माघ कृष्ण पक्ष १, कलियुग वर्ष ५११५
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भौराकलां – गठवाला खाप के मोहम्मदपुर राय सिंह गांव में आहूत पंचायत में पुलिस और प्रशासन पर एकतरफा कार्रवाई का आरोप लगाया गया।
ऐलान किया गया कि पुलिस और अल्पसंख्यक समाज के लोगों को गांव में नहीं घुसने दिया जाएगा। खाप के चौधरी बाबा हरिकिशन मलिक ने कहा कि पुलिस खुद माहौल खराब कर रही है।
निर्दोष लोगों को जेल नहीं जाने दिया जाएगा। रविवार को पशु चिकित्सालय के परिसर में आयोजित पंचायत में पुलिस और पीएसी की दबिश पर नाराजगी जाहिर की गई।
पंचायत में मौजूद लोगों का कहना है कि गिरफ्तारी के लिए पुलिस मुस्लिम समाज के ऐसे लोगों को साथ लेकर आ रही है, जो दंगे में नामजद हैं।
एकपक्षीय कार्रवाई को सहन नहीं किया जाएगा। बाबा हरिकिशन मलिक ने कहा कि अधिकारियों ने दावा किया था कि सही कार्रवाई की जाएगी, लेकिन मोहम्मदपुर में दबिश से पुलिस की नीति साफ हो गई।
पंचायत ने एक सुर में ऐलान कर दिया कि पुलिस और मोहम्मदपुर छोड़कर गए अल्पसंख्यक समाज के लोगों को गांव में नहीं घुसने दिया जाएगा।
भाजयुमो के क्षेत्र मंत्री नितिन मलिक ने कहा कि सरकार का रवैया ठीक नहीं है। हिंसा के असली दोषियों को पकड़ने के बजाए निर्दोष लोगों को जेल भेजा गया है।
अध्यक्षता श्याम सिंह शर्मा और संचालन पवन मलिक ने किया। डॉ. सोमपाल कश्यप, सुशील कश्यप, डॉ हवा सिंह मलिक, सरदार सिंह पटवारी, फेरू सिंह, नेत्रपाल प्रधान, ब्रजवीर सिंह, जगपाल सिंह कुरावा, नेपाल सिंह, राजपाल सिंह, मास्टर सत्यवीर सिंह, डॉ योगेंद्र बालियान और डॉ राजीव मलिक उपस्थित रहे।
क्या बोली पंचायत?
पंचायत का कहना है कि हुसैनपुर के तिहरे हत्याकांड में राजेंद्र फौजी को गलत जेल भेजा गया है। गांव के राहुल पर मनमाने तरीके से इनाम घोषित कर दिया गया। साइलेंटवार के दोषी अभी तक नहीं पकड़े गए।
फुगाना में जिन लोगों से कारतूस बरामद हुए थे, उनके हथियार कहां हैं। दूसरे समुदाय के दोषियों की सूची जारी नहीं की गई। आगजनी के एक भी मामले का खुलासा नहीं हुआ।
यहां क्या-क्या हुआ?
मोहम्मदपुर राय सिंह गांव में आठ सितंबर को एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई थी। यहां के अल्पसंख्यक समाज के लोग पलायन कर बुढ़ाना और शाहपुर चले गए।
दीवाली से पहले हुसैनपुरकलां के तीन युवकों की हत्या कर दी गई थी। शनिवार को पीएसी पर पथराव भी किया गया। कई बार खाप चौधरियों की यहां बैठक हुई।
पंचायत पर गुटबाजी
एक पक्ष चाहता था कि पंचायत टल जाए, लेकिन दूसरे पक्ष ने पंचायत का आयोजन किया। बाबा हरिकिशन मलिक को भी पंचायत स्थल तक लाने के लिए कई बार हां और ना का दौर चलता रहा।
स्त्रोत : अमरउजाला