सलमान के बहाने देश को बांटते असदुद्दीन ओवैसी

माघ कृष्ण पक्ष एकादशी, कलियुग वर्ष ५११५


हैद्राबाद : ऑल इंडिया मजिलिस-ए-इत्तिहादुल मुसलिमीन (एआईएमआईएम) के ५४ वर्षीय सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने अपने समर्थकों (पढ़े मुसलमानों ) से सलमान खान की शुक्रवार को रिलीज हो रही फिल्‍म ‘जय हो’ नहीं देखने की अपील की हैं। उनका तर्क है कि चूंकि सलमान खान ने नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की अहमदाबाद में,इसलिए मुसलमानों को उनकी नई फिल्म को नहीं देखना चाहिए। ओवेसी,जिनकी समूची राजनीति मुसलमानों को जज्बाती सवालों के इर्द-गिर्द ऱखने की है,से इससे ज्यादा कोई उम्मीद भी नहीं करनी चाहिए। वे इस तरह के भड़काऊ बयान देते रहते हैं। और हमारे यहां अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर आपको सब कुछ बोलने का अधिकार हासिल है। पर, सांसदों या दूसरे जनप्रतिनिधियों से उम्मीद की जाती है कि वे समाज के विभिन्न वर्गों के मेल-मिलाप के लिए कार्य करेंगे। पर ओवेसी तो समाज को तोड़ रहे हैं,बांट रहे हैं। फिलहाल ओवैसी की बातों से यह सवाल जरूर खड़ा हो गया है कि क्‍या ओवैसी हैदराबाद के पुराने शहर इलाके को लेकर असुरक्षित हैं? क्‍या नरेंद्र मोदी के साथ सलमान के खड़े होने मात्र से उन्‍हें अपना किला ढ़हता हुआ नजर आ रहा है और वह यह मान कर चल रहे हैं कि बीजेपी क्षेत्र में अच्‍छा प्रदर्शन कर लेगी?

असदुद्दीन और उऩके अनुज अकबरुद्दीन भड़काऊ भाषणों को देने के लिए चर्चा में रहते हैं। हालांकि ओवेसी का ताजा फरमान गंभीर है। सलमान के चाहने वाले सारे देश में हैं। नौजवान उन्हें बेहद चाहते हैं। इस बात की उम्मीद कम है कि ओवेसी की अपील का असर मुसलमानों में होगा। उन्होंने अपने समर्थकों से कहा है कि वह सलमान के प्रति अपने रवैये को ‘मैंने प्‍यार किया’ से बदलकर ‘मैंने प्‍यार क्‍यों किया’ वाला बनाए। जाहिर है कि ओवेसी के ताजा फरमान के कारण देश में सांप्रदायिक ताकतों को चारा मिलेगा। ओवेसी साहब को ये नहीं भूलना चाहिए कि सलमान का परिवार धर्मनिरपेक्षता की बेहतरीन मिसाल है। उऩकी मां हिन्दू हैं। बहन का विवाह एक हिन्दू परिवार में हुआ है। उनके दोनों छोटे भाइयों की पत्नियां हिन्दू हैं। इस तरह के शानदार परिवार से संबंध रखने वाले शख्स के खिलाफ ओवेसी की टिप्पणी शर्मनाक है।

बहरहाल, बीजेपी के वरिष्‍ठ नेता वैंकेया नायडू ने ठीक ही कहा कि ओवैसी की बातों पर ज्‍यादा ध्‍यान देने की जरूरत नहीं है, क्‍योंकि वह मोदी-फोबिया के शिकार हैं।

स्त्रोत : निती सेन्ट्रल

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