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पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान व्यवस्थापन समिति के अपहार की जांच करें – मुख्यमंत्री द्वारा गृह विभाग को आदेश

हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा सामने लाए गए अपहार के संदर्भ में !

अपहार की जांच का निर्णय लेने के पश्चात उस संदर्भ में आदेश देने के लिए ३५ दिन की अवधि लेनेवाले भाजपा शासन द्वारा क्या कभी गतिमान कार्य की अपेक्षा कर सकेंगे ?

mandir_slide_4कोल्हापुर – मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गृह विभाग को श्री महालक्ष्मी एवं जोतिबा के साथ ३ सहस्र ६७ देवस्थानों के व्यवस्थापन देखनेवाले पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान व्यवस्थापन समिति में किए गए अपहार की जांच के आदेश १२ मई को दिए । (८ अप्रैल को भाजपा शासन ने जांच का निर्णय अपनाया था । ) यह जांच राज्य अपराध तंत्र शाखा के विशेष दल द्वारा की जाएगी । साथ ही १५ दिनों में कोल्हापुर अन्वेषण विभाग को आदेश प्राप्त होकर प्रत्यक्ष कार्यवाही का प्रारंभ होगा । (भाजपा शासन का सुस्त कार्य ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

१. पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान व्यवस्थापन समिति में परस्पर भूमि का विक्रय कर उत्खनन में भ्रष्टाचार, अलंकारों में भ्रष्टाचार, अलंकारों की प्रविष्टि में अंतर इस प्रकार अनेक अपहार सामने रखे हैं ।

२. विधायक श्री. राजेश क्षीरसागर ने मुख्यमंत्री से भेंट कर निर्णय में कार्यवाही की मांग की । (पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान व्यवस्थापन समिति के विरुद्ध कार्यवाही करने हेतु प्रयास करनेवाले तथा निरंतर यह विषय सामने रखनेवाले विधायक श्री. राजेश क्षीरसागर का अभिनंदन ! ऐसे विधायक ही हिन्दू धर्मकी सच्ची शक्ति हैं ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) तत्पश्चात मुख्यमंत्री ने गृह विभाग को यह आदेश दिया है, जो पुलिस महासंचालक द्वारा पुणे राज्य अपराध तंत्र विभाग(सीआइडी) से प्राप्त होगा । वहां से कोल्हापुर परिक्षेत्र का कार्यालय इस आदेश की कार्यवाही करेगा । इस पूरी प्रक्रिया में न्यूनतम ८ से १५ दिनों की कालावधि लगेगी ।

३. देवस्थान समिति के सचिवपद पर चार वर्ष पूर्व भरत सूर्यवंशी की नियुक्ति हुई थी । उन्होंने देवस्थान का अपहार स्पष्ट करने का प्रयास किया था; किंतु मंत्रालय से दबाव डालकर उनका स्थानांतर करने की मांग की गई है ।

४. केंद्र तथा राज्य में गठबंधन शासन है; किंतु देवस्थान समिति पर कांग्रेस तथा राष्ट्रवादी कांग्रेस के सदस्य हैं । वर्षों से देवस्थान समिति के अध्यक्ष एवं सदस्य इन पदों पर नियुक्त हैं । इस मोरचे(अघाडी) पर पदाधिकारियों के कार्य में देवस्थान समिति में सर्वाधिक अपहार हुआ है । अतः इस समिति को निरस्त कर उस स्थानपर नई समिति की स्थापना करने की मांग की गई है ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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