हिंदू जनजागृति समितिका पंजाब प्रांतका अवलोकन

माघ कृष्ण पक्ष सप्तमी, कलियुग वर्ष ५११५
९ नवंबर से ६ दिसंबरकी कालावधिमें हिंदू जनजागृति समितिकी ओरसे पंजाबमें अनेक स्थानोंपर संपर्क किए गए । उस समय अधोलिखित विविध अनुभव प्राप्त हुए ।

१.संपर्क वाचन

 

विवरण संख्या

१.   हिंदुतववादी संगठन

२.  अधिवक्ता
३.  पत्रकार
४. हिंदुत्ववादी ४९
५.  संप्रदाय
कुल ६२

२. प्राप्त कटु-मधुर अनुभव

२अ. अमृतसर

ह्युमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन ऑफ ग्लोबल माइनॉरिटी नामक संस्था द्वारा लव जिहादके विरोधमें सघर्ष करनेकी सिद्धता दिखाई !

समितिके लव जिहाद ग्रंथके माध्यमसे अमृतसर स्थित ह्युमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन ऑफ ग्लोबल माइनॉरिटी नामक संस्थाके श्री इंदरजीत सिंहसे संपर्वâ हुआ था । उन्होंने अपने सहयोगियोंके साथ समितिके कार्यकर्ताओंकी बैठक का आयोजन किया । इस संस्थाने लव जिहादके विरोधमें संघर्ष करनेकी तैयारी दर्शाई है । इसके संदर्भमें वे सिक्ख पंथके श्रद्धास्थान श्री अकाल तख्त साहिबके प्रमुखसे मिलकर लव जिहादके संदर्भमें सिक्ख पंथके अनुयायियोंकी जागृति करनेके लिए चर्चा करनेवाले हैं । अकाल तख्तद्वारा प्रदत्त निर्णय संपूर्ण सिक्ख पंथको मानना पडता है । समितिके कार्यकर्ताओंको भी उन्होंने इस बैठकमें सहभागी होनेका निमंत्रण दिया है । इस बैठक के उपरांत एक वृहत् पत्रकार परिषदका आयोजन कर सर्व लोंगोतक इस विषयको पहुंचानेका उनका मानस है ।

२आ. जालंधर

समितिके कार्यकर्ताओंसे प्रभावित हिंदु महासभाके श्री संजय कालिया ने इस कार्यमें अपना पूर्ण सहयोग देनेका प्रतिपादन किया । वह समितिके कार्यका उद्देश्य जानकर अत्यंत प्रभावित  हुए, `आप जैसा चाहेंगे, हम उसी प्रकारका कार्य करेंगे, ऐसा उन्होंने समितिके राष्ट्रीय मार्गदर्शक पू.(डॉ.) पिेंगळेजी को सूचित किया । अपने दोनों हाथ ऊंचे उठाकर, । आपके इस कार्यमें मेरा पूरा सहायोग होगा यह उपस्थित लोगोंके समक्ष व्यक्त किया ।‘

२ इ लुधियाना

२ इ १ . समितिके कार्यकर्ताओं की संबंधी दो सिक्ख महिलाओंने प्रसार कार्य करनेका मानस व्यक्त कर वृहत स्तरपर कार्यक्रमका आयोजन करनेकी तैयारी दर्शाई : यहांपर आयोजित बैठकमें समितिके कार्यकर्ता श्री मुंजालकी सास श्रीमती सुरजीत कौर एवं उनकी बहन दोनों ही सहभागी हुई थीं । बैठक का विषय विदित होनेपर वे अत्यंत प्रभावित हुर्इं एवं बोलीं, समितिका कार्य अत्यंत अच्छा है । हम भी इसमें सहभागी होंगी । आप पुन: जब पंजाब आएंगे उस समय बडी संख्यामें लोगोंको एकत्रितकर कार्यक्रम करेंगे । यहांकी स्थानीय हिंदु संस्थाओंसे आपकी भेंट करवाएंगे । उस समय उन्हें `हिंदु घर्मपर  होरहे आघात’ शीर्षक की ध्वनि चित्रचकती देनेपर उन्होंने उसे सभी लोगोंको दिखानेकी इच्छा व्यक्त की । (सर्वत्र ऐसी धर्माभिमानी स्त्रियोंकी आवश्यकता है ।- संकलक )

२ इ २. महर्षि पराशर वेदपाठशालाके माननीय संचालकद्वारा धर्मशिक्षा फलकोंके प्रदर्शनकी मांग करना एवं मासिक सनातन प्रभातका प्रसार करनेकी इच्छा व्यक्त करना :  महर्षि पराशर वेदपाठशालाके माननीय संचालक आचार्य सुनील शास्त्रीजीने समितिके धर्मशिक्षा फलकोंका प्रदर्शन लगाने की मांग की है । इसके लिए कुछ दिनोंके उपरांत वे एक कार्यक्रमका आयोजन करेंगे । उन्होंने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, समाजमें यदि जागृति करनी है, तो मासिक सनातन प्रभात प्रत्येक हिंदुके घरतक पहुंचना चाहिए । इसके लिए वे स्वयं भी प्रयत्न करेंगे ।

२ इ ३. बैठक आयोजित करने हेतु मंदिरकी अनुमति प्राप्त करनेके लिए गए समितिके कार्यकर्ताओंका कटु अनुभव : लुधियानामें सर्वानुमतसे एक मंदिरमें बैठक करना निश्चित हुआ था । समितिके स्थानीय कार्यकर्ता श्री कश्यप मंदिर प्रमुखके पास बैठककी अनुमति प्राप्त करने हेतु गए थे । उन्हें  बैठक का उद्देश्य एवं समितिके कार्य के विषयमें बतानेपर वे बोले, वर्ष १९७० से हम किसीको मंदिरमें कार्यक्रम आयोजित करनेके लिए स्थान नहीं देते । श्री कश्यपजीने, `समिति धर्मरक्षणार्थ कार्य करती है’, ऐसा निवेदन किया इसके पश्चात भी मंदिर प्रमुखने अनुमति नहीं दी तथा दूसरे एक मंदिरमें जानेका सुझाव दिया । कार्यकर्ता जब उनकेद्वारा बताए स्थानपर गए, तो उन्होंने, `उस मंदिर प्रमुखकी अनुमति प्राप्त करें’, श्री कश्यपको ऐसा बताया ।तदनुसार श्री कश्यप जब मंदिर प्रमुखके पास आए तो, उन्होंने अशोभनीय भाषाका प्रयोग करते हुए कहा , १० से १५  लोगोंकी बैठकके लिए आप मंदिरके पीछे क्यों लगे हैं ? कोई सभागृह आरक्षित करें और बैठक कर लें ।

(श्रद्धालुओंके अर्पणसे चलनेवाले मंदिरके प्रमुखकी यह अशोभनीय वृत्ति ! मुसलमानोंको मस्जिदमें तथा ईसाईयोंको चर्चसे धर्मकी शिक्षा दी जाती है । जिसके फलस्वरूप उनमें धर्माभिमान जागृत होनेसे, वे सदैव धर्मके लिए कुछ भी करनेको तैयार रहते हैं । सत्यतो यह है, कि हिंदुओंको भी मंदिरोंमें धर्मकी शिक्षा प्राप्त होनी चाहिए ; किन्तु वर्तमान स्थितिमें ऐसा होनेकी संभावना नहीं दिखाई देती । मंदिरोंके न्यासी एवं प्रमुख स्वयं स्फूर्तिसे कोई भी धर्म शिक्षा नहीं देते, इसके विपरीत सेवाभावसे धर्म करनेवाले हिंदु धर्माभिमानियोंको सहयोग करनेके लिए भी तैयार नहीं होते । हिंदु बंधुओं ! धर्मशिक्षा का महत्त्व समझकर अपने परिसरके मंदिरोंके प्रमुखोंको धर्म कार्य करनेके लिए जागृत करें ! – संकलक)

२ ई . पंचकुला

हिंदु धर्माभिमानीका प्रत्येक मासमें एकत्र आने एवं किसी एक राष्ट्रीय विषयपर आंदोलन करनेका निश्चय करना: यहांके िंहदु धर्माभिमानी श्री नीरज अत्री के घरमें एक बैठक का आयोजन किया गया था । जिसमें १० धर्माभिमानी सहभागी हुए थे । बैठकसे प्रेरणा लेकर श्री अत्री ने मासमें एकबार हम सब एकत्र आएं, ऐसा आवाहन किया एवं इसे सभीने सकारात्मक प्रतिसाद दिया । उसी प्रकारसे मासके प्रथम रविवार को राष्ट्रीय हिंदु आंदोलन के लिए एक राष्ट्रीय विषयका चयन कर, आंदोलन करनेका निश्चय किया गया ।

२ ऊ. पटियाला

२ ऊ १. हिंदु सुरक्षा समितिद्वारा आयोजित बैठकमें भारतमें अन्यत्र हिंदुओंपर किए गए अत्याचारोंका विरोध पटियालामें होना चाहिए, पू.(डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजीद्वारा ऐसा आहवान  किए जानेपर सभीको उत्सफूर्त प्रतिसाद प्राप्त होना : पटियालाकी हिंदु सुरक्षा समितिके श्री आशुतोष गौतमजीने कालीमाता मंदिरमें बैठका आयोजन किया था । उस बैठकमें ५० धर्माभिमानी हिंदु सम्मिलित हुए । उस समय मार्गदर्शन करते हुए पू.(डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी बोले, भारतमें किसी भी स्थानपर हिंदुओंपर यदि कोई आघात हो, तो संपूर्ण भारतमें उसका विरोध होना चाहिए । शासनको यह मालूम होना चाहिए कि हिंदु संगठित हैं । इस संदर्भका उत्तम उदाहरण, तिरूपति में बनााया जानेवाला इस्लामिक विश्वविद्यालय है ! शासनने इस विश्वविद्यालयके पांच माले ध्वस्त करनेका निर्णय दिया है ; क्योंकि इस आघातके विरुद्ध संपूर्ण देशमें आंदोलन खडे हुए एवं उनके यशस्वी होनेके कारण ही शासनको यह निर्णय देना पडा । तद्वत भारतमें किसी भी स्थानपर हुए आघातोंका विरोध पटियालामें भी होना चाहिए । इस आवाहनको सभीने उत्सफूर्त प्रतिसाद दिया ।
२ उ २ . संक्षेप
१. उस समय एक वृत्त वाहिनीने पू.(डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजीका चित्रीकरण किया ।
२. बैठकमें २ पत्रकार उपस्थित थे ।
२ उ ३. गुप्तचर विभागके एक अधिकारीने सादे परिधानमें आकर बैठककी जानकारी प्राप्त की : बैठकके समय गुप्तचर विभागके (आई.बी.) एक अधिकारी सादे परिधानमें उपस्थित थे । उन्होंने समितिके कार्यकर्ताओंके नाम लिख कर लिए । उन्होंने हिंदु धर्मपर आघात नामक ध्वनि-चित्रचकतीकी मांगकी । उन्होंने भ्रमणभाषद्वारा किसी अन्यको भी बैठक की जानकारी दी । वहांसे प्रस्थान होते समय उन्होंने  समितिके कार्यकर्ताओंकी गाडीका क्रमांक भी लिख लिया । (हिंदुओंकी प्रत्येक गतिविधिकी सूक्ष्मतम जानकारी लेनेवाले हिंदुद्रोही ! ये अधिकारी मस्जिद एवं मदरसोंमें चलनेवाले देशद्रोही कार्योंको रोकनेका प्रयत्न क्यों नहीं करते ? आतंकवादियोंके संदर्भमें यदि उन्होंने ऐसी सतर्वâता/ जागरूकता दिखाई होती तो अभी तक संपूर्ण देश आतंकवादियोंके पंजोंसे मुक्त हो गया होता ! -संकलक )

पंजाब दौरेके समय ४ धर्माभिमानी हिंदु हिंदी मासिक `सनातन प्रभात’ के सदस्य बने ।

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