पौष शुक्ल पक्ष १४, कलियुग वर्ष ५११५
नई देहली – यहांके जंतरमंतरमें १२ जनवरीको ‘राष्ट्रीय हिंदु आंदोलन’द्वारा आयोजित ‘पाकिस्तानसे आए हिंदुओंको भारतकी नागरिकता मिले‘ आंदोलनमें बोलते समय हिंदू जनजागृति समितिके राष्ट्रीय मार्गदर्शक पू.डॉ.चारुदत्त पिंगलेने आवाहन करते हुए कहा़, ‘अतिथि देवो भव’, भारतकी परंपरा है; परंतु निरपेक्ष सरकार पाकिस्तानसे आए हिंदुओंकी ओर इस दृष्टिसे नहीं देखती । उसे केवल बांग्लादेशसे आए घुसपैठिये ही अपने अतिथि लगते हैं । ‘भारतकी नागरिकता’ विस्थापित हिंदुओंका वैधानिक अधिकार है । यदि सरकार यह अधिकार नहीं देती है, तो उसके लिए संघर्ष करना ही पडेगा । पू.डॉ.पिंगलेने आगे कहा, ’जिसप्रकार द्वापरयुगमें कौरव पांडवोंको कष्ट देते थे, उसीप्रकार अपनी ही सरकार हिंदुओंको कष्ट दे रही है । भविष्यमें ‘महाभारत’ भी होनेवाला है । हिंदुओंको चाहिए कि वे अपने शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक बलपर इसका सामना करनेकी सिद्धता रखें ।’
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात