पौष पूर्णिमा, कलियुग वर्ष ५११५
सांगली- मुसलमान समाजद्वारा १४ जनवरीको सांगली तथा मिरज नगरमें ईदके निमित्त शक्तिप्रदर्शन करनेके उद्देश्यसे सहस्रोंकी संख्यामें भव्य परिक्रमाका आयोजन किया गया था । जिस मार्गसे यह परिक्रमा गई, उन सभी मार्गोंपर परिवहनमें अडचनें उत्पन्न हुर्इं । अतः इससे साधारण यात्रियोंको अधिक मात्रामें कष्ट उठाने पडे । (हिंदू भी अपने उत्सव मनाते है; किंतु उससे अन्य धर्मियोंको कभी भी कष्ट नहीं होते । इसके विपरीत अल्पसंख्यक अपने उत्सव मनाते समय, बहुसंख्यकोंको कैसे कष्ट हों, इसका ही विचार करते हैं ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
परिक्रमामें सामने आई कुछ बातें….
१. इस परिक्रमाके लिए अधिक मात्रामें पुलिस सुरक्षाका प्रबंध किया गया था । परिवहन पुलिसवालोंके सामने ही अनेक धर्मांध युवक दोपहिएपर तीन व्यक्ति बैठकर झंडा लेकर जा रहे थे; किंतु परिवहन पुलिसने किसी भी प्रकारकी कार्रवाई नहीं की । (अन्यथा गणेशोत्सव तथा अन्य किसी भी उत्सवके समय कोई यदि दोपहिएपर नियमबाह्य यात्रा करता है, तो क्या पुलिस उन्हें इस प्रकारकी सुविधा देती ? यदि कानून एवं नियम सभीके लिए समान हैं, तो हिंदुओंके लिए एक न्याय तथा धर्मांधोंके लिए अन्य, ऐसा क्यों ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
२. यह बात भी सामने आई कि इस परिक्रमाके युवक हिंदुबहुल क्षेत्रमें आनेपर आक्रामकतासे `अल्ला हू अकबरकी’ घोषणा कर रहे थे । (हिंदू किस प्रकार धर्मांधोंकी इस आक्रमक वृत्तिका उत्तर देंगे ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
३. अश्वपर बैठे हुए अधिकांश छोटे बच्चोंने टीपु सुलतानकी वेशभूषा परिधान की थी । (जिस टीपुने सहस्रों हिंदुओंकी हत्या की, उसका उदात्तीकरण कर निश्चित क्या साध्य करना है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात