माघ कृष्ण पक्ष एकादशी, कलियुग वर्ष ५११५
तथाकथित सुधारवादी धर्माध लेखिका सारा अबुबेकरका अंधा धर्मप्रेम !
मंगलुरू (कर्नाटक) – ‘ऑल इंडिया डेमोक्रिटीक युनायटेड प्रंट’ द्वारा आयोजित एक परिसंवादमें सम्मिलित होते समय सुधारवादी लेखिका सारा अबुबेकरने धर्मांध का पक्ष लेते हुए कहा है कि लव-जिहादके आरोप अत्यंत आधारहीन हैं । ‘मुझे न्यूनतम ऐसी ५ घटनाएं बताएं’ । (भारतमें लव-जिहादकी सहस्रों घटनाएं हो रही हैं, इस बातको न केवल पुलिसने अपितु न्यायालयोंने भी स्वीकार किया है तथा इस संदर्भमें केरलके भूतपूर्व मुख्यमंत्री अच्युतानंदने भी सार्वजनिक रूपसे वक्तव्य दिया था । परंतु अबुबेकर जानबूझकर पागलपनका ढोंग रचानेका प्रयास कर रही हैं ।उन्हें हिंदुओंद्वारा कितने भी प्रमाण दिए गए, तो भी वे स्वीकार नहीं करेगी । मूलतः परिसंवादका आयोजन ही एक धर्मांध संगठनद्वारा किया गया है, तो ऐसे वक्तव्य दिए ही जाएंगे ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
अबुबेकरके मतका समर्थन करनेमें चंद्रकला नंदनवार, नागमणी एवं ज्योति चेल्यारू ये हिंदु साहित्यिक भी आगे थे । उन्होंने हिंदु युवतियोंको ही उपदेशके पाठ पढाए । (ऐसे जन्महिंदुओंने धर्म एवं समाजकी जितनी हानि की है, उतनी अन्यधर्मियोंने भी नहीं की होगी । इन तथाकथित सुधारवादी साहित्यिकोंने हिंदु धर्मकी आलोचना करके ही अपने तथाकथित प्रगतिशील पदको संजोया है । – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात