माघ कृष्ण पक्ष पंचमी, कलियुग वर्ष ५११५
‘जिस कश्मीर को खूनसे सिंचा वो कश्मीर हमारा है’
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पुणे (महाराष्ट्र) : आतंकवादियोंसे हो रहे कष्ट, दी जानेवाली धमकियां, हिंदुओंका शारिरीक एवं मानसिक छल ऐसी यातनाओंसे पीडित होकर १९ जनवरी १९९० को लाखों कश्मीरी हिंदुओंको कश्मीर छोडकर विस्थापित होना पडा था ।
इसकी स्मृतिके रूपमें कश्मीरी हिंदुओंके विस्थापन दिनके निमित्त ‘पनून कश्मीर संगठन’की ओरसे १९ जनवरीको डेक्कनके छत्रपति संभाजी महाराजके पूतलेसे निषेध फेरी निकाली गई ।
‘जिस कश्मीर को खूनसे सिंचा वो कश्मीर हमारा है’, ‘कश्मीरी हिंदुको क्या चाहिए’, ‘अपनी मातृभूमी काश्मीर चाहिए’ । ‘कश्मीरी हिंदुओंपर अत्याचार नहीं सहेगा हिंदुस्थान’, ‘अखंड भारत अमर रहे, जयतु जयतु हिंदुराष्ट्रम्’ इस प्रकारसे धर्माभिमानियोंद्वारा उत्साहपूर्वक की गई घोषणाओंद्वारा हिंदुओंमें राष्ट्रीयताकी भावनाओंको जागृत किया गया ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात