पौष शुक्ल पक्ष १४, कलियुग वर्ष ५११५
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प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अल्पसंख्यकों को अपना पाले में लाने की हरचंद कोशिश में लगे हैं। राजधानी में सोमवार को राज्यों के अल्पसंख्यक आयोगों के ९ वें वार्षिक सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि सरकार ने अल्पसंख्यक समुदायों के लिए सामाजिक और आर्थिक न्याय सुनिश्चित करने की पूरी कोशिश की है। उन्होंने अल्पसंख्यकों के कल्याण, सुरक्षा और विकास के लिए यूपीए सरकार की तरफ से किए तमाम कार्यों की चर्चा की। पर वे भूल गए कि कश्मीर के पंडित भी भारत के ही नागरिक है और अपने ही देश में दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। उन्होंने अपने सारे भाषण में कश्मीरी हिन्दुओं का जिक्र तक नहीं किया। कश्मीर के हिंदुओ को लेकर केन्द्र सरकार की बेरुखी हैरानी करती है। उन्नीस सौ नब्बे के दशक में घाटी में शुरू हुई हिंसा के बाद, चरमपंथियों से लगातार मिलने वाली धमकियों और समुदाय के कुछ लोगों की हत्याओं के बाद, अधिकांशतर पंडित घाटी छोड़कर जा चुके हैं। कश्मीर में सैकड़ों हिनदुओं की हत्या की गई। हजारों कश्मीरी हिन्दू देश के विभिन्न भागों में नारकीय जीवन बिता रहे हैं। लेकिन, सरकार के पास इनके लिए कोई ठोस योजना नहीं। भारत सरकार ने घाटी छोड़कर गए पंडितों के लिए छह हज़ार नौकरियों की घोषणा की लेकिन शायद ही कोई बता सके कि किसी को नौकरी मिली।
स्त्रोत : निती सेन्ट्रल