यह बात एक बार पुनः सिद्ध हुई है कि धर्मरक्षणार्थ शिवसेना ही सबसे आगे है ! ईसाईयों पर होनेवाले आक्रमण की ओर त्वरित ध्यान देनेवाले प्रधानमंत्री मोदी क्या ईसाईयों के उपद्रव की ओर ध्यान देंगे ?
शिवसेना तथा युवा सेना द्वारा किए गए विरोध का परिणाम
मुंबई – महानगरपालिका के केईएम रुग्णालय में बलपूर्वक प्रवेश कर बिना अनुमति पत्रक वितरित कर रुग्ण एवं उनके संबंधियों के धर्मांतरण का प्रयास करनेवाले ईसाई धर्मप्रसारकों को रुग्णालय प्रशासन ने रुग्णालय में प्रवेश पर पाबंदी डाल दी है । इस संदर्भ का एक परिपत्रक भी प्रकाशित किया गया है । उसमें यह आदेश दिया है कि कक्ष में ‘धर्मांतरण के लिए पूरक लिखित साहित्य लेकर आनेवाले व्यक्ति को कक्ष के बाहर ही रोकें ।’ शिवसेना तथा उसकी शाखा युवा सेना ने धर्मांतरण के विरुद्ध प्रतिकार प्रदर्शित किया था । (धर्मांतरण का विरोध करनेवाले शिवसेना तथा युवा सेना का अभिनंदन ! अन्य दल एवं संगठनों को उनका आदर्श लेना चाहिए ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
१. युवा सेना द्वारा धर्मांतरण का प्रकरण स्पष्ट करने के पश्चात भी रुग्णालय के अधिष्ठाता डॉ. अविनाश सुपे ने बताया, कि इस संदर्भ में हमें कुछ भी पता नहीं है । (जो बात युवा सेना को स्पष्ट दिखाई देती है, क्या वह बात अधिष्ठाता के ध्यान में नहीं आती ? या वे इस बात की ओर जानबूझकर अनदेखा कर रहे हैं ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) युवा सेना द्वारा प्रमाण प्रस्तुत करने के पश्चात ही डॉ. सुपे ने इस संदर्भ में अपराध प्रविष्ट करने का आश्वासन दिया था ।
२. शिवसेना तथा युवा सेना द्वारा यह चेतावनी दी गई, कि रुग्णालय के अभिभावक होने से इस घटना का पूरा दायित्व आपका है । यदि यह प्रकरण रुग्णालय प्रशासन की अनुमति से घटा है, तो संबंधित अधिकारी तथा कर्मचारियों पर कडी कार्रवाई करनी चाहिए अन्यथा आंदोलन का आयोजन करना बाध्य होगा । (हिन्दुओ, कार्रवाई होने तक रुग्णालय प्रशासन का पीछा चालू ही रखें ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात