पौष शुक्ल पक्ष १४, कलियुग वर्ष ५११५
हिंदुओ, आपके धर्मबंधुओंको जीवित रहते कष्ट देनेवाले तथा मृत्युके पश्चात अंतिमसंस्कारके समय भी अडचनें उत्पन्न करनेवाले पाकिस्तानका समूल नाश करने हेतु हिंदु राष्ट्रकी स्थापना करें !
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इस्लामाबाद – पाकिस्तानमें अल्पसंख्यकोंकी स्थिति कितनी बुरी है, आप सभीको इसकी कल्पना है ही; किंतु वह भी न्यून हुआ; इसलिए कदाचित यहां निवास करनेवाले हिंदू एवं सिक्खोंको अपने मृत संबंधितोंके अतिमसंस्कार करनेके लिए भी अत्यधिक अडचनोंका सामना करना पडता है । मृत व्यक्तिके बाएं हाथपर गरम सिक्का रखकर दहनविधी पूरी की जाती है । हिंदु तथा सिक्खोंकी संख्या ३५ सहस्र होते हुए भी खैबर पख्तूनख्वा राज्यमें उनके लिए एक भी शमशानभूमि नहीं है ।
यहांके हिंदुओंके पास अंतिमसंस्कार करनेके दो ही मार्ग शेष रहते हैं । यहांके हिंदु मृतदेह दहन भी नहीं कर सकते तथा दफन भी नहीं कर सकते । उनके पास एक मार्ग है और वह है मृतदेह दूरतक होनेवाले खैबर एजेंसीके तिराह घाटी, डेरा इस्माइल खां, मालाकंद, नाशहरा क्षेत्रमें ले जाकर दहनविधि करनी पडती है । पेशावरमें निवास करनेवाले हिंदुओंको सैकडों मीलकी यात्रा कर हस्सन अबदालमें अंतिमसंस्कारके लिए जाना पडता है । इस यात्राके लिए भी मृतके संबंधितोंको ४० से ५० सहस्र रुपए व्यय करने पडते हैं । पाकके हिंदु तथा सिक्खोंकी यह समस्या आजतक भारत शासनद्वारा किसी भी स्तरपर उपस्थित नहीं की गई । साथ ही देश-विदेशमें किसी हिंदु अथवा सिक्ख संगठनद्वारा भी इस समस्याके संदर्भमें आवाज नहीं उठायी गयी है ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात