प्राध्यपक भले ही बाद में अपने वक्तव्य से पलट गये हो; परंतु उन्होंने जो कहा हैं उसपर विचार होना आवश्यक हैं । हिंदूंआें के संतों पर कथित यौन शोषण के आरोपों के बाद उनकी बदनामी करनेवाली मीडिया को अब मदरसों के विषय में कार्यक्रम करने चाहिए । और मदरसों का सच जनता के सामने लाना चाहिए । – सम्पादक, हिन्दू जनजागृति समिति
अलीगढ़ – अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर के समलैंगिकता पर दिए गए कथित बयान ने विवाद खड़ा कर दिया है। प्रोफेसर वसीम रजा ने अपने एक कमेंट में मदरसों को समलैंगिकों का अड्डा बताया और इन्हें बैन करने की मांग की है। प्रोफेसर ने यह मैसेज एक न्यूज चैनल को भी वॉट्सऐप पर भेजा है। इसके बाद यूनिवर्सिटी कैंपस में स्टूडेंट्स ने इतिहास के इस प्रोफेसर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। स्टूडेंट्स से लेकर टीचर्स एसोसिएशन तक प्रोफेसर के विरोध में उतर आई है।
खबर के अनुसार इस मैसेज में राजा कहते हैं कि हम मदरसों को हटाना चाहते हैं। यहां पर होमोसेक्सुअलिटी अनियंत्रित स्तर पर है, मौलाना इसमें शामिल हैं। हालांकि प्रोफेसर ने कहा कि उन्होंने ऐसी कोई बात नहीं कही। मैं सार्क कांफ्रेंस का सदस्य रह चुका हूं और समुदाय के उद्धार की बात की है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मैंने इस तरह की बातें कही। मेरा फोन हैक हो गया था और मैंने अब उस चैट ग्रुप को ब्लॉक कर दिया है।
वहीं यूनिवर्सिटी के छात्र इस मुद्दे को अब सोशल मीडिया पर उठा रहे हैं और राजा की टिप्पणी की निंदा कर रहे हैं। छात्रों का कहना है कि प्रोफेसर के बयान से यूनिवर्सिटी के नाम को धक्का पहुंचा है। ऐसा कहने से पहले सोचना चाहिए। ऐसे बयान देने से पहले सबूत पेश करने चाहिए।
स्त्रोत : लाइव्ह हिन्दुस्थान