क्या हिन्दुआें को बदनाम करने के लिए इस महिलाने एेसा झूठ बोला ? – सम्पादक, हिन्दू जनजागृति समिति
मुंबई : मुंबई की जिस महिला मॉडल मिस्बाह कादरी ने मुस्लिम होने के नाते फ्लैट से निकाले जाने की बात कही थी वो खुद अपनी बात में फसती हुई नजर आ रही है।
ब्रोकर के अनुसार मिस्बाह ने वो फ्लैट उनके माध्यम से लिया था, लेकिन उन्होंने उसका पैसा कई दिनों से नहीं दिया था और बिना बताए उस फ्लैट में रह रही थी।
इस संबंध में ब्रोकर ने कहा है कि सांघवी हाइट्स में कई और भी मुस्लिम परिवार रहते हैं, लेकिन उन्हें कभी कोई दिक्कत नहीं हुई। उसने कहा कि मामला केवल लेन देन का है उसे बेवजह इतना बढ़ाया जा रहा है।
स्रोत : अमर उजाला
अद्ययावत
२८ मर्इ २०१५
मुस्लिम होने की वजह से युवती को फ्लैट से निकाला
इस प्रकार के समाचार मीडिया बार-बार प्रसारित करती है । परंतु हिन्दुआें पर हो रहे अत्याचारों के विरोध में मीडिया मुंह नहीं खोलती । क्या यहीं है भारत की सेक्युलर मिडिया ? – सम्पादक, हिन्दू जनजागृति समिति
मुंबई – पिछले साढ़े पांच सालों से मुंबई में रह रहीं मिस्बाह कादरी ने आरोप लगाया है कि मुस्लिम होने की वजह से उन्हें वडाला इलाके में किराये के फ्लैट से निकाल दिया गया। उन्होंने कहा कि गुजरात में तो ऐसा होता है, लेकिन मैं जब से मुंबई आई हूं यहां भी मेरे साथ लगातार भेदभाव हो रहा है। उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) से इसकी शिकायत करने का फैसला किया है। इससे पहले मुंबई में एक डायमंड एक्सपोर्ट कंपनी द्वारा एक मुस्लिम युवक जीशान अली के आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया गया था कि कंपनी केवल गैर-मुस्लिमों को नौकरी पर रखती है।
मीडिया से बात करते हुए २५ वर्षीय मिस्बाह कादरी ने बताया कि मैं वडाला ईस्ट की सांघवी हाइट्स सोसायटी के तीन बेडरूम वाले फ्लैट एक सप्ताह पहले ही शिफ्ट हुई थी। इस फ्लैट में दो हिन्दू युवतियां पहले से रह रही थीं और इन लोगों का संपर्क फेसबुक के जरिए हुआ था। इसके बाद मिस्बाह कादरी ने भी उनके साथ शिफ्ट होने का फैसला किया था।
इस फ्लैट में शिफ्ट होने से एक दिन पहले ही अपार्टमेंट के ब्रोकर ने उन्हें चेताया था कि इस हाउसिंग सोसायटी में मुस्लिमों को किराये पर घर नहीं दिया जाता है। काफी जद्दोजहद के बाद ब्रोकर ने मिस्बाह कादरी को बताया कि उन्हें एनओसी पर साइन करना होगा, जिसमें लिखा होगा कि उनके धर्म की वजह से पड़ोसी उनके साथ किसी तरह का भेदभाव करते हैं तो फ्लैट का मालिक, बिल्डर और ब्रोकर कानूनी रूप से जिम्मेदार नहीं होगा।
हालांकि, मिस्बाह इन शर्तों को मानने के लिए तैयार नहीं थीं, लेकिन वह फ्लैट में शिफ्ट कर गईं। इसकी वजह यह थी कि जिस फ्लैट में वह रह रही थीं, उसका नोटिस पीरियड खत्म हो चुका था और फ्लैट में पहले से रह रहीं दोनों युवती काफी सपोर्ट कर रही थीं। मिस्बाह कादरी को भरोसा था कि बाद में कोई न कोई समझौता हो जाएगा। लेकिन, एक सप्ताह के भीतर ब्रोकर ने फिर से उनसे संपर्क किया और फ्लैट से बाहर सामान फेंकवाने की धमकी देने लगा । मिस्बाह कादरी ने जब बिल्डर के प्रतिनिधि से बात की तो उसने बताया कि मुसलमान किरायेदार नहीं रखने की पॉलिसी है। आखिरकार थक-हार के उन्हें फ्लैट छोड़ना पड़ा।
सांघवी हाइट्स के सुपरवाइजर राजेश ने कहा कि उन्हें इस विवाद के बारे में कोई जानकारी नहीं है। राजेश ने कहा कि यह आरोप बिल्कुल गलत है कि इस सोसायटी में मुस्लिमों को किराये पर मकान नहीं दिया जाता है। उन्होंने कहा कि यह ब्रोकर और उस युवती के बीच का विवाद है।
स्त्रोत : नवभारत टाइम्स