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चीन ने हैक किए ४० लाख अमरीकी कंप्यूटर

वॉशिंगटन:हैकरों ने अमरीका के इतिहास की सबसे बड़ी हैकिंग करते हुए ४० लाख से भी ज्यादा पूर्व व वर्तमान सरकारी कर्मचारियों के कंप्यूटरों का डाटा चुरा लिया है।

अमरीका का एक भी ऐसा सरकारी ऑफिस नहीं बचा है, जिसके कंप्यूटर से डाटा न चुराया गया है। अमरीकी जांचकर्ताओं ने कहा है कि इस हैकिंग के पीछे चीन का हाथ है। हालांकि चीन ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है।

शुरुआत में माना जा रहा था कि सिर्फ निजी प्रबंधन कार्यालय और आंतरिक विभाग के कंप्यूटर ही प्रभावित हुए हैं, लेकिन सरकारी अधिकारियों ने बताया कि लगभग सभी सरकारी एजेंसियां हैकर्स की वजह से प्रभावित हुई हैं। हालांकि अभी भी नुकसान का जायजा लिया जा रहा है और संभव है कि लाखों अन्य कंप्यूटर भी प्रभावित हों। 

 चीनी सेना के लिए की गई हैकिंग 

अमरीकी जांचकर्ताओं का मानना है कि हैकर्स चीनी सेना के लिए काम कर रहे हैं और अमरीकी खुफिया की जानकारी इकठ्ठा कर रहे हैं। हालांकि अभी तक हैकिंग के पीछे की वजह स्पष्ट नहीं हो पाई है।

 चीन ने नकारा

वॉशिंगटन में चीनी दूतावास के प्रवक्ता ने हालांकि सभी आरोपों को खारिज किया है। झू हैक्युआन ने कहा, ‘दुनिया भर में हो रहे साइबर हमलों का पता लगाना बेहद मुश्किल है। अभी से ही किसी परिणाम पर पहुंचना और बेबुनियाद आरोप लगाना गलत है।’

भारत की जासूसी

इसी साल अप्रेल में आई एक रिपोर्ट में दावा किया गया था चीन ने भारत समेत पूरे दक्षिण एशिया के सरकारी कार्यालयों के कंप्यूटर हैक किए हैं। इंटरनेट सिक्योरिटी कंपनी ‘फायरआई’ ने अपनी रिसर्च में पाया था कि एक दशक से भी ज्यादा समय से भारत और दक्षिण एशियाई देशों के सरकारी ऑफिसों की जासूसी की जा रही है और इसके पीछे काफी हद तक चीन का हाथ है। चीन आर्थिक और सैन्य जानकारियां चुुरा रहा है।

 मैक्फी ने भी लगाया था आरोप 

एंटी वायरस बनाने वाली कंपनी मैक्फी ने भी २०११ में आरोप लगाया था कि चीन दक्षिण एशियाई देशों में हैकिंग के लिए ‘शैडी रैट’ जैसा अभियान चला रहा है।

सेना और न्यायिक विभाग सुरक्षित

अमरीका के लिए अच्छी बात यह है कि उसके न्यायिक व सैन्य विभाग के कंप्यूटर हैक नहीं हुए हैं। हैकिंग को पकडऩे वाले सिस्टम ‘आइनस्टाइन’ ने सरकारी कंप्यूटरों में कुछ गड़बड़ी पाई थी। इसके एक महीने बाद पता चला कि कुछ संवेदनशील डाटा चुराया गया है। एफबीआई पूरे मामले की जांच में जुट गई है।

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