श्री विट्ठल मंदिरके सभी अधिकार सरकारको देनेके संदर्भमें पुन: विचार करें ! – हिंदू जनजागृति समिति

माघ कृष्ण पक्ष २, कलियुग वर्ष ५११५

श्री.बडवे एवं श्री. उत्पातद्वारा पंढरपुरके श्री विट्ठल मंदिरका व्यवस्थापन राज्यसरकारके नियंत्रणमें नहीं, अपितु अपने नियंत्रणमें रहनेकी मांग करनेवाली प्रविष्ट याचिका सर्वोच्च न्यायालयद्वारा ५ जनवरीको अस्वीकार कर दी गई । इसके फलस्वरूप पंढरपुर मंदिरमें बडवे-उत्पातोंके पूजा करनेके भी अधिकार समाप्त हो गए हैं । इस विषयमें हिंदुनिष्ठ संगठन, श्री विट्ठल-रुक्मिणी मंदिर समिति तथा मंदिरोंमें पूजा-अर्चा करनेवाले उत्पातोंद्वारा व्यक्त प्रतिक्रिया यहां दे रहे हैं ।

सरकार अर्थात भ्रष्टाचार एवं अकार्यक्षमता यही समीकरण है । आजकलमें ही पंढरपुर देवस्थानकी भूमि, अलंकार तथा गोधनमें हुआ भ्रष्टाचार सामने आया है । अतः ऐसी स्थितिमें यदि सर्वोच्च न्यायालयद्वारा मंदिरके सभी अधिकार सरकारके नियंत्रणमें दिए गए, तो हमें भय है कि देवनिधिमें भी भ्रष्टाचार पैâलेगा । इसलिए  माननीय सर्वोच्च न्यायालय मंदिरके सभी अधिकार सरकारके नियंत्रणमें देनेके विषयमें पुर्नविचार केरे । इस संदर्भमें याचिका प्रविष्ट करनेकी संभावनाके विषयमें हम कानूनके अनुसार परामर्श ले रहे हैं । 

विट्ठलकी सेवा करनेके लिए महाभ्रष्ट सरकार अपात्र ! – सनातन संस्था 

पंढरपुर देवस्थानके सभी अधिकार महाराष्ट्र सरकारको देनेके स्थानपर विट्ठलकी सेवा करनेवाले भक्तोंके नियंत्रणमें देना अधिक योग्य है । जो भगवानसे विभक्त नहीं है, उसे भक्त कहते हैं !   आस्थावान होनेके कारण भक्त मंदिरकी सेवा भावपूर्ण करेंगे ।
इस संदर्भमें सभीके समक्ष शेगांव देवस्थानका उदाहरण है । इसके विपरीत यदि देवस्थान सरकारके नियंत्रणमें रहे, तो वहांका  कामकाज कैसा होता है, यह अनेक उदाहरणोंसे स्पष्ट हो गया है । उसीप्रकार यदि पंढरपुर देवस्थानको प्रतिदिन मिलनेवाली देवनिधिका विनियोग भी देवकार्यके लिए ही करना है, तो उसके लिए भ्रष्ट शासन पात्र नहीं है ।  

मंदिर व्यवस्थामें आमूल परिवर्तन करेंगे ! – श्री विट्ठल-रुक्मिणी मंदिर समिति  

इस परिणामसे पंढरपुरके मंदिरोंकी व्यवस्थामें आमूल परिवर्तन करना पडेगा । अधिकाधिक लोकाभिमुख दर्शनव्यवस्था करनेका मार्ग खुल गया है, जिससे भक्तोंको समाधान प्रतीत होगा । 

क्या निरपेक्ष राज्यमें किसी धर्मका मंदिर नियंत्रणमें लेना कानूनके अनुसार है ? – वा.ना. उत्पात

हमारा प्रश्न यह है, ‘क्या निरपेक्ष राज्यमें किसी धर्मके मंदिर नियंत्रणमें लेना कानूनके अनुसार है ?’ हमें इस बातका खेद है कि मुसलमान एवं अंग्रेजोंके राज्यमें हमारे अधिकार अबाधित थे; परंतु स्वराज्यमें वे नष्ट हो गए हैं । (श्री. वा. ना. उत्पात श्री विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर समितिके उत्पातोंके प्रतिनिधि हैं ।)

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात 

Leave a Comment

Notice : The source URLs cited in the news/article might be only valid on the date the news/article was published. Most of them may become invalid from a day to a few months later. When a URL fails to work, you may go to the top level of the sources website and search for the news/article.

Disclaimer : The news/article published are collected from various sources and responsibility of news/article lies solely on the source itself. Hindu Janajagruti Samiti (HJS) or its website is not in anyway connected nor it is responsible for the news/article content presented here. ​Opinions expressed in this article are the authors personal opinions. Information, facts or opinions shared by the Author do not reflect the views of HJS and HJS is not responsible or liable for the same. The Author is responsible for accuracy, completeness, suitability and validity of any information in this article. ​