माघ कृष्ण पक्ष १, कलियुग वर्ष ५११५
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पानीपत(हरियाना) : मुगलों और मराठों के बीच पानीपत की तीसरी लड़ाई १४ जनवरी १७६१ को हुई थी। जो चंद घंटों में ही खत्म हो गई थी। इसमें मराठा सेना को शिकस्त झेलनी पड़ी थी, लेकिन इस सेना को सबसे काबिल माना जाता था। इनके हथियार काफी आधुनिक हुआ करते थे। DAINIKBHASKAR.COM आज आपको मराठों के उन हथियारों के बारे में बताएगा जिसने उस वक्त गोरिल्ला क्रांती ला दी थी।
मराठों को वीरता के लिए जाना जाता है। पारंपरिक रूप से मराठों को योद्धा कहा जाता है। १८वीं शताब्दी में वे डेक्कन और मध्य भारत का एक प्रमुख हिस्सा समेटने वाला एक बड़ा साम्राज्य था। मराठा युद्ध के दौरान उनकी पैदल सेना और घुड़सवार सेना पर ज्यादा ध्यान दिया जाता था।
पहाड़ी इलाकों में मराठों को मजबूत माना जाता है। इसी लिए उन्हें दुश्मनों से लड़ने के लिए गोरिल्ला जैसे हथियारों का इस्तेमाल करने पड़ते थे, जो काफी खतरनाक होते हैं, क्योंकि जब उनकी सेना रात के समय पहाड़ों की ओर युद्ध के लिए निकलती थी तो कोई उनपर अंधेरे में हमला न कर दे इसलिए वो धारदार हथियारों से लबरेज होकर चलते थे।
तलवार |
तलवार : तलवार को भारत में ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है और मराठों के लिए शान माना जाता है। इस तलवार में घुमावदार ब्लेड रहती हैं, इसका किनारा भी काफी नुकीला रहता है, जो अच्छे-अच्छों को मौत के घाट उतार दे। ये दोधारी तलवार रहती है जिससे दोनों तरफ से वार किया जाता है।
फिरंगी |
फिरंगी : फिरंगी तलवार लंबी बड़ी भारी ब्लेड जैसी होती है, जो यूरोप में ज्यादा इस्तेमाल की जाती है। यह एक तरफ से पूरी तरह से तेज धार है और दूसरी तरफ छह इंच तक धार रहती है। यह तलवार घुड़सवार सेना ज्यादा इस्तेमाल करती है। यह तलवार शिवाजी इस्तेमाल किया करते थे जिसके बाद ये काफी प्रसिद्ध हो गई।
किरच |
किरच : किरच तलवार फिरंगी तलवार जैसी ही होती है। इसके भी एक तरफ ज्यादा धार होती है और दूसरी तरफ कम, लेकिन हाथ की पकड़ काफी मजबूत होती है।
शमशेर |
शमशेर : शमशेर एक पर्शियन तलवार है जिसकी ब्लेड काफी घुमावदार होती है, शमशेर, तलवार की तरह होती है लेकिन कम चौड़ी। जिसकी स्लैश काफी नुकीली होती है और हाथ की मजबूती काफी मजबूत होती है।
खांडा |
खांडा : खांडा तलवार दिखने में काफी अलग दिखाई देती है। इसकी ब्लेड काफी बड़ी और डबल एज्ड धार के साथ बनाई गई है। इस तलवार में दो प्वाइंट होते हैं जिसका एक कोना काफी नुकीला है और दूसरा काफी मोटा कोना है। मराठा की पैदल सेना के पास तलवार के साथ-साथ खांडा तलवार भी रखते हैं।
खंजर |
खंजर : खंजर अरब में ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन भारत में भी काफी प्रसिद्ध है। जिसकी ब्लेड काफी छोटी होती है लेकिन काफी धारदार होती है और काफी हल्की होती है।
कटार |
कटार : कटार काफी छोटी और इसका हैंडल 'H' शेप्ड है। ये तब इस्तेमाल होता है जब दुश्मन पास हो और चलाकी से मारने के लिए काफी प्रसिद्ध है। कटार की दोनों तरफ ब्लेड काफी धार वाली होती है।
डांडा पट्टा |
डांडा पट्टा : डांडा पट्टा तलवार काफी फ्लेजिबल होती है, जो हवा के हिसाब से घूमती हुई दुश्मनों पर वार करती है। धार होने के साथ-साथ ये तलवार मराठा लोग ज्यादा इस्तेमाल करते हैं।
स्त्रोत : दैनिक भास्कर