आषाढ कृ १२, कलियुग वर्ष ५११४
पुलिस अधिक्षकोंको केवल निलंबित न करें, अपितु उन्हें कारागृहमें बंदी बनाए रखें !
मन्सा (पंजाब)
– यहांके एक कसाईखानेमें अनेक गौओंकी हत्या करनेकी बात ध्यानमें आते ही मन्साके लोगोंने उस कसाईखानेपर आक्रमण किया एवं कसाईखानेकी तोडफोड की । इस विषयमें अपने कर्तव्यमें त्रुटि रखनेवाले मन्साके वरिष्ठ पुलिस अधिक्षक सुखदेवसिंग छहलको पंजाबके प्रमुख नेता प्रकाशसिंह बादलने निलंबित किया । मुख्यमंत्रीद्वारा इस विषयकी पूछताछ करनेकी आज्ञा की गई है, ऐसी सूचना बठिंडाके पुलिस महानिरीक्षक निर्मलसिंह धिल्लॉनद्वारा प्राप्त हुई हैं । (पुलिस अधिकारीको केवल निलंबित न कर उन्हें कारागृहमें बंदी बनाकर रखना चाहिए, साथ ही गौओंकी हत्या कर हिंदुओंकी धार्मिक भावनाओंको आहत करनेवाले कसाईखानेके मालिकोंपर भी मुख्यमंत्री कठोर कार्रवाई करें ! गोमाताकी हत्या करनेवालोंपर राजनेता कठोर कार्रवाई करने हेतु उद्युक्त हों, इसलिए हिंदु भी उनपर संगठित रूपसे दबाव डालें ! – संपादक)गांवके संतप्त गुटको नियंत्रणमें रखने हेतु जनपद प्रशासनने वहां संचारबंदीका आदेश दिया था; परंतु उस आदेशको ठुकराकर गांवके नागरिकोंने आंदोलन जारी ही रखा । अतः पुलिसद्वारा उन्हें लाठीसे मारपीट की गई । उसमें ४ लोग घायल हुए ।
पुलिस महानिरीक्षक निर्मलसिंग, जनपद अधिकारी अमित ढाका, मन्साके विधायक प्रेम मित्तलने घटनास्थलको भेंट देकर अपराधियोंपर कार्रवाई करनेका आश्वासन दिया ।
गौओंकी क्रूरतासे हत्या कर गोरक्षा कानूनका उल्लंघन करना, साथ ही हिंदुओंकी धार्मिक भावनाको आहत करना इस अभियोगसे पुलिसने कसाईघरके तीन भागीदारियोंके विरोधमें परिवाद प्रविष्ट किया है । बंदीकी संभावना ध्यानमें आते ही अपने परिवारके साथ कसाईघरके भागिदार गांवसे भाग गए । (भाग गए कि भाग जाने हेतु सहायता की गई ? – संपादक)
स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात