एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) की विशेष कोर्ट ने गुरुवार को १३ लोगोंको दोषी ठहराया है। इन सभी पर केरल के एक प्रोफेसर का हाथ काटने का आरोप सिद्ध हुआ है। कोर्ट ५ मई को अगली सुनवाई में इन्हें सजा सुना सकती है।
कोर्ट ने १३ दोषियों में से १० को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (यूएपीए) की विभिन्न धाराओंके तहत भी दोषी माना है। जज पी. शशिधरन ने १८ अन्य को सबूतोंके अभाव में बरी कर दिया। ये सभी लोग कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से जुड़े हुए हैं।
घटना चार जुलाई २०१० की है। इडुक्की जिले में तोडुपुझा के न्यूमैन कॉलेज के प्रोफेसर टीजे जोसेफ पर कुछ लोगोंने हमला कर उनका दाहिना हाथ काट दिया था। उस वक्त प्रोफेसर जोसेफ रविवार की प्रार्थना के बाद चर्च से लौट रहे थे। प्रोफेसर जोसेफ ने बीकॉम की सेमेस्टर परीक्षा के लिए जो प्रश्न पत्र बनाया था, उस में कथित तौर पर एक धर्म विशेष के खिलाफ टिप्पणियां थीं। इसी वजह से उन पर हमला किया गया था।
कुल ३७ आरोपी बनाए गए थे
कोर्ट ने जुलाई २०१३ में मामले की सुनवाई शुरू की। इस दौरान अभियोजन पक्ष के ३०० और बचाव पक्ष के चार गवाहोंके बयान हुए। शुरुआत में केरल पुलिस ने ५४ लोगोंको आरोपी बनाया था। लेकिन अप्रेल २०११ में एनआईए ने जांच शुरू की। उसने चार्जशीट में ३७ लोगोंको आरोपी बनाया था। इनमें से ३१ पर मुकदमा चला। मुख्य आरोपी सवद सहित छह फरार हैं।
जोसेफ ने कहा – मैं तो उन लोगोंको कब का माफ कर चुका हूं
इस फैसले के बाद प्रोफेसर जोसेफ ने कहा, ‘मुझे इस फैसले से कोई फर्क नहीं पड़ता। क्यों कि मैं तो उन लोगोंको कब का माफ कर चुका हूं।’ वे अपनी किताब की रिलीज के मौके पर मीडिया से बात कर रहे थे। न्यूमैन कॉलेज में प्रोफेसर जोसेफ मलयालम भाषा विभाग के अध्यक्ष थे। प्रश्न पत्र विवाद के बाद उन्हें नौकरी से हटा दिया गया था। इस के बाद हमले में हाथ काट दिया गया। हालांकि डॉक्टरोंने उसे वापस जोड़ दिया और वह ठीक हो गए। पिछले साल उनकी पत्नी सलोमी ने अपनी जिंदगी का अंत कर लिया। उनकी मौत के कुछ दिन बाद ही जोसेफ को कॉलेज ने फिर नौकरी पर रख लिया। और चंद दिनों बाद ही ३१ मार्च २०१४ को वे रिटायर हो गए।
स्त्रोत : दैनिक भास्कर