माघ कृष्ण पक्ष १, कलियुग वर्ष ५११५
स्वामी आत्मप्रज्ञानंद महाराज (बार्इं ओरसे) को सनातन पंचांग देते हुए पू. डॉ. चारुदत्त पिंगले (छायाचित्रमें) |
नई देहली – हिंदू जनजागृति समितिके राष्ट्रीय मार्गदर्शक पू. डॉ. चारुदत्त पिंगलेने श्रीनिवासपुरी, देहलीके भारत सेवाश्रम संघके स्वामी आत्मप्रज्ञानंद महाराजके आश्रममें जाकर उनसे भेंट की । इस अवसरपर दोनोंमें हुए विचार-विमर्शमें स्वामीजीने प्रतिपादित किया कि गुजरातके दंगोंको १० वर्ष व्यतीत हो गए, तो भी उसका निमित्त कर हिंदुओंको दोष दिया जाता है; परंतु बांग्लादेशमें हिंदुओंपर होनेवाले आघातोंके विषयमें सभी निरपेक्षतावादी मौन हैं । इसलिए हिंदुओंको इसके विरुद्ध एकत्रित आना अत्यंत आवश्यक है ।
विचार-विमर्शके समय स्वामीजीने आगे कहा कि वर्तमान समयमें जो भी पक्ष हो, उठता है एवं सर्वधर्मसमभावका ढोल बजाता है । यदि हिंदू धर्मपालन नहीं करता है, तो उसे धर्मांध कहा जाता है; परंतु मुसलमानोंद्वारा धर्मके नामपर कितना भी नंगानाच किया गया, तो उसे दुर्लक्षित किया जाता है । बंगालमें हिंदुओंकी स्थिति अत्यंत खराब है । वहांकी सरकार हिंदुओंकी धर्मादाय संस्थाओंको कोई सहायता नहीं करती ।
पू. डॉ. पिंगलेने स्वामीजीको सनातनके रामनाथी, गोवाके आश्रममें आनेकी विनती की, जिसे उन्होंने स्वीकार किया । उन्होंने कहा कि हिंदू जनजागृति समितिके कार्यको सदैव मेरा सहयोग/आशीर्वाद रहेगा ।
इस अवसरपर सनातन संस्थाके श्री. संजीव कुमार, श्रीमती माला कुमार एवं हिंदू जनजागृति समितिके श्री. दैवेश रेडकर उपस्थित थे । स्वामीजीको भेंट स्वरूप हिंदी भाषामें लिखित ग्रंथ ‘हिंदु राष्ट्र क्यों आवश्यक है’ ?’ एवं अंग्रेजी भाषाका सनातन पंचांग दिया गया ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात