माघ कृष्ण पक्ष ५, कलियुग वर्ष ५११५
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पटना- बिहार के समस्तीपुर जिले के पांडु इलाके की सभ्यता छह हजार साल से भी ज्यादा पुरानी होने का पता चला है। उत्खनन में कई विकास के कई स्तर मिलने से स्पष्ट हुआ कि यहां की सभ्यता काफी पुरानी है। जिसमें नवपाषाण काल (४२०० से १५०० ईसा पूर्व) से लेकर मौर्य काल तक विकसित बसावट के प्रमाण मिले हैं।
काशी प्रसाद जायसवाल शोध संस्थान ने हाल ही में समस्तीपुर के पांडु में उत्खनन कार्य पूरा किया है। यहां से मिली वनस्पतियों और जीव अवशेषों की कार्बन डेटिंग से इनकी उम्र साढ़े छह हजार साल से ज्यादा साबित हुई है। बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट के पुरावनस्पति शास्त्री डॉ. केएस सब्बरवाल व पुराजीव विज्ञानी डॉ. पी जोगलेकर ने इनका अध्ययन कर महत्वपूर्ण तथ्यों की तरफ इशारा किया है। यहां धान, गेहूं व तिलहन की विधिवत खेती किए जाने के प्रमाण मिले हैं। यहां मिले जीवों के अवशेषों से प्रमाणित हुआ है कि इस समय तक इलाके में गाय, भेड़ बकरी तथा मछलियां पाली जाने लगी थीं।
उत्खनन में हड्डियों से बने औजार मिले हैं। इनमें तीर, भाले का अग्रभाग आदि शामिल है। यहां हिरण की सींग से बनी लगभग दो ढाई इंच लंबी स्टिक मिली जिसके अगले हिस्से को पेन की निब जैसा बनाया गया है। पुराविदों का मानना है कि इससे महीन नक्काशी जैसा काम किया जाता रहा होगा। लेकिन दूर होने की वजह से यह कला अभी तक पांडु नहीं पहुंची थी। पांडु में बाद के समय की लगभग ३८ एकड़ में फैली पक्की ईंट की सरंचना भी मिली है। केपी जायसवाल शोध संस्थान, पटना के निदेशक डॉ. विजय कुमार चौधरी ने बताया कि इसकी रिपोर्ट तैयार की जा रही है। जल्द प्रकाशित की जाएगी। इसके अलावा सहरसा के मंडनधाम में पुस्तकालय निर्माण के दौरान प्राचीन दीवार के भग्नावशेष मिले हैं। इसे प्राचीन कुएं का अवशेष बताया जा रहा है।
स्त्रोत : जागरण