पौष पूर्णिमा, कलियुग वर्ष ५११५
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नई दिल्ली – आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल दिल्ली के चांदनी चौक की शेखां मस्जिद में केंद्रीय कानून मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल के साथ गले मिलते दिखाई दिए। सिब्बल और केजरीवाल जब एक-दूसरे के गले मिल रहे थे, तब शीला दीक्षित की सरकार में मंत्री रहे हारून यूसुफ भी मौजूद थे और कई भाजपा नेता भी मौजूद थे। सिब्बल, केजरीवाल व अन्य नेता मिलन-उन-नबी के अवसर पर एकत्रित हुए थे।
गौरतलब है कि जन लोकपाल आंदोलन के वक्त दोनों के बीच खूब तू-तू-मैं-मैं हुई थी। उस वक्त किरन बेदी भी केजरीवाल के साथ हुआ करती थीं और भ्रष्टाचार के मसले पर सिब्बल ही सबसे ज्यादा निशाने पर थे। यहां तक कि सिब्बल के बेटे ने पिछले महीने ही केजरीवाल, शाजिया इल्मी और प्रशांत भूषण के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज कराया था। खुद केजरीवाल वोडाफोन टैक्स मामले में सिब्बल पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा चुके हैं।
२०११ में केजरीवाल को दी थी उन्हीं के घर में चुनौती
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वर्ष २०११ में जन लोकपाल की मांग को लेकर अन्ना हजारे का आंदोलन चल रहा था। उस वक्त टीम अन्ना में अरविंद केजरीवाल भी शामिल थे। जन लोकपाल की मांग को लेकर रामलीला मैदान में अन्ना अनशन पर थे और केजरीवाल कांग्रेस के नेताओं से जुबानी जंग छेड़े हुए थे। हर रोज कांग्रेस के नेता टीम अन्ना को निशाना बनाते और केजरीवाल उन पर पलटवार करते। नौबत यहां तक आ गई थी कि कांग्रेस ने अन्ना हजारे को २०१४ का लोकसभा चुनाव दिल्ली के चांदनी चौक से लड़ने की चुनौती दे डाली थी। इतना ही नहीं, जिस कपिल सिब्बल के साथ केजरीवाल मंगलवार को गले मिले हैं, उन्हीं के संसदीय क्षेत्र चांदनी चौक में जनमत संग्रह तक करा दिया था। उस जनमत संग्रह के आंकड़े जारी करते हुए कहा गया था- ८५ प्रतिशत लोगों ने जनलोकपाल बिल को सपोर्ट किया है।
केजरीवाल ने तब कहा था कि जिन बिंदुओं को ड्राफ्ट से हटा दिया गया था, जनमत संग्रह में ८५ प्रतिशत लोग उनके पक्ष में हैं। इतना ही नहीं, चांदनी चौक में टीम अन्ना की ओर से जनमत संग्रह कराने और उसमें सरकार के लोकपाल बिल के मसौदे को जनता का समर्थन न मिलने के दावे पर मनीष तिवारी ने फिल्मी गाना गाया था- 'तकदीर पर भरोसा है, तो एक दांव लगा ले, लगा ले, दांव लगा ले!' उन्होंने अन्ना हजारे और तब की उनकी टीम के सदस्यों- केजरीवाल और किरन बेदी को भी चुनाव लड़ने की चुनौती दे डाली थी।
दिसंबर २०११ में अन्ना हजारे की टीम में शामिल अरविंद केजरीवाल ने राहुल गांधी और तत्कालीन दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल पर जमकर हमला बोला था। उन्होंने कहा था- राहुल गांधी ने चाहा तो संसदीय समिति ने लोकपाल को संवैधानिक दर्जा दिए जाने की सिफारिश कर डाली और हम अपनी मांगों को लेकर लगातार संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन समिति ने हमारी मांगों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया। यहां तक कि प्रधानमंत्री के वादे और संसद के प्रस्ताव तक को कूड़ेदान में डाल दिया गया।
सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट पर प्रतिबंध लगाने की कपिल सिब्बल की मंशा पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा था कि उनके इस प्रयास के बावजूद हजारों की तादाद में लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन का समर्थन करने जुटे हैं। केजरीवाल ने कहा था- 'बड़ा दुखद है कि सांसदों से यह नहीं पूछा गया कि वे कैसा लोकपाल विधेयक चाहते हैं। उन्होंने हाई कमान से पूछा।
सिब्बल पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगा चुके हैं केजरीवाल
अन्ना हजारे से अलग होने के बाद अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी का गठन किया था। पार्टी बनाने के बाद केजरीवाल ने सोनिया गांधी के दामाद से लेकर मुकेश अंबानी तक सभी के खिलाफ खुलासे किए थे। मई २०१३ केजरीवाल ने एक और खुलासा किया था, जिसमें कपिल सिब्बल भी निशाने पर थे। कपिल सिब्बल ने कानून मंत्री पद का प्रभार ग्रहण करने के महज एक दिन बाद ही कानून मंत्रालय ने रुख में बदलाव करते हुए वोडाफोन के साथ ११,००० करोड़ रुपए के टैक्स विवाद को अदालत के बाहर ही निपटाने की इजाजत दे दी थी। इसके बाद केजरीवाल और प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया था कि वोडाफोन से जुड़े मामले में सिब्बल के हित जुड़े थे, क्योंकि उनके वकील पुत्र अमित सिब्बल ‘अब भी हचीसन की पैरवी कर रहे हैं।’ हचीसन ब्रिटिश दूरसंचार कंपनी वोडाफोन की साझेदार थी। सिब्बल के फैसले में ‘जल्दबाजी’ पर सवाल उठाते हुए केजरीवाल ने आरोप लगाया कि पद संभालने के २४ घंटों के भीतर उन्होंने ‘भ्रष्टाचार में शामिल’ होना शुरू कर दिया है।
स्त्रोत : दैनिक भास्कर