धर्मयुद्ध करने हेतु साधना का बल आवश्यक ! – अधिवक्ता श्री. रामदास केसरकर
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फोंडा (गोवा) : सनातन संस्था के मानद कानूनी सलाह देनेवाले अधिवक्ता श्री. रामदास केसरकर ने अधिवक्ताओंकी कार्यशाला में अपने मौलिक विचार व्यक्त करते समय यह बताया कि धर्म हेतु वैध मार्ग से किया जानेवाला युद्ध धर्मसेवा के रूप में होना चाहिए। उसके लिए साधना का बल आवश्यक है।
राष्ट्र एवं धर्मरक्षा, साथ ही हिन्दू संस्कृतिपर आनेवाली आपत्तियोंको रोकने के संदर्भ में ३ मई को सनातन के रामनाथी आश्रम में गोवा राज्य के धर्मप्रेमी अधिवक्ताओंकी कार्यशाला संपन्न हुई। हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा इस कार्यशाला का आयोजन किया गया था।
धर्म एवं संस्कृति पर आनेवाली आपत्तियोंको न्यायालयीन युद्ध के माध्यम से रोकने की दृष्टि से अधिवक्ताओं का योगदान महत्त्वपूर्ण होता है। उसके लिए हिन्दू अधिवक्ताओंको संगठित होना आवश्यक है। इसके लिए हिन्दू जनजागृति समिति नेतृत्व कर रही है। आरंभ में हिन्दू जनजागृति समिति के गोवा राज्य समन्वयक डॉ. मनोज सोलंकी ने अधिवक्ताओंके सामने समिति की भूमिका प्रस्तुत की, साथ ही राष्ट्र एवं धर्म की सद्यस्थिति, हिन्दुओंपर आनेवाली आपत्तियां एवं हिन्दू संगठन की आवश्यकता के संदर्भ में उन्होंने प्रतिपादित किया। तत्पश्चात हिन्दू विधिज्ञ परिषद के गोवा राज्य सहसचिव अधिवक्ता श्री. नागेश ताकभाते ने हिन्दू विधिज्ञ परिषद की ओर से नेतृत्व किया।
गोवा के विभिन्न न्यायालयीन युद्ध तथा उसे ईश्वरकृपा के कारण प्राप्त यश के संदर्भ में उपस्थित व्यक्तियोंको जानकारी प्रस्तुत की। गो रक्षा हेतु गोवा के पृथक न्यायालयों में सेवा के रूप में किस पद्धति से नि:शुल्क न्यायालयीन युद्ध कर रहे हैं, अधिवक्ता श्री. गजानन नाईक ने इस संदर्भ में जानकारी दी। इस कार्यशाला में उपस्थित अधिवक्ताओंने बताया, कि ‘राष्ट्र, धर्म तथा हिन्दू संस्कृति पर आनेवाली आपत्तियोंको रोकने के लिए हम सक्रिय सहयोग देंगे।’ कार्यशाला के अधिवक्ताओंने अन्य राष्ट्र तथा धर्मप्रेमी अधिवक्ताओंका प्रबोधन कर उन्हें भी इस कार्य में सम्मिलित करने का निश्चय व्यक्त किया।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात