बल्लभगढ (उत्तर प्रदेश) में सांप्रदायिक हिंसा तिसरे दिन भी जारी

बल्लभगढ़ (उत्तर प्रदेश) – बुधवार की दोपहर ६० साल के एक बुजुर्ग मुस्लिम पर कुल्हाड़ी से हमला किया गया। बल्लभगढ़ के अटाली गांव में तीन दिन पहले लूटमार से शुरू हुई सांप्रदायिक हिंसा, जिसमें  से १५ अधिक लोग घायल हुए थे, अब भी जारी है।

पुलिस ने मुताबिक, बुधवार दोपहर जिस बुजुर्ग पर हमला किया गया उनका नाम हसन मुहम्मद है। दोपहर के करीब २.३० बजे चार लोगों ने उनपर कुल्हाड़ी से हमला किया। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, हसन मुहम्मद गांव के बाहरी छोर पर रहते हैं। वह अपने जानवरों को चराने के लिए बाहर निकले थे। हमले में वह बुरी तरह घायल हो गए। कुल्हाड़ी की चोट के कारण उनका बहुत सारा खून भी निकला। गांव में तैनात पुलिस दल ने वारदात की खबर मिलते ही सही समय पर पहुंचकर उनकी जान बचाई।

फरीदाबाद के पुलिस कमिश्नर सुभाष यादव ने इंडियन एक्सप्रेस के हवाले से बताया कि हसन को गंभीर चोटें आई हैं, लेकिन उनकी हालत अभी स्थिर बताई जा रही है। उन्हें नजदीकी बी.के अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने भी बुधवार को अटाली गांव का दौरा किया। पुलिस को सूचना मिली है कि गांव के मुस्लिम समुदाय के स्वामित्व वाले जानवरों के चारे को भी कुछ अज्ञात लोगों ने आग लगाकर नष्ट कर दिया है। यह घटना भी तकरीबन उसी समय की बताई जा रही है जिस वक़्त हसन मुहम्मद के ऊपर हमला हुआ। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है ।

फरीदाबाद के बल्लभगढ़ तहसील के अंतर्गत आने वाले अटाली गांव में सोमवार शाम से ही सांप्रदायिक हिंसा का दौर जारी है। गांव में एक मस्जिद निर्माण कार्य को लेकर दो समुदायों के बीच शुरू हुई अनबन ने हिंसक रूप ले लिया है।

जमीन के विवाद का यह मामला नया नहीं है। जमीन के उक्त टुकड़े पर पिछले पांच साल से दोनों समुदायों के बीच विवाद चल रहा है। विवाद के बाद शुरू हुई ताजा हिंसा के मामले में विवादित मस्जिद को आग लगा दी गई। मस्जिद के पास ही एक मंदिर भी है। गांव के मुस्लिम परिवारों का आरोप है कि उनके घरों को निशाना बनाकर हमला किया गया। पुलिस ने अभी तक इस मामले में कोई गिरफ़्तारी नहीं की है।

हालांकि गांव के मुस्लिमों का कहना है कि पुलिस ने गांव में हिंसा भड़काने के आरोप में जाट समुदाय के एक युवक को हिरासत में लेने और पूछताछ करने के बाद छोड़ दिया। गांव के ही एक निवासी, माज़िद का कहना है कि हिंसा शुरू होने के करीब 48 घंटे बाद तक पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। फिर पुलिस ने जाट समुदाय के एक युवक को हिरासत में लेकर पूछताछ की। लेकिन जब युवक के परिवार वालों और गांव के अन्य लोगों ने पुलिस पर दबाव बनाया तो पुलिस ने युवक को रिहा कर दिया।

 हिंसा की घटना के बाद गांव में फैली अफवाहों के कारण ज़्यादातर मुस्लिम परिवार गांव छोड़कर चले गए हैं। उन्हें आशंका है कि अभी हिंसा की और भी ज़्यादा वारदातें हो सकती हैं। ज़्यादातर मुस्लिम परिवार अपने-अपने घर छोड़कर बल्लभगढ़ शहर के पुलिस थाने में ठहरे हुए हैं। पुलिस कमिश्नर सुभाष यादव ने बताया कि मुस्लिम परिवार गांव वापस जाने में डर रहे हैं। ज़्यादातर के घर जलाये जा चुके हैं।
पुलिस ने कुछ परिवारों को मंगलवार शाम गांव वापस ले जाने की कोशिश की, लेकिन लोगों ने यह कहकर घर लौटने से मना कर दिया कि उनके घर जलकर नष्ट हो चुके हैं। कई परिवारों ने पुलिस थाने में शरण ली हुई है, और बाकी परिवार अपने रिश्तेदारों के यहां ठहरे हुए हैं।कमिश्नर सुभाष यादव ने कहा कि गांव में हिंसा को फिर से भड़कने से रोकने के लिए पुलिस पूरी कोशिश कर रही है। पुलिस गांव के स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर दोनों समुदायों के लोगों के बीच बातचीत के रास्ते सुलह करवाने की कोशिश कर रही है।

विवाद का कारण जिस मस्जिद को बताया जा रहा है, उसे सिटी कोर्ट पहले ही निर्माण के लिए हरी झंडी दिखा चुका है। लेकिन कोर्ट के फैसले के बाद याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका वापस ले ली। इस कारण इस पूरे मामले पर विवाद बना हुआ है।
स्रोत : नवभारत टाइम्स

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