(कहते हैं) घृणा एवं विभाजनपर धर्म नहीं टिक सकता !

पौष शुक्ल पक्ष १५, कलियुग वर्ष ५११५

बकरी ईद, मोहरम, रमजान ईद तथा क्रिसमसके समय मौन रहनेवाले प्रधानमंत्रीद्वारा स्वामी विवेकानंदजीकी जयंतिके अवसरपर सहिष्णु हिंदुओंको उपदेश दिया गया !

हिंदु धर्ममें ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ ऐसा कहा गया है । प्रधानमंत्री ऐसे संस्कारसे प्रभावित धर्मियोंको परामर्श देनेके स्थानपर जिहादद्वारा अन्य धर्मियोंका विनाश करनेवाले तथा पूरे विश्वको ईसाई बनाने हेतु प्रयासरत व्यक्तियोंको उपदेश दें ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात

नई देहली – स्वामी विवेकानंदजीकी १५० वीं जयंतिके अवसरपर उन्हें आदरांजली अर्पण की गई । इस अवसरपर आयोजित कार्यक्रममें बोलते समय प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंहने बिना नरेंद्र मोदीका नाम लिए उनकी आलोचना की एवं कहा कि वर्तमान समयमें अपने देश एवं उपखंडको स्वामी विवेकानंदजीके संदेशकी अत्यधिक आवश्यकता है । (यह हिंदुओंको बतानेकी क्या आवश्यकता हैं ? हिंदुओंको यह ज्ञात है । इसलिए वे केवल शांत ही नहीं, अपितु मृतवत् हो गए हैं ।- संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )  धर्म एवं धार्मिकता विभाजन एवं घृणाके बलपर नहीं टिक सकते । एक-दूसरेके धर्मकी आस्थाओंके संदर्भमें सम्मान एवं सहिष्णुता दर्शानी चाहिए । (प्रधानमंत्री ऐसा मानते हैं कि हिंदू देशद्रोही हैं । भारतका विभाजन धर्मके आधारपर हुआ तथा उसे धर्मांध एवं देशद्रोही मुसलमान उत्तरदायी थे । इस विभाजनके कारण १० लाख हिंदुओंकी हत्या हुई एवं लाखों हिंदू महिलाओंपर बलात्कार हुए । लाखों लोगोंका धर्मपरिवर्तन किया गया । पाकिस्तान एवं बांग्लादेशमें लगभग १९४७ के समयकी हिंदुओंकी जनसंख्या अब नहीं के बराबर हो गई है । क्या प्रधानमंत्रीको यह ज्ञात नहीं कि इसके लिए धर्मांध मुसलमान ही उत्तरदायी हैं ?- संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) इस अवसरपर कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी भी उपस्थित थीं । (स्वामी विवेकानंदजीने अमेंरिकामें जाकर हिंदु धर्मका प्रचार एवं प्रसार किया । कांग्रेसी राजनेता हिंदुओंके मूलपर उठे हैं । उन्हें स्वामी विवेकानंदजीकी जयंति मनानेका क्या अधिकार है ? क्या ये उनका ढोंग नहीं है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

प्रधानमंत्री डॉ. सिंहके वक्तव्य

१. स्वामी विवेकानंदजीके विचारोंसे हम बहुत प्रभावित हैं । (सचिवद्वारा लिखित भाषण पढकर सुनाने एवं थाप मारनेवाले  प्रधानमंत्री ! यदि विवेकानंदजीके विचारोंसे प्रभावित होते, तो प्रधानमंत्रीके कृत्यसे उसका प्रकटीकरण होता था; परंतु वैसा कहींपरभी कभी अनुभव नहीं हुआ । – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
२. यदि हमने स्वामीजीकी सीखको नहीं स्वीकारा, तो जयंती मनानेमें कोई अर्थ नहीं है । (प्रधानमंत्री ये बात अन्योंकी अपेक्षा सर्वप्रथम कांग्रेसियोंको बताएं ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
३. वर्ष १८९३ की धर्मपरिषदमें स्वामीजीद्वारा किए गए भाषणका उल्लेख कर प्रधानमंत्रीने कहा, ‘’जिस समय पूरे विश्वमें खूनखराबा हो रहा था, उस समय स्वामीजी विश्वमें शांति एवं संयम लाने / संजोने हेतु प्रयास कर रहे थे ।’’ (यदि कांग्रेसियोंने स्वामी विवेकानंदजीकी मानसिकताका अनुकरण किया होता, तो उनकेद्वारा १९८४ के सिक्खविरोधी दंगोंमें साढेतीन सहस्र सिक्खोंकी हत्या नहीं होती थी ।- दैनिक सनातन प्रभात संपादक)

राहुल गांधीको उपदेश देनेके स्थानपर सोनिया गांधी कहती हैं, ‘’विवेकानंदजीकी सीख आजकी युवापीढीके लिए अत्यधिक उपयोगी है !’’

सोनिया गांधीने कहा, ‘’स्वामी विवेकानंदजीकी सीख आजके युवापीढीके लिए अत्यधिक उपयोगी है । देश इस सीखको कभी न भूले । पूरा विश्व वृद्धावस्थामें रहते समय भारत युवकोंका देश बना हुआ है ।’’ (कांग्रेसियोंने इन युवकोंको दिशाहीन एवं दुर्बल बनाया है । इन युवकोंका भविष्य सुखसमाधानमें व्यतीत होने हेतु कांग्रेसको हटाना अनिवार्य है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

धर्मांध मुसलमानोंद्वारा हिंदुओंपर आक्रमण होते समय प्रधानमंत्री कहते हैं,
अल्पसंख्यकोंकी सुरक्षाका दायित्व सरकारका है !

नई देहली – राज्य अल्पसंख्यक आयोगके वार्षिक बैठकमें बोलते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंहने वक्तव्य दिया कि अल्पसंख्यक नागरिकोंको सुरक्षापूर्ति करनेका दायित्व सरकारका है । (प्रधानमंत्री ध्यानमें रखे कि केवल अल्पसंख्यकोंको ही नहीं, अपितु प्रत्येक नागरिकको सुरक्षापूर्ति करनेका दायित्व सरकारका है ।- संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) देशमें कुछ स्थानोंपर अल्पसंख्यकों एवं बहुसंख्यकोंमें तनाव दिखाई देता है । कुछ लोग इसमें दायित्व लेकर कुछ नागरिकोंको दुख दे रहे हैं । (क्या प्रधानमंत्रीके पास यह जानकारी नहीं कि धमार्धं मसुलमान हिंदुओंपर आक्रमण कर उनपर अत्याचार करते हैं ?- संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) मुजफ्फरनगरमें हुए दंगोंमें लगभग ६० लोगोंको प्राण गंवाने पडे थे । इस दंगेके पाश्र्वभूमिपर ही प्रधानमंत्रीने यह वक्तव्य दिया है । इस बैठकमें देशके १७ राज्योंके अल्पसंख्यक आयोगके सदस्य उपस्थित थे । (क्या प्रधानमंत्री हिंदुओंके लिए ऐसी बैठक कभी आयोजित करते हैं ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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