नागौर (राजस्थान) : जोधपुर रोड पर ऐसी गोशाला है, जहां ट्रॉमा सेंटर, इमरजेंसी यूनिट, आईसीयू और ऑपरेशन थिएटर की सुविधा है। गंभीर घायल गायों के लिए वेंटिलेटर तक है। इलाज सीखने के लिए कॉलेजों के वेटेनरी मेडिकल कॉलेजों के इंटर्नशिप करने आते हैं।
सकारात्मक सोच और अच्छे मैनेजमेंट की सीख देने वाली यह गोशाला आज देशभर में एक अनुकरणीय उदाहरण बनकर सामने आ रही है। गोशाला में एक महीने का खर्च ९० लाख रुपए है। यह सब दानदाताओं के सहयोग से होता है। इस गोशाला में गायों की देखभाल ही नहीं इलाज को सीखने के लिए प्रदेश भर से वेटेनरी मेडकिल कॉलेजों के इंटरशिप करने के लिए आते हैं।
ऑपरेशन थिएटर भी बड़ा
ऑपरेशन थिएटर मेंं १० गुणा १५ फीट का बेड है। ऑक्सीजन सिस्टम से लेकर एक्सरे मशीनें और ब्लड जांच सुविधाएं मौजूद है।
हर बीमार गाय पर एक कम्पाउंडर, विशेषता- उपचार एक साथ
आम तौर पर इंसानों के बड़े से बड़े अस्पताल का आईसीयू वार्ड १५ से २० बेड का होता है। गोशाला में गंभीर बीमार गायों का आईसीयू वार्ड इतना बड़ा है कि उसमें १०० से १५० गायों को एक साथ रखने और उनका एक साथ उपचार करने की क्षमता है। हर बीमार गाय पर एक कम्पाउंडर काम करता है।
खर्च- हर दिन ३ लाख रुपए तक
गोशाला संचालक स्वामी कुशालगिरी महाराज बताते हैं कि हर रोज ३ लाख रु. का औसत खर्च है। इनमें ३० हजार रुपए की दवाइयां, पशु आहार व चारे पर औसतन प्रतिदिन १.२० लाख रुपए का खर्च, नर्सिंग स्टाफ और अन्य कार्मिकों की सैलरी पर १.१० लाख, ६० हजार रुपए प्रतिदिन गोशाला के रख रखाव, मीठे पानी, दूध आदि पर खर्च।
आईसीयू वार्ड
श्रीकृष्ण गोपाल गोशाला की खासियत सिर्फ गायों का इलाज करने तक सीमित नहीं है। गोशाला प्रबंधन ने गायों के लिए इलाज की चक्रीय चिकित्सा पद्धति बना रखी है। यहां गंभीर हालत में आने वाली गाय को सबसे पहले आईसीयू वार्ड में रखा जाता है। इसके बाद संबंधित रोग के अनुसार उसे वार्ड में शिफ्ट किया जाता है। वहां गंभीर बीमार गाय से लेकर सामान्य बीमार गाय का इलाज होता है।
स्त्रोत: दैनिक भास्कर