पाकिस्तान और अफगानिस्तान की खुफिया एजेंसियों ने हाथ मिला लिया है। पाकिस्तान की आईएसआई और अफगानिस्तान की एनडीएस ने पिछले हफ्ते एक समझौता किया, जिसके तहत वे न सिर्फ सूचनाएं साझा करेंगे, बल्कि ऑपरेशंस में भी एक-दूसरे की मदद करेंगे।
अफगानी और पाकिस्तानी मीडिया में ऐसी खबर छपी है। जाहिर है भारत की खुफिया एजेंसियों के लिए यह अच्छी खबर नहीं है। हालांकि अफगानी सांसद इस समझौते का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस फैसले से काबुल को कोई फायदा नहीं होगा।
इस समझौते की ताकीद पाकिस्तानी सेना के मुख्य प्रवक्ता मेजर जनरल असीम बाजवा के ट्वीट से भी होती है। सोमवार रात उन्होंने ट्विटर पर इस समझौते की सूचना शेयर की।
ISI पर हक्कानी नेटवर्क से संबंध का आरोप
याद रहे कि अमेरिका, अफगानिस्तान और भारतीय अधिकारी लंबे समय से आईएसआई पर अफगानिस्तान में दखल देने और आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क से संबंध रखने का आरोप लगाते रहे हैं। पाकिस्तान स्थित इस आतंकी संगठन ने हाल के वर्षों में अफगानिस्तान में कई घटनाओं को अंजाम दिया है।
अफगानी संसद में कई सांसदों ने इस समझौते का विरोध किया। संसद के निचले सदन वोलेसी जिरगा में कई सांसदों ने कहा कि इस समझौते से अफगानिस्तान को कोई फायदा नहीं होगा। सांसदों ने नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल से इस बारे में सफाई मांगी। इसके बाद फर्स्ट डिप्टी स्पीकर जाहिर कादिर ने संसदीय पैनल से एनएससी को समन करने और सफाई मांगने का निर्देश दिया।
पाकिस्तान में ट्रेनिंग की बात गलत: एनडीएस
मामले पर बवाल बढ़ने के बाद एनडीएस ने इस बात से इनकार किया कि उसके कर्मचारी पाकिस्तान से ट्रेनिंग या हथियार लेंगे। एजेंसी के प्रवक्ता हसीब सिद्दीकी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘नए समझौते के तहत अफगानी सुरक्षाकर्मियों के पाकिस्तान में ट्रेनिंग के लिए जाने संबंधी खबरें झूठी हैं।’ सिद्दीकी ने कहा कि यह समझौता अफगानिस्तान के राष्ट्रीय हितों के खिलाफ नहीं है और यह दोनों देशों के बीच पहले से चल रहे आपसी सहयोग के आधार पर ही किया गया है।
मीडिया रिपोर्टों में यह दावा किया गया था कि समझौते के आधार पर आईएसआई अफगानिस्तानी खुफियाकर्मियों को ट्रेनिंग और हथियार मुहैया कराएगी। यह भी दावा किया गया था कि हिरासत में लिए गए संदिग्धों से दोनों एजेंसियां एक साथ पूछताछ करेंगी।
स्त्रोत : आज तक