आंदोलनके लिए अनुमति प्राप्त करने हेतु गए हिंदू जनजागृति समितिके एक कार्यकर्ताको पुलिसद्वारा ह

माघ कृष्ण १, कलियुग वर्ष ५११५

हिंदू जनजागृति समितिके नाममें ‘हिंदू’ शब्दको जातीयवादी सिद्ध करने तथा पाकिस्तानी हिंदुओंपर होनेवाले अत्याचारका प्रमाण मांगनेवाली पुलिस !

पाकिस्तानसे आए शरणार्थी हिंदुओंको भारतकी नागरिकता देनेकी मांग करने हेतु एक नगरमें राष्ट्रीय हिंदू आंदोलनके लिए अनुमति प्राप्त करने हेतु हिंदू जनजागृति समितिका एक कार्यकर्ता एक पुलिस थानेमें गया था । उस समय पुलिसकर्मियोंद्वारा पूछे गए विविध प्रश्न पूछकर त्रस्त कर दिया गया तथा उसपर बिना कारण आरोप भी लगाए गए । समितिका आंदोलन वैधानिक मार्गसे होते हुए भी पुलिसद्वारा जातीयवादी जैसा आरोप कैसे लगाया गया ! समितिका आंदोलन पाकिस्तानसे भारतमें आए विस्थापित हिंदुओंके लिए था; परंतु इस आंदोलन हेतु अनुमति देनेसे पूर्व पुलिसकर्मियोंने अनेक अज्ञानमूलक प्रश्न पूछकर अपना अज्ञान व्यक्त किया । समितिके कार्यकर्ता एवं पुलिसमें हुआ संभाषण यहां दे रहे हैं ।

कार्यकर्ता : आंदोलनकी अनुमतिके लिए आया हूं ।
प्रथम पुलिस : सदैव क्या आंदोलन करते रहते हो ? (स्वयं कुछ नहीं करना तथा अन्य कोई करता हो, तो उसे विरोध करना ऐसी मानसिकतावाले पुलिस ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
कार्यकर्ता : साहब, निरंतर कहां रहता है ? पिछला आंदोलन हुए दो माह व्यतीत हो गए । रविवारको छुट्टीके दिन आंदोलन हो रहा है ।
प्रथम पुलिस : आपके लोग क्या-क्या बोलते हैं ? उनके लोग सहस्रोंकी संख्यामें आते हैं । (कार्यकताओंके ध्यानमें आया कि उनके अर्थात अन्य धर्मियोंके, ऐसा पुलिसकर्मिर्योंका कहना था ।)
कार्यकर्ता : अन्य लोग एवं हमारा क्या संबंध ? अबतक हमारे  आंदोलनमें कभी चूक नहीं हुई ।
प्रथम पुलिस: पिछले नहीं, अपितु उससे पूर्वके आंदोलनमें हुई । इसीलिए आपको सूचनापत्र भेजा गया था ।
कार्यकर्ता : उस आंदोलनमें क्या चूक हुई थी, हमें बताएं ! आंदोलन होनेके पश्चात आपसे विचार-विमर्श भी हुआ था तथा आपके साहबकी सूचनाके अनुसार आंदोलन एक घंटा पूर्व रोका गया था ।
प्रथम पुलिस: ठीक है । अभी कौनसा विषय है ?
कार्यकर्ता : पाकिस्तानसे आए शरणार्थी हिंदुओंको भारतकी नागरिकता दी जाए !
प्रथम पुलिस: शरणार्थी क्यों लिखा ? शरणार्थीका क्या अर्थ है ? (जिन्हें शरणार्थीका अर्थ नहीं समझता, क्या वे पुलिस विभागमें काम करनेकी योग्यता रखते हैं ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
कार्यकर्ता : भारतके शरणमें आए ।
पुलिस : नहीं, उसका अर्थ अलग होता है ।
अन्य पुलिस : क्या अमेरिकासे नहीं आते ? उनके लिए आंदोलन क्यों नहीं किया जाता ? (आंदोलन किस बातके लिए है, यह  समझे बिना ही निरर्थक एवं हास्यास्पद प्रश्न पूछनेवाले पुलिसकर्मी ! सामान्य ज्ञानके अभाववाले पुलिसकर्मियोंसे युक्त विभागका कामकाज कैसे चलता होगा, इसका विचार ही न करना अच्छा ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
कार्यकर्ता : पाकिस्तानमें हिंदुओंपर अत्याचार होते हैं । अतः वे  भारतमें आते हैं ।
पुलिस : इसका प्रमाण कहां है, मुझे बताएं ? (पाकिस्तानसे आए विस्थापित हिंदुओंके विषयमें अनेक समाचार अन्य दैनिकोंमें प्रसिद्ध हुए हैं । ऐसा होते हुए भी प्रमाण मांगना जानबूझकर हिंदुओंके आंदोलनको दबानेका षडयंत्र है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
कार्यकर्ता : देहलीमें अत्यधिक लोग आए हैं । ‘दैनिक सामना’में इस विषयमें समाचार भी प्रसिद्ध हुआ था । विस्थापित अभीसे नहीं, अपितु वर्ष १९४७ से भारतमें आ रहे हैं ।
पुलिस : पाकिस्तानसे आए विस्थापित क्यों कहते हो ? पाकिस्तानसे आए हिंदुओंको भारतकी नागरिकता दो, ऐसा कहिए ना ?
कार्यकर्ता : पाकिस्तानसे कुछ लोग पारपत्र लेकर आते हैं तथा उन्हें वापस जाना होता है । हम कैसे कहें कि उन्हें नागरिकता दें । जो शरणार्थी आए हैं, उनको ही नागरिकता देनी चाहिए !
पुलिस : देखिए, आपका संगठन एक जातीयवादी संगठन है । (राष्ट्रजागृति एवं धर्मजागृतिका कार्य करनेवाले संगठनको जातीयवादी कहनेका अर्थ है जानबूझकर समितिकी अपकीर्त करना ! धर्मांधोंद्वारा किए गए दंगोंमें मार खानेवाले एवं उनके सामने झुकनेवाले पुलिसकर्मी हिंदुओंके संगठनोंको जातीयवादीr संबोधित करते हैं, जो निषेधयोग्य है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) हमारे पास पंजीकरण है, उसमें ‘हिंदू’ शब्द है ।
कार्यकर्ता : ऐसे अनेक संगठन हैं ।
पुलिस : आंदोलनके लिए कौन आनेवाले हैं ?
कार्यकर्ता : स्थानीय लोग
पुलिस : नाम लिखकर दीजिए । यदि वृद्ध लोग आनेवाले हैं , तो उनका भी नाम लिखकर दें ।
(प्रार्थनापत्रके पीछे नाम लिखकर दिए । इसमें दो नाम एक पक्षके कार्यकर्ताओंके थे, जिसमें एक नामपर पुलिसद्वारा आपत्ति उठाई गई ।)
पुलिस : क्या ये कार्यकर्ता आएंगे ?
कार्यकर्ता : हां, पूर्व भी आए थे ।
पुलिस : हमारे पास इनका पूरा इतिहास है । वे कैसे हैं, हमें ज्ञात है ?
अन्य पुलिस : ‘पाकिस्तानसे’ इस शब्दके कारण अनुमति देना असंभव है । साहबसे मिलें ।
(मुंबईके आजाद मैदानमें जब धर्मांध मुसलमानोंने मोर्चा निकाला, तब वे किसीकी अनुमति नहीं लेते रहे  । उन्होंने मोर्चा निकाला, आगजनी की, पुलिसकर्मियोंको मारा एवं महिला पुलिसकर्मियोंका विनयभंग करनेका प्रयास भी किया । उस समय पुलिस प्रशासनद्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई थी । दूसरी ओर केवल ‘पाकिस्तानसे’ शब्द रहनेका कारण बताकर आंदोलनके लिए अनुमति न देना, क्या यह दोमुंहवाले समान आचरण नहीं है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
मैं : ठीक है । (इसके पश्चात वे कार्यकर्ताको वरिष्ठ पुलिस निरीक्षकके पास ले गए ।)
वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक : आइए ! क्या बात है ?
कार्यकर्ता : सदैवकी भांति आंदोलन है ।
पुलिस निरीक्षक : क्या विषय है ?
कार्यकर्ताने जानकारी दी ।
साहब : कौन कौन रहेगा ?
मैं : स्थानीय संगठन
पुलिस निरीक्षक : सनातनका कोई न रहे ! (सनातनका कार्य पारदर्शक है तथा सनातन निर्दोष है । ऐसा होते हुए भी सनातनके साधकोंको आंदोलनमें सम्मिलित होने हेतु अडचनें उत्पन्न करनेवाले पुलिसकर्मी सनातनद्वेषी ही हैं ! क्या कभी धर्मांधोंके संगठनोंसे पुलिस ऐसा कहती है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
पुलिस निरीक्षक : पीछे कुछ लोगोंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंहका पुतला जलानेका प्रयास किया था । वे औरतें भाग गर्इं । उन्हें नियंत्रणमें लेनेका प्रयास भी किया गया था ।
कार्यकर्ता : साहब यह घटना कब हुई ?
पुलिस निरीक्षक : छः माहपूर्व
कार्यकर्ता : हमारे आंदोलनमें ऐसा कभी नहीं हुआ ! संभवतः अन्य किसी पक्षके आंदोलनके संदर्भमें ऐसा हुआ होगा ! (हिंदू जनजागृति समितिका आंदोलन सदैव वैधानिक मार्गसे होता है । तो भी अन्य किसीके आंदोलनमें हुई घटना समितिके नामपर मढकर स्पष्ट झूठ बोलनेवाले पुलिस अधिकारी जनताको कानूनका राज्य कैसे देंगे ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
पुलिस निरीक्षक : हमारे पास वैसी जानकारी है । (बलपूर्वक झूठ बोलनेवाला पुलिस प्रशासन ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
अन्य एक पुलिस (वरिष्ठ पुलिस निरीक्षकसे कहते हुए) : तनाव उत्पन्न होनेका कारण बताकर अनुमति अस्वीकार कर दें । अनुमति न दें ! (भारतमें मुगलाई होनेके समान आचरण करनेवाले पुलिसकर्मी ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
कार्यकर्ता : नहीं साहब, आपके कहनेके अनुसार हम ध्यान रखते हैं ।
(बाहर आकर कार्यकर्ताने अनुमतिके एक प्रार्थनापत्रपर प्राप्तिके रूपमें सिक्का एवं हस्ताक्षर लिए ।)

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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