माघ कृष्ण पक्ष एकादशी, कलियुग वर्ष ५११५
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इस्लामाबाद – पाकिस्तान के कोर्ट ने एक ब्रिटिश नागरिक को ईशनिंदा का दोषी पाए जाने पर मौत की सजा सुनाई है। इस बात की पुष्टि शुक्रवार को पुलिस ने की। पाकिस्तानी मूल के मोहम्मद असगर ने २०१० में इस्लामाबाद के पास रावलपिंडी में पत्र लिखकर खुद के पैगम्बर होने का दावा किया था। इसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया था। रावलपिंडी की अदील जेल में स्पेशल कोर्ट ने भी डिफेंस की अपील को खारिज कर दिया था। इस अपील में कहा गया था कि ६५ साल के असगर की दिमागी हालत ठीक नहीं है।
जब कोर्ट में भी नहीं माना असगर
सरकारी वकील जावेद गुल की मानें तो असगर ने कोर्ट में भी खुद को पैगम्बर साबित करने की कोशिश की थी। उसने जज के सामने भी यह रवैया कायम रखा था। यहां तक कि असगर ने अपने विजिटिंग कार्ड में भी इसे दिखाने की कोशिश की थी। कोर्ट ने असगर पर १० लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। बता दें कि बचाव पक्ष की डिमांड पर एक मेडिकल बोर्ड ने असगर का चेकअप किया था, लेकिन उनकी रिपोर्ट में असगर नॉर्मल पाया गया। गुल ने कहा कि असगर अपने पक्ष में एक भी सबूत पेश करने में नाकाम रहा।
पाक में काफी संवेदनशील है ईशनिंदा
बता दें कि पाकिस्तान में ईशनिंदा को काफी संवेदनशील माना जाता है। यहां की आबादी में ९७ पर्सेंट मुस्लिम हैं। यहां पैगंबर साहब की जरा सी बेइज्जती फांसी के तख्त तक ले जा सकती है। पाकिस्तान में इसके खिलाफ इतनी सख्त सजा के लिए कई राइट ग्रुप्स ने विरोध भी किया है। इससे पहले २०१२ में इस्लामाबाद में क्रिश्चन लड़की को ईशनिंदा के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। लेकिन इस मामले में काफी बवाल भी हुआ था, क्योंकि लड़की महज १४ साल की थी और फिर यह बहस शुरू हो गई थी कि वह पढ़ी-लिखी नहीं है।
स्त्रोत : नवभारत टाइम्स