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क्षात्रतेज एवं ब्राह्मतेजका अपूर्व संगम अर्थात दैनिक सनातन प्रभात ! – समर्थभक्त मंदारबुवा रामदा

पौष शुक्ल पक्ष १५, कलियुग वर्ष ५११५

दैनिक सनातन प्रभातके पश्चिम महाराष्ट्र तथा मराठवाडा संस्करणका १४ वां वर्धापनदिवस उत्साहसे मनाया गया !

दैनिक सनातन प्रभात वर्धापनदिवस विशेषांकका प्रकाशन करते समय समर्थभक्त मंदारबुवा रामदासी तथा कु. शलाका सहस्रबुद्धे

दैनिक सनातन प्रभात वर्धापनदिवस विशेषांकका प्रकाशन करते समय समर्थभक्त मंदारबुवा रामदासी तथा कु. शलाका सहस्रबुद्धे

पुणे – सनातन प्रभात हिंदु राष्ट्र स्थापित करनेकी दिशामें अग्रसर है । उस ध्येयसे साधक जरा भी विचलित नहीं होते । हिंदु राष्ट्र क्यों आवश्यक है, इसका उत्तर दैनिक सनातन प्रभातके स्तंभोंद्वारा प्राप्त होता है । स्वामी विवेकानंद जयंतीके दिन ही सनातन प्रभातका वर्धापनदिवस समारोह मनाया जाना, बहुत अच्छा शगुुन है । समर्थ रामदासस्वामीद्वारा धर्म हेतु बताए गए ‘अत्यंत सावधानी’ ये तत्त्व सनातन संस्था तथा दैनिक सनातन प्रभातके आंदोलनमें अंतर्भूत हैं । दैनिक सनातन प्रभात अर्थात क्षात्रतेज एवं ब्राह्मतेजका अपूर्व संगम ही है, समर्थभक्त मंदारबुवा रामदासीने ऐसा वक्तव्य दिया । वे यहांके वाळवेकर लॉन्स, वाळवेकर नगरमें दैनिक सनातन प्रभात पश्चिम महाराष्ट्र एवं मराठवाडा संस्करणके १४ वें वर्धापनदिवसके अवसरपर आयोजित समारोहमें बोल रहे थे । इस कार्यक्रममें ४५० से अधिक पाठक, विज्ञापनदाता तथा हितचिंतकोंकी उत्स्फूर्त उपस्थिति प्राप्त हुई । समारोहका उद्घाटन समर्थभक्त मंदारबुवा रामदासीके शुभहाथों दीपप्रज्वलन कर किया गया । इस अवसरपर व्यासपीठपर सनातन प्रभातकी वार्ताकार कु. शलाका सहस्रबुद्धे उपस्थित थीं । सनातनके साधक डॉ. घोळेने मंत्रपठन किया ।


समर्थभक्त मंदारबुवा रामदासीने आगे कहा, ‘विश्वरूपी’ घरका ‘देवघर’ अर्थात भारतभूमि ! भारतभूमि भोगभूमि न होकर कर्मभूमि है । इस भूमिमें नरसे नारायण बनानेकी अनुकूलता है । विश्वकल्याण हेतु भारतने ही सारे विश्वको वेदोंकी भेंट दी है । अल्पसंख्यकोंकी सुरक्षा हिंदु धर्मके सिद्धांतोंके अलावा अन्य कहीं भी नहीं हो सकती । एक ही घरमें अलगअलग देवताओंकी उपासना कर जहां अनेक परिवार सुखसे एकसाथ रहते हैं, विश्वका ऐसा एकमेव हिंदु धर्म है ।
इस अवसरपर मान्यवर व्यक्तियोंके हाथों दैनिक सनातन प्रभातके १४ वें वर्धापनदिवसके अवसरपर प्रसिद्ध किए गए वर्धापनदिवस विशेषांकका प्रकाशन किया गया । इस अवसरपर सनातनके साधक श्री. अभिजीत देशमुखने सनातन प्रभातके संस्थापक संपादक प.पू.डॉ. जयंत आठवलेजीद्वारा भेजा गया संदेश पढकर सुनाया ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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