गुवाहाटी – असम के एक चित्रकार अकरम हुसैन को अपनी एक पेंटिंग के लिए भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है। अपनी बनाई एक पेंटिंग में हुसैन ने दिखाया है कि कैसे तिरंगे जैसी आकृति में से शराब की बोतलें और अंडरगार्मेंट्स निकल रहे हैं।
इससे पहले अकरम हुसैन ने ‘रासलीला-थीम’ को लेकर बनाई एक पेंटिंग में भगवान कृष्ण को बार में बिकनी पहनी महिलाओं में घिरा दिखाकर धार्मिक संस्थाओं को भड़का दिया था।
हुसैन द्वारा बनाई गई इस नई विवादित पेंटिंग को कुछ दिन पहले गुवाहाटी में आयोजित एक प्रदर्शनी में लगाया गया था। उनकी इस कथित आपत्तिजनक पेंटिंग को देखने के बाद वकील धर्मनंदा देब ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी। धर्मनंदा ने अकरम हुसैन के खिलाफ गुवाहाटी से ३४५ किलोमीटर दूर सिलचर में एफआईआर दर्ज कराई है। इसके अलावा हिंदू जागरण मंच ने भी हुसैन के खिलाफ गुवाहटी के लतासिल पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराई है।
गुवाहाटी के पुलिस उपायुक्त अमिताव सिन्हा ने कहा कि शिकायत दर्ज होने के बाद विवादित पेंटिंग को हटा लिया गया। उन्होंने कहा कि पुलिस इस मामले को देख रही है। हुसैन से पुलिस का संपर्क नहीं हो पाया है। पुलिस के मुताबिक हो सकता है वह कहीं छुप गया हो।
सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर भी लोगों ने हुसैन की आलोचना की है। ऑल इंडिया पैट्रियटिक फोरम की असम ब्रांच ने यह कहकर हुसैन की निंदा की है कि उन्होंने कला की स्वतंत्रता के नाम पर राष्ट्रीय झंडे का अपमान किया है। फोरम के मुताबिक, ‘तिरंगे की पेंटिंग बनाकर उसमें से प्रतीकात्मक रूप से शराब की बोतलें, अंडरगार्मेंट्स और अन्य आपत्तिजनक चीज़ें बाहर निकलते हुए दिखाकर हुसैन ने भारतीय सभ्यता, संस्कृति, धर्म और धरोहर को कमज़ोर तरीके से पेश किया है। उनकी यह हरकत माफी के लायक नहीं है।’
फोरम आगे कहता है कि ‘प्रिवेंशन ऑफ इन्सल्ट टू नेशनल ऑनर ऐक्ट ऑफ १९७१’ के अंतर्गत यदि कोई भी व्यक्ति सार्वजनिक या किसी अन्य जगह पर राष्ट्रीय ध्वज के प्रति लोगों की भावना को भड़काता या अपमानित करता है तो वह सज़ा का हकदार है।
असम सत्र महासभा ने भी भगवान कृष्ण के कथित ईशनिंदा चित्रण के लिए हुसैन की निंदा की है। असम पब्लिक वर्क्स और पैट्रियटिक पीपल्स फ्रन्ट जैसी अन्य कई गैर-सरकारी संस्थाओं ने भी हुसैन को कड़ी सज़ा देने की मांग का सपोर्ट किया है। इन संस्थाओं ने कल्चरल अफेयर निदेशायल द्वारा आपत्तिजनक पेंटिंग को प्रदर्शनी में लगाने की अनुमति देने की आलोचना की है।
हालांकि असम के कुछ चित्रकारों ने हुसैन का यह कहते हुए बचाव किया है कि एक कलाकार जो महसूस करता है वो चित्रित कर सकता है।
स्त्रोत : नवभारत टाइम्स