माघ कृष्ण पक्ष ३, कलियुग वर्ष ५११५
न्यायाधीश द्वारा घोषित परिणाममें स्पष्ट कहा गया है कि गोवा पुलिसने सनातन संस्थाको फंसानेके लिए ही प्रथमदर्शी अहवाल बनाया । तो भी गोवा पुलिसका समर्थन करनेवाले कांग्रेसके गोवाके भूतपूर्व गृहमंत्री रवि नाईक कहते हैं,
फोंडा (गोवा) – कांग्रेसके भूतपूर्व गृहमंत्री रवि नाईकद्वारा फोंडामें १७ जनवरी २०१४ को पत्रकार परिषद आयोजित की गई । इस परिषदमें स्पष्टीकरण देते हुए रवि नाईकने कहा कि मडगांव स्फोटके संदर्भमें गोवा पुलिसद्वारा व्यवस्थित रूपसे पूछताछ की गई है । उस समय गृहमंत्रीके रूपमें मुझे सौंपा गया दायित्व मैने पूरी तरहसे निभाया है । पुलिसद्वारा मुझे जो प्रथमदर्शी जानकारी प्राप्त हुई, उसके आधारपर मैंने वक्तव्य दिया था कि इस प्रकरणमें सनातन संस्थाका हाथ है । सनातन संस्थाको इस प्रकरणमें फंसाने हेतु मैंने राजनीतिक हस्तक्षेप किया, इस आरोपमें कोई सार नहीं है । (यदि राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं किया गया, तो सनातन संस्था एवं सनातनके साधकोंको अकारण इस प्रकरणमें फंसाने हेतु जिन पुलिसकर्मियोंने झूठा प्रथमदर्शनी ब्यौरा बनाया, क्या रवि नाईक उन पुलिसकर्मियोंपर कार्यवाही करनेकी मांग करेंगे ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
मडगांव स्फोट प्रकरणमें विशेष न्यायालयने सनातन संस्थाके ६ साधकोंको निर्दोष मुक्त किया है । साथ ही न्यायाधीशद्वारा घोषित परिणाममें कहा गया है कि पुलिससने प्रथमदर्शनीय सनातन संस्थाको फंसाने हेतु ही यह अहवाल बनाया था । भूतपूर्व गृहमंत्री रवि नाईकने सनातन संस्थाको प्रताडित करने हेतु मडगांव विस्फोट प्रकरणकी जांच करने हेतु पुलिसका उपयोग अयोग्य दिशामें किया । इसलिए सनातन संस्थाद्वारा मांग की गई थी कि गोवा पुलिस एवं रवि नाईक सनातन संस्थासे क्षमायाचना करें । इस मांगके आधारपर गृहमंत्री रवि नाईकने यह पत्रकार परिषद आयोजित की । रवि नाईकने कहा, ‘मुझपर बिनाकारण विस्फोटकी जांचमें हस्तक्षेप करनेका आरोप लगाया जा रहा है । इस प्रकरणमें राजनीतिक हस्तक्षेप हो रहा है, ऐसा आरोप लगनेके पश्चात मैंने यह प्रकरण राष्ट्रीय अन्वेषण तंत्रको सौंप दिया था । निर्माण कार्य मंत्री श्री. सुदिन ढवलीकर तथा मेरे मध्य मित्रतापूर्ण संबंध हैं । हम एक-दूसरेके साथ अच्छी बातें करते हैं । अतः यह कहना चूक है कि श्री. सुदिन ढवलीसे राजनीतिक प्रतिशोध लेने हेतु मैंने इस प्रकरणमें सनातन संस्थाको फंसाया । ( इस प्रकार कितनी भी ऊंची आवाजमें कहा जाए, तो भी जनता जानती है कि सत्य क्या है ।- संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) मडगांव स्फोटमें मृत मलगोंडा पाटिल सनातन संस्थाके साधक थे, इसका हमें दस्तावेजके साथ (प्रमाणपत्र) प्रमाण मिला । इसी आधारपर मैंने सनातन संस्थाका इस प्रकरणसे संबंध होनेका वक्तव्य दिया था । (स्फोटमें मृत व्यक्ति स्फोट प्रकरणमें अपराधी कैसे रह सकता है ? मुंबई एवं अन्य स्थानोंपर अबतक स्फोटमें मृत व्यक्तियोंको सरकारने लाखों रुपयोंकी हानिपूर्ति की है । क्या कांग्रेस सरकारने वैसी ही हानिपूर्ति मडगांव स्फोटमें मृत व्यक्तियोंके परिवारजनोंकी की अथवा घोषित भी की ? उसीप्रकार यदि मृत व्यक्ति साधक है; तो संस्थाकी जांच किसलिए करनी चाहिए ? कांग्रेसमें कितने तो गुंडा मानसिकताके कार्यकर्ता हैं ! क्या उनके अपराध करनेपर कांग्रेस पक्षके कार्यालयकी जांच (तलाश) की जाती है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) मडगांव क्षेत्रमें बडी संख्यामें अल्पसंख्यक रहते हैं । मडगांव स्फोटके कारण जातीय दंगा होनेकी संभावना थी । इसलिए पुलिसने इस प्रकरणपर गंभीरतासे ध्यान दिया । (अर्थात क्या किया ? समय-असमय आश्रममें आकर साधकोंको प्रताडित किया ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) मेरा राजनीतिक कार्यकाल समाप्त करने हेतु मुझपर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं । यदि हानिपूर्तिके लिए सनातन संस्था मेरे विरुद्ध न्यायालयमें जाना चाहती है, तो वह अवश्य जाए । न्यायालयमें मैं मेरे अधिवक्ताओंके माध्यमसे उचित उत्तर दूंगा । तत्पश्चात एक प्रश्नके उत्तरमें रवि नाईकने कहा कि गोवा पुलिसने अच्छा कार्य किया है । तदुपरांत राष्ट्रीय अन्वेषण तंत्रद्वारा उचित पद्धतिसे जांच नहीं की गई । (इसके विपरीत न्यायालयने स्पष्ट रूपसे कहा है कि गोवा पुलिसद्वारा बनाया गया प्रथमदर्शी ब्यौरा ही चूक एवं सनातन संस्थाको इस प्रकरणमें फंसाने हेतु बनाया गया । अतः क्या रवि नाईक स्वयंको न्यायालयसे अधिक बुदि्धमान समझते हैं ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
एक प्रश्नके उत्तरमें रवि नाईकने कहा कि राष्ट्रीय अन्वेषण तंत्रको विशेष न्यायालयद्वारा दिए निर्णयको वरिष्ठ न्यायालयमें आवाहन देना अथवा नहीं, इसका निर्णय लेना चाहिए ।
रवि नाईकने सनातन प्रभातके प्रतिनिधिको पत्रकार परिषदमें आमंत्रित नहीं किया ।
रवि नाईकने अपना पक्ष प्रस्तुत करने हेतु फोंडा (गोवा)में पत्रकार परिषद आयोजित की; परंतु रामनाथीमें ‘सनातन प्रभात’का मुख्यालय होते हुए भी ‘सनातन प्रभात’के पत्रकारको इस पत्रकार परिषदके लिए आमंत्रित नहीं किया ।
पणजीके पत्रकारोंमें ऐसी चर्चा चल रही थी कि सनातन संस्थाने पणजीमें पत्रकार परिषद आयोजित की थी । पणजी गोवाकी राजधानी होनेके कारण यहां सभी समाचारपत्रोंके वरिष्ठ पत्रकार तथा राष्ट्रीय समाचार प्रणालोंके पत्रकार रहते हैं । इन पत्रकारोंके प्रश्नोंको टालने हेतु नाईकने फोंडामें स्थानीय पत्रकारोंके समक्ष अपना कहना प्रस्तुत करना पसंद किया ।
सनातनके साधकोंके निर्दोष मुक्त होनेके विषयमें धर्मांधोंको पेटदर्द
(कहते हैं) ‘गोवा पुलिसस मडगांव स्फोटकी पुनः जांच करे !’
मडगांव – पत्रकारोंसे वार्तालाप करते हुए ‘सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया’के अध्यक्ष जियाउल्ला रिकार्तीने राष्ट्रीय अन्वेषण तंत्र (एन.आइ.ए) मडगांव स्फोट प्रकरणमें जांच करनेमें असफल सिद्ध होनेके कारण गोवा पुलिसद्वारा पुन: मडगांव स्फोट की जांच करने तथा इस प्रकरणमें मूलतक जानेहेतु निवृत्त न्यायाधीशकी नियुक्ति करनेकी मांग की । (सनातनने भी मांग की है कि मडगांव स्फोट प्रकरणमें खरे अपराधीका शोधन करें, क्योंकि न्यायालयने राजनीतिक दबावमें आकर प्रथमदर्शी अपराध प्रविष्ट करनेवाली गोवा पुलिसको सनातनको स्फोट प्रकरणमें फंसानेका प्रयास किए जानेके संदर्भमें तीव्र शब्दोंमें फटकारा है । परंतु धर्मांध रिकार्ती राष्ट्रीय अन्वेषण तंत्र तथा मडगांव स्फोट प्रकरणमें परिणाम घोषित करनेवाले न्यायाधीश पर ही संदेह कर गोवा पुलिसद्वारा ही पुनः जांचकी मांग कर अपना सनातनद्वेष दर्शा रहे हैं । सांकवाल (गोवा)में वर्ष १९९९ में चर्चमें हुए स्फोटके प्रकरणमें बंदी बनाए गए मुसलमान भी निर्दोष मुक्त हुए थे । क्या ‘सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया’ संगठनके धर्मांधोंने इस स्फोट प्रकरणकी जांच कर पुनः अलग अन्वेषण तंत्रोंद्वारा जांच करनेकी मांग कभी की है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
रिकार्तीने मांग करते हुए कहा कि, ‘‘राष्ट्रीय अन्वेषण तंत्रद्वारा मडगांव स्फोटकी जांच व्यवस्थित रूपसे नहीं की गई । अतः पुनः गोवा पुलिसद्वारा इसकी जांच की जानी चाहिए । जो अपराधी अबतक लापता हैं, उन्हें त्वरित नियंत्रणमें लें, जिससे यह घटना और भी स्पष्ट होगी । राज्यसरकार एवं राष्ट्रीय जांच तंत्र विशेष न्यायालयद्वारा घोषित परिणामके विरुद्ध वरिष्ठ न्यायालयमें आह्वान याचिका प्रविष्ट करे ! विस्तृत जांचके अंतमें कोई पक्षपात न करते हुए अपराधियोंको दंड हो । मडगांव स्फोटके संदर्भमें अनेक प्रश्न अनुत्तरित हैं । स्कूटरमें बम ले जाते समय मृत हुए दो अपराधी कौन थे ? (स्कूटरमें बम किसने रखा था, ऐसा प्रश्न क्यों नहीं किया जाता ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) उन्हें साहित्य किसने दिया ? उन्हें आर्थिक एवं अन्य सहायता किसने दी ? मुसलमानोंकी टोपी, अत्तर एवं खान मार्केट दिल्ली, ऐसी नामवाली थैली उन्होंने क्यों लाई थी ? (क्या यह थैली मुसलमानोंने ही लाई थी, क्या ऐसा कहा तो चलेगा ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) यदि इस स्फोटमें निर्दोष मृत हुए, तो वास्तविक रूपमें अपराधी कौन हैं ? खरे अपराधियोंको त्वरित बंदी बनाया जाए । अपराधी यदि नरकासुर स्पर्धाके स्थानपर बम रखनेमें सफल हुए होते, तो इसका भयानक परिणाम हुआ होता ? इसका उत्तरदायित्व कौन लेता ? (न्यायालयने ही स्पष्ट किया है कि ऐसा कोई हेतु नहीं मिला । ये सभी कपोलकल्पित कहानियां हैं ऐसा ही निकष पंजीकृत किया गया है । क्या इस विषयमें ‘सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया’को कुछ ज्ञात है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) इन प्रश्नोंके उत्तर जानने हेतु गोवाकी जनता उत्सुक है । (गोवाकी जनताको उत्तर मिल गया है । धर्मांधोंकाही पेटदर्द हो रहा है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
(संदर्भ : दैनिक हेराल्ड (अंग्रेजी))
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात