शिवसेना की युवा सेना के पदाधिकारी श्री. शार्दुल म्हाडगुत का अभिनंदन !
ऐसे ईसाई मिशनरियों को पकडकर उन्हें कठोर दंड देना चाहिए । घरवापसी का विरोध करनेवाले, ईसाई मिशनरियों द्वारा किए जानेवाले धर्मपरिवर्तन के विषय में कभी कुछ नहीं बोलते । इससे उनके ढोंगी धर्मनिरपेक्षतावाद की सच्चाई समाने आ जाती है । -सम्पादक, हिन्दू जनजागृति समिति
मुंबर्इ – आदिवासी तथा गरिबों का सेवा के नाम पर धर्म-परिवर्तन करने के आरोप ईसाई मिशनरियों पर सदा से लगते रहे हैं । अब इन मिशनरियों ने मुंबई के अस्पतालों को अपना लक्ष्य बनाया है । १७ मई को मुंबई के केईएम अस्पताल में किसी की अनुमति लिए बिना मिशनरी सीधे वॉर्डों में घुस गए । वहां रोगियों तथा उनके सबंधियों के बीच उन्होंने अपने पंथ के पत्रक वितरीत किए । तदुपरांत अठारह मई को वॉॅर्ड क्र. ६ में घुसकर ईसाई पंथ का प्रचार करना आरंभ कर दिया । बायबल का नवा करार वितरित कर ऐसा प्रचार करना आरंभ कर दिया कि यदि स्वस्थ होना है, तो केवल येशू से प्रार्थना करो । इस विषय में कुछ रोगियों ने प्रशासन से तक्रार भी की ।
तभी शिवसेना की युवा सेना के पदाधिकारी श्री. शार्दुल म्हाडगुत ने अस्पताल में जाकर कुछ रोगियोंसे ये साहित्य ले लिया तथा डॉक्टर और प्रशासन से परिवाद भी किया था । म्हाडगुत ने पूछा की, अब कहां है समाज की अंधश्रद्धा के विरोध में लडनेवाले ? रोगियों को बहका कर उन्हें येशू डॉक्टर से भी बडा है, ऐसा बतानेवालों के विरुद्ध कोई आवाज क्यों नहीं उठाई जाती ?
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात