यदि शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे प्रधानमंत्री होते, तो … !

माघ कृष्ण पक्ष सप्तमी, कलियुग वर्ष ५११५ 

शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरेजीके जयंती निमित्त…

वर्तमान समयमें हिंदुओंको अपने ही देशमें अत्यंत उपेक्षाका जीवन जीना पड रहा है तथा कुछ उद्दंड / मुंहजोर अन्य धर्मियोंद्वारा उन्हें बार-बार कष्ट भोगने पड रहे हैं । हिंदुओंद्वारा भोगे जानेवाले कष्टोंके विषयमें कुछ हिंदुनिष्ठ संगठन एवं शिवसेना पक्ष आवाज उठा रहे हैं तथा सरकारको भी उसका भान करा रहे हैं; परंतु वर्तमान समयमें सत्ता निरपेक्ष (अधर्मी) कांग्रेसके राजनेताओंके हाथोंमें रहनेके कारण उनकी ओरसे हिंदुओंके विषयमें आवश्यक निर्णय नहीं लिए जाते । उसीप्रकार इन राजनेताओंका पूरा ध्यान अन्य धर्मियोंकी सुख-सुविधाओंपर लगा हुआ है । इसलिए वे हिंदुओंको न्याय मिलाकर नहीं देते । इतना ही नहीं, उन्हें ८५ करोड हिंदुओंका अस्तित्व तिनकेके समान लगता है । वर्तमान समयमें अधिकांश हिंदु साधना नहीं करते । इसलिए उनके पास ईश्वरीय बल नहीं है । अतः राजनेताओंके पक्षपातपूर्ण नीतिके कारण वे निश्चित रूपसे चक्कीमें पिसे जा रहे हैं तथा भेड-बकरीके समान जीवन जी रहे हैं । किसी भी सर्वसाधारण व्यक्तिको लगता है कि अपना जीवन सुखी एवं सुरक्षित हो । परंतु वर्तमान समयमें देशमें वैसी परिस्थिति बिलकुल नहीं है ।

इस समय यदि देशमें हिंदु धर्मप्रेमी सत्तामें आए, तो इस परिस्थितिमें जमीन-अस्मानके जितना अंतर पड सकता है । इसलिए हिंदुओंको चाहिए कि वे हिंदुहितदक्ष एवं हिंदुत्वका समर्थन करनेवाले राजनेताओंको सत्तामें लाना चाहिए । एक उदाहरणके रूपमें यदि शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे प्रधानमंत्री होते, तो इस देशमें क्या हुआ होता, इसके कुछ सूत्र आगे दिए हैं । कुछ व्यक्तियोंमें उत्तम नेतृत्व होता है; परंतु देशकी राजनीतिमें कोई एक पद विभूषित करनेकी उनकी इच्छा नहीं रहती । कुछ लोग युवा रक्तको अवसर मिले, इस हेतु पीछे रहते हैं एवं उन्हें केवल दिशादर्शन करनेका कार्य करते हैं । इसमें ही एक शिवसेनाप्रमुख हैं । यदि उनके हाथमें सत्ता होती, तो भविष्यमें कुछ बातोंका सर्वत्रके हिंदुओं एवं भारतको लाभ होता था । विस्तारभयके कारण यहां कुछ गिनेचुने उदाहरण लिए हैं।

१. देशकी सुरक्षाकी दृष्टिसे आवश्यक बातें

अ. सर्वप्रथम उन्होंने भारतको ‘हिंदु राष्ट्र’ के रुपमें घोषित किया होता ।

आ. इंडियन मुजाहिदीन, लष्कर-ए-तोयबा, सिमी आदि देशद्रोही संगठनोंपर स्थायी रूपसे प्रतिबंध लगाया होता ।

इ. देशद्रोही आतंकवादियोंको शीघ्र फांसीपर लटकाया होता, जिससे आगेके आतंकवादी आक्रमण टल गए होते ।

ई. पुलिसको आतंकवादी एवं दंगा मचानेवाले मुसलमानोंपर त्वरित कार्यवाही करनेके आदेश दिए होते।

उ. लव-जिहादसमान आदेश निकालकर हिंदुओंको कष्ट देनेवाले मुसलमानोंको सही रास्तेपर लाए होते।

ऊ. देशद्रोही मुसलमानोंकी चापलूसी ना स्वयं की होती और ना किसीको करने भी दी होती ।

ए. किसी भी देशद्रोही मुसलमानको चुनाव लडनेकी अनुमति नहीं दी होती ।

२. जनताके हितके निर्णय

अ. देशद्रोही मुसलमानोंपर धाक जमाई होती एवं उन्हें वंदेमातरम् कहना अनिवार्य किया होता । वंदेमातरम् न कहनेवाले व्यक्तियोंको स्थायी रूपसे पाकिस्तानका मार्ग दिखाया होता ।

आ. शिवजयंतीके समय एवं अन्य समयमे भी हिंदुओंको छत्रपति शिवाजी महाराजके प्रति प्रेम एवं आदर व्यक्त करने हेतु पूरी तरह छूट दे रखी होती । अफजलखानवधका छायाचित्र सरकारद्वारा ही महत्त्वपूर्ण एवं सार्वजनिक स्थानोंपर प्रदर्शित किया होता ।

इ. शिवाजी महाराजका सैकडों पृष्ठोंका इतिहास हिंदुओं एवं हिंदु लडकोंको विद्यालयमें पढानेका प्रयास किया होता ।

ई. हिंदुओंको अपने त्यौहार तथा उत्सव अन्य धर्मियोंकी अडचनोंके बिना शांतिसे मनाना संभव हुआ होता । अन्य धर्मीय हिंदुओंकी यात्राओंपर पथराव करनेका साहस नहीं किए होते ।

उ. प्रसारमाध्यमोंको हिंदुद्वेष नहीं करने दिया जाता ।

३. हिंदुनिष्ठ संगठनोंके संदर्भमें कार्यए

अ. हिंदुनिष्ठ संगठनोंके राष्ट्र-धर्म विषयक कार्यकी प्रशंसा कर सरकारद्वारा भी उनका सम्मान किया गया होता तथा उन्हें अधिक कार्य करनेके लिए बलपूर्ति की गई होती ।

आ. सनातन संस्था, अभिनव भारत, हिंदू जनजागृति समिति तथा श्री शिवप्रतिष्ठान आदि हिंदुत्वको संजोनेवाले संगठनोंसे सम्मानपूर्वक आचरण किया होता तथा उनके पीछे जांचका झंझट नहीं लगाया होता ।

इ. अस्तित्वमें न रहनेवाले ‘हिंदु आतंकवाद’ शब्दका उच्चारण भी किसीको नहीं करने दिया होता ।

ई. आवश्यकताके अनुसार हिंदुओंके संत एवं संगठनोंको सुरक्षा प्रदान की होती ।

उ. देशमें सभी दृष्टिसे हिंदु धर्मप्रसार एवं हिंदुत्वका कार्य बढानेके लिए सहायता की होती ।

४. विदेशके संदर्भमें नीति !

अ. पाकिस्तान एवं चीनको शत्रु ही माना होता तथा उनके भारतविरोधी कार्यवाहियोंको ‘जैसेको तैसा’ अच्छा प्रत्युत्तर दिया होता ।

आ. पाकिस्तानसे केवल विचार-विमर्श न कर बंदूकका प्रत्युत्तर बंदूकसे ही दिया होता ।

इ. कश्मीरमें सेना घुसाकर पाकव्याप्त एवं आतंकवादसे खोखला हुआ कश्मीर एवं वहांकी जनताको आतंकवादी कार्यवाहियोंसे मुक्त किया होता ।

ई. पाकिस्तानस्थित आतंकवादी संगठनोंपर प्रतिबंध लगानेके लिए तीव्र शब्दोंमें खडसाकर पाकिस्तानको बाध्य किया होता ।

उ. पाकिस्तानी खिलाडियोंको भारतमें पांव रखनेकी अनुमति नहीं दी होती ।

संक्षेपमें कहा जाय, तो समस्त भारतीय एवं हिंदुओको ‘हिंदु राष्ट्र’में स्वाभिमान एवं सम्मानके साथ सुरक्षित जीवन जीनेके लिए आवश्यक सभी बातें की होती ।

प्रत्येकको लगता है कि हम भी ऐसे आदर्श रामराज्यमें रहें; परंतु रामराज्य आनेके लिए हमें भी रामराज्यकी जनताके समान धर्माचरणी एवं ईश्वरनिष्ठ होना आवश्यक है, तो ही हम रामराज्यके अधिकारी हो सकेंगे । इसके लिए सर्वत्रके हिंदुओंको साधना करना ही आवश्यक है ।

– एक हिंदु धर्माभिमानी (२०.५.२०१०)

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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