं, उनके साथ कोर्ट में खडा होऊंगा।
स्त्रोत : खास खबर