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अब धर्मान्धों ने जारी किया वीडियो, कहा- मुजफ्फरनगर में दोहराया गया ‘गुजरात’!

माघ कृष्ण पक्ष १, कलियुग वर्ष ५११५


नई दिल्ली – मुजफ्फरनगर दंगों को लेकर राजनीतिक साजिशों का दौर जारी है। आरएसएस की ओर से 'मुजफ्फरनगर दंगा' शीर्षक से मैगजीन बंटवाने के बाद अब एक मुस्लिम संगठन द्वारा 'मुजफ्फरनगर ब्लीड' नाम से वीडियो अपलोड करने का मामला सामने आया है। अमेरिका स्थित इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल 'आईएएमसी' ने मुजफ्फरनगर दंगों को लेकर तीस मिनट का वीडियो अपलोड किया है। वीडियों में मुजफ्फरनगर दंगों को २००२ के गुजरात दंगों की पुनरावृत्ति माना है और जाटों को मुस्लिमों की हत्या का दोषी बताया है। 'आईएएमसी' अमेरिका में भारतीय मूल के मुस्लिमों का संगठन है। 

यह वीडियो एक जनवरी को यूट्यूब और कई प्रोमुस्लिम साइट्स पर अपलोड किया गया। आईएएमसी की योजना इस वीडियो को देशभर में प्रसारित करने की है। वीडियो की शुरुआत जलते हुए घरों के दृश्यों के साथ होती है, इसमें कथित दंगा पीडितों के बयान भी हैं। वीडियो में दावा किया गया है कि इन दंगों में ९७ मुस्लिमों समेत ११३ लोग मरे और करीब २५ गांवों में मुस्लिमों को घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। 

वीडियो में दंगों के दौरान मारे गए कई लोगों के शवों को भी दिखाया गया है। इसके अलावा  कई दंगा पीड़ित अपने बच्चों की हत्या की घटना को बताते दिखाई दे रहे हैं। वीडियों में एक पीड़ित को यह बताते हुए भी दिखाया गया है कि कैसे एक महिला को उसके चार महीने के बच्चे के साथ जिंदा जला दिया गया।


वीडियो में बीजेपी नेता हुकुम सिंह, संगीत सोम और कुंवर भारतेंदु के भाषण देते हुए फोटो भी दिखाए गए हैं। 
आईएएमसी का कहना है कि दंगा २०१४  के लोकसभा चुनावों को देखते हुए राजनीतिक दलों द्वारा कराया गया।
इस वीडियो पर सफाई देते हुए संगठन के वाइस प्रेसीडेंट खालिद अंसारी ने कहा है, 'इसका उद्देश्य जागरुकता फैलाना है ताकि भारत की सहनशीलतावादी और गंगा-जमुना तहजीब की रक्षा की जा सके।'

आरएसएस ने भी बंटवाई थी मुजफ्फरनगर दंगों का कथित सच बताने वाली मैगजीन


कुछ दिनों पहले आएसएस ने भी 'मुजफ्फरनगर दंगा' नाम की २४ पेज की एक मैगजीन बांटी थी। इस मैगजीन में यूपी की सपा सरकार पर तुष्टिकरण की नीति अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा गया था, 'शायद सपा सरकार को ऐसा लगता है कि अगर मुसलमान गुस्‍सा हो गए तो सत्‍ता हाथ से चली जाएगी। इसी वजह से अखिलेश यादव की सरकार ने हर मुस्लिम पीडित को पांच-पांच लाख रुपये देने का एलान किया। 
हालांकि इस मैगजीन में किसी का नाम नहीं था लेकिन प्रकाशक के तौर पर 'विश्‍व संवाद केंद्र, १०५, आर्य नगर, सूरज कुंड रोड, मेरठ' का पता लिखा हुआ है। यह पता मेरठ में आरएसएस की यूनिट ऑफिस का है। अंग्रेजी अखबार 'इंडियन एक्‍सप्रेस' को आरएसएस के प्रचारक शिवप्रकाश कहा था कि यह मैगजीन मेरठ प्रांत के आरएसएस कार्यकर्ताओं द्वारा प्रकाशित की गई। उनका कहना था कि आरएसएस के प्रचारक दंगों से जुड़े तथ्‍यों की जानकारी समाज के लोगों को देने की एक कोशिश है क्‍योंकि प्रदेश सरकार झूठे दावे कर रही है।
मुजफ्फरनगर दंगे में कम से कम ६० लोग मारे गए थे जबकि हजारों लोग बेघर हुए। बताया जाता है कि सचिन और गौरव नाम के दो युवकों ने एक मुस्लिम युवक की कथित तौर पर हत्‍या कर दी थी। इसके बाद सचिन और गौरव की भी हत्‍या कर दी गई थी। 'मुजफ्फरनगर दंगा' मैगजीन के जरिए सचिन और गौरव का बचाव भी किया गया था। 

स्त्रोत : दैनिक भास्कर  

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