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केजरीवाल जी, आप ले जा रहे हैं देश को अराजकता की ओर !

माघ कृष्ण पक्ष षष्ठी, कलियुग वर्ष ५११५


नई दिल्ली : हालांकि दिल्ली पुलिस कोई दूध की धुली नहीं है, पर आम आदमी पार्टी (आप) के सीएम अरविंद केजरीवाल और उनके साथी सोमवार को जिस तरह से राजधानी में धरना देते दिखे, उससे ये कहने का मन कर रहा है कि ‘आप’को क्या हो गया है। क्या इस तरह से सीएम अपने मसलों को मनवाने के लिए धरना देंगे? इस सवाल का जवाब आप को देना होगा। उन्होंने जिस तरह से धरना दिया, उससे इऩके चाहने वाले भी निराश होंगे। दिल्ली की जनता के सामने तमाम मसले हैं,जिनका कोई स्थायी हल होना चाहिए। पर, आम के नेता सड़कों पर धरने पर बैठ गए हैं। अब बताइये कि जनता से जुड़े मसले किस तरह से हल होंगे ?

दरअसल ‘आप’ के नेताओं और मंत्रियों का आचरण बेहद शर्मनाक और निराशाजनक रहा है। अब जब वे सरकार चला रहे हैं,तो उनसे अपेक्षा थी कि वे मर्यादाओं में रहेंगे। वे एक्टिविस्ट का चोला उतार देंगे। पर ये नहीं हो रहा। ये एक के बाद अपने बयानों और हरकतों के कारण गलत कारणों के चलते मीडिया की सुर्खियां बटोर रहे हैं। मुस्लिमों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के मामले में कुमार विश्‍वास की प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में हंगामा मचा तो प्रशांत भूषण के पत्रकार सम्‍मेलन को हिंदू रक्षा दल ने हल्‍ला बोल दिया। वैसे, ‘आप’ के विवादित नेताओं की सूची में सिर्फ ये दो ही नाम नहीं हैं, बल्कि दिल्‍ली के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री सत्‍येंद्र जैन, राखी बिड़ला, शाजिया इल्‍मी, सोमनाथ भारती जैसे कई नेता हैं। अपने नेताओं को समझाने की बजाय अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली पुलिस को खुली चुनौती देते हुए कहा कि अगर उसने अपनी कार्यप्रणाली में सुधार नहीं किया तो सरकार चुप नहीं बैठेगी। लोकतंत्र में सबको अपनी बात कहने का अधिकार हासिल है। इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता। पर अगर सरकार के मुखिया ही धरना- प्रदर्शन करने लगेंगे तो क्या होगा। अराजकता। इसे आज सारी दिल्ली और देश ने देखा। आप के धरने के कारण हजारों-लाखों दिल्ली वालों को अपने दफ्तरों और गंतव्य स्थलों में पहुंचने में भारी दिक्कत आई। मेट्रो रेल मैनजमेंट ने रेसकोर्स, पटेल चौक, केन्द्रीय सचिवालय समेत चार स्टेशनों को सुबह नौ बजे से दिन में एक बजे बंद रखा रखा। जाहिर है, इस कारण उन मुसाफिरों को भारी दिक्कत हुई होगी जो इन मेट्रो स्टेशनों पर चढ़ते या या उतरते हैं।

आम आदमी पार्टी के धरने के कारण कांग्रेस आला कमान भी शर्मसार हो रही होगी। कांग्रेस में आप को समर्थन देने के सवाल पर मतभेद साफतौर पर उभरते दिख रहे हैं। पी.चिदंबरम की इस बाबत टिप्पणी अहम है। देश को सोचना होगा कि आप का रवैया कहां तक जायज है। क्या अब राज्य मंत्री या उप मंत्री धरने पर बैठेंगे अगर उनके विभाग के कैबिनेट मंत्री उनकी राय से सहमत नहीं है ? क्या सीएम धरने पर बैठेंगे या अनशन करेंगे अगर केन्द्र सरकार उसकी मांगों को मानने से इंकार कर देती है। इन अहम सवालों के उतर देश चाहता है।

स्त्रोत : निती सेन्ट्रल

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