कल ही मुंबर्इ में एक मुसलमान युवती को घर से निकालने पर बवाल खडा करनेवाली सेक्युलर मिडिया अब चुप क्यों ? – सम्पादक, हिन्दू जनजागृति समिति
पाकिस्तान के शहर पेशावर में कहा जाता है कि इस वक़्त कुल १२०० से १५०० हिंदू परिवार बसते हैं जबकि ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह प्रांत में इनकी तादाद ४७००० है I
पेशावर के इतिहास से पता चलता है कि कभी इस शहर पर हिंदुओं का राज हुआ करता था मगर अब ये पुराने शहर की तंग गलियों वाले मुहल्लों तक ही सीमित हैं I
शहर में ज़्यादातर बाल्मिकी समुदाय के हिंदू बसते हैं और सबसे मशहूर मोहल्ला है कालीबाड़ी, शायद उस ऐतिहासिक कालीबाड़ी मंदिर की वजह से जो यहां आज भी मौजूद है I
जब मैं इस मोहल्ले में रहने वाले बिशन दास के घर पहुँची तो वे अपनी पत्नी और बेटी संध्या के साथ अपने घर ही में बने छोटे से मंदिर में पूजा कर रहे थे I
मंदिर एक कमरे में बना है जो बैठक के लिए भी इस्तेमाल होता है I
उनकी कालोनी एक कंपाउंड के अंदर बनी थी जिसमें दो-तीन कमरों वाले तक़रीबन तीन दर्जन से ज़्यादा घर थे I
डिग्री लेकिन नौकरी नहीं
बिशन दास खाना पकाने का काम करते हैंI आमदनी कम होने के कारण वो अपने दिल की बीमारी का इलाज नहीं करा पा रहे हैं लेकिन उन्होंने बेटी को कांवेंट स्कूल में पढ़ाया और फिर यूनीवर्सिटी भेजाI
संध्या ने यूनीवर्सिटी से एमएससी की डिग्री हासिल कीI
लेकिन परिवार का कहना है कि हिंदू होने की वजह से संध्या को उसी स्कूल में काम नहीं मिल पाया जहां से उन्होंने पढ़ाई की थीI
अगर एक तरफ़ हिंदू नौजवानों को नौकरियां नहीं मिल रही हैं तो वहीं क़ानून व्यवस्था भी कुछ बेहतर नहीं हैI
इस मोहल्ले में हिंदू और ईसाई परिवार एक दूसरे के विरोधी नज़र आए I
मामूली बात पे कत्ल
एक और बाल्मिकी परिवार से मिलने पर पता चला कि पतंगबाज़ी के मामूली झगड़े में एक हिंदू नौजवान ईसाइयों के हाथों मारा गयाI इस मामले में जेल गए लोग अब रिहा हो गए हैंI
बाल्मिकी सवाल करते हैं, “क्या कोई सभा नहीं है जो इसका संज्ञान लेI”
शहर पेशावर की गोरखनाथ सभा मंडल के उपाध्यक्ष किशोर कुमार का इस मामले पर कहना है, “सभा भी है और पंचायत भी है लेकिन ये मामला ३०२ का है, क़त्ल का है, इसका फ़ैसला सिर्फ़ सरकार कर सकती है, इसमें हमारा कोई दख़ल नहीं हैI”
कम से कम सुनवाई तो हो
उनका कहना था कि जो लोग क़ातिलों का समर्थन कर रहे हैं वो ताक़तवर मुसलमान हैं इसलिए बात बढ़ जाने का ख़तरा भी हैI
इसी मामले पर मानवाधिकार कार्यकर्ता रख़शंदा नाज़ का कहना है, “ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह में हिंदू समुदाय बेहद कम तादाद में और मुश्किल हालात में हैI ये पाकिस्तान के शहरी हैं लेकिन इन्हें भारत-पाकिस्तान के राजनीतिक झगड़ों की वजह से शक़ की नज़र से देखा जाता हैI ये इनके साथ ज़्यादती हैI”
रख़शंदा नाज़ पाकिस्तान सरकार को सलाह देते हुए कहती हैं, “हिंदू समुदाय का पिछड़ापन दूर करने में तो शायद कुछ वक़्त लगे लेकिन फ़िलहाल के लिए उनकी सुनवाई हो कम से कम ये बहुत ज़रूरी हैI”
स्रोत : बी बी सी